12 May, 2025
स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया रिपोर्ट 2023
Sat 04 May, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की नई रिपोर्ट "स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया" में जलवायु परिवर्तन के आंकड़े जारी किए।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर जलवायु, मौसम और पानी से सम्बंधित चरम मौसमी घटनाओं जैसे, बाढ़, तूफान, सूखा, लू आदि के लिए एशिया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है।
- यदि वर्ष 2023 की बात करें तो पिछले साल दुनिया के किसी भी अन्य क्षेत्र के मुकाबले एशिया को सबसे ज्यादा चरम मौसमी आपदाओं से जूझना पड़ा था।
- इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 के दौरान एशिया ने 79 चरम मौसमी आपदाओं का सामना किया।
- इन आपदाओं के कारण जहां 2,000 से ज्यादा लोग मृत्यु को प्राप्त हुए , वहीं 90 लाख से ज्यादा लोगों का जीवन इन आपदाओं की वजह से अस्त-व्यस्त हो गया था।
- इसके अलावा वर्ष 2023 के दौरान एशिया में बाढ़ और तूफान के चलते सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई। इसके साथ ही लोगों को भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा।
- गौरतलब है कि इस दौरान एशिया में आई चरम मौसमी आपदाओं में से 80 फीसदी बाढ़ और तूफान की घटनाएं थी।
- डब्ल्यूएमओ ने रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ते तापमान के साथ लू का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा विकराल रूप ले चुका है।
- एशिया वैश्विक औसत से भी कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। 1961 से 1990 की अवधि के बाद से देखें तो इस क्षेत्र में तापमान में होती वृद्धि की प्रवृत्ति करीब दोगुनी हो गई है।
- आंकड़ों के मुताबिक एशिया में 2023 में दर्ज औसत तापमान 1961 से 1990 के औसत तापमान की तुलना में 1.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है।
- रिपोर्ट में जलवायु में आये परिवर्तन को चिन्हित करते हुए यह जानकारी दी गयी है कि सतह का तापमान, ग्लेशियरों के पिघलने की दर और समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रहे हैं।
- इन बदलावों से एशिया आम लोगों, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
- आशंका जताई गई है कि जिस तरह से इस क्षेत्र में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, उससे भविष्य में जल सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है।
- इसी तरह समुद्र की सतह का तापमान और गर्मी भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है।
- वर्ष 2023 में, उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था, इसी तरह आर्कटिक महासागर ने भी समुद्री लू का सामना किया था।
- वैश्विक स्तर पर देखें तो समुद्र का स्तर 3.43 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है। लेकिन यदि उत्तर-पश्चिम हिन्द महासागर को देखें तो यह दर 1993 से 2023 के बीच यह दर 4.07 मिलीमीटर प्रतिवर्ष दर्ज की गई, जो वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है।
- उत्तर पूर्वी हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी में भी इस दौरान समुद्र के जल स्तर में 4.44 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। जो वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में होती वृद्धि से 29.5 फीसदी अधिक है।
- जल स्तर में बढ़ने की यह प्रवत्ति दक्षिण-पूर्व हिन्द महासागर (4.19) में भी दर्ज की गई। इसी तरह 2023 में समुद्र की सतह का तापमान उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
भारत पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- इस रिपोर्ट में 2023 के दौरान भारत में आई जलवायु और चरम मौसमी आपदाओं को भी उजागर किया है।
- अगस्त 2023 में, भारत ने रिकॉर्ड तापमान को अनुभव किया था। साथ ही इस महीने बारिश में भी अप्रत्याशित कमी देखी गई।
- वर्ष 2023 के दौरान भारत में मानसून की शुरूआत देर से हुई, इस दौरान मानसून भी कुछ कमजोर रहा, जब सामान्य (1971 से 2020 में हुई औसत बारिश) से 94 फीसदी बारिश दर्ज की गई।
- यह लगातार दूसरा वर्ष रहा जब दक्षिण-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों, गंगा के जलग्रहण क्षेत्र और ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।
- 2023 में आंधी तूफान और आकाशीय आपदा के कारण भारत में 1,200 लोगों की मौत हुई।
- इसके अलावा इस रिपोर्ट में दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश में आए चक्रवात मिचौंग का भी जिक्र किया गया है। यह चक्रवात पांच दिसंबर 2023 को आंध्रप्रदेश में टकराया था।
- वहीं जून से जुलाई 2023 के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में आई बाढ़ और तूफान की घटनाओं में कम से कम 599 लोगों के मृत्यु की जानकारी सामने आई है।
- इसी प्रकार अगस्त 2023 में बड़े पैमाने पर आई बाढ़ और भूस्खलन से देश के कई राज्य यथा; हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड आदि प्रभावित हुए थे।
- इसके अलावा अप्रैल और जून के दौरान भारत में भीषण गर्मी और लू के कारण 110 लोगों की हीटस्ट्रोक से मृत्यु हो गई थी।
- इसी तरह घने कोहरे और धुंध के साथ कई खतरनाक प्रदूषकों ने अक्टूबर 2023 में भारत, पाकिस्तान सहित उत्तर-पश्चिम दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में लोगों के दैनिक जीवन पर गहरा असर डाला था।
- इसके अलावा इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1991 से वर्ष 2020 के औसत तापमान की तुलना में देखें तो पूर्वी भारत के कई हिस्सों में सतह के पास तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था।
- इन क्षेत्रों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, जम्मू कश्मीर, लदाख और त्रिपुरा शामिल हैं।
- इसी प्रकार पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड के कुछ हिस्से शामिल हैं।
निष्कर्ष
- उपर्युक्त परिस्थितियों के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय भारत सहित पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के लिए आपदा आपातकाल से कम नहीं है।
- ऐसे में यदि समय रहते इन पर ध्यान न दिया गया तो तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ इन आपदाओं से होने वाला नुकसान बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
- फलतः इस बढ़ते जलवायु संकट पर यदि त्वरित कार्रवाई न की गई तो भारत सहित पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
विश्व मौसम विज्ञान संगठन
- 192 सदस्य राष्ट्रों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई, जिसकी स्थापना वर्ष 1873 में वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान काॅन्ग्रेस के बाद की गई थी।
- मुख्यालय : जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड