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भारत की वायु रक्षा प्रणाली (ADS)

Fri 09 May, 2025

संदर्भ :

  • हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को S-400, आकाश और बराक-8 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम्स की मदद से विफल किया। इन हमलों के जवाब में, भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के लाहौर में तैनात एयर डिफेंस यूनिट्स को तबाह कर दिया।
  • भारत का एयर डिफेंस सिस्टम एक बहुस्तरीय और एकीकृत संरचना है, जो विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है।

वायु रक्षा प्रणाली (Air Defence System) :

  • किसी देश की वायुसीमा की सुरक्षा के लिए विकसित सैन्य तंत्र है, जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों को पहचानने, ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने का कार्य करता है।
  • यह प्रणाली रडार, सेंसर, मिसाइल, गन सिस्टम, इंटरसेप्टर विमान और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर जैसे कई घटकों से मिलकर बनती है।
  • वायु रक्षा प्रणाली की बहुस्तरीय संरचना
  • भारत की वायु रक्षा प्रणाली मल्टी-लेयर (बहुस्तरीय) है, जिसमें विभिन्न रेंज और क्षमताओं की मिसाइलें और रडार शामिल हैं।

इसकी मुख्य चार परतें हैं:

  • लॉन्ग रेंज इंटरसेप्शन: भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रोग्राम, जो 50-80 किमी (PAD) और 30 किमी (AAD) ऊंचाई पर बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करता है।
  • इंटरमीडिएट रेंज: S-400 ट्रायम्फ सिस्टम, जो 400 किमी तक के लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट कर सकता है।
  • शॉर्ट रेंज: आकाश, MRSAM (बराक-8), जो 25-70 किमी तक के लक्ष्यों को मार गिराते हैं।
  • वेरी शॉर्ट रेंज: मैनपैड्स, ZU-23-2, L-70, शिल्का जैसी गनें, जो 2-5 किमी तक के कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों के लिए हैं।

कार्यप्रणाली (How Air Defence Systems Work):

  • खतरे की पहचान: एडवांस रडार (जैसे स्वॉर्डफिश, LRTR) और सैटेलाइट निगरानी सिस्टम सैकड़ों किलोमीटर दूर से खतरे (मिसाइल, ड्रोन, विमान) का पता लगाते हैं।
  • डेटा प्रोसेसिंग और ट्रैकिंग: खतरे की गति, दिशा, ऊंचाई और प्रकार का विश्लेषण होता है। यह डेटा कमांड सेंटर तक भेजा जाता है।
  • जवाबी कार्रवाई: उपयुक्त हथियार प्रणाली (मिसाइल, गन, इंटरसेप्टर विमान) सक्रिय की जाती है और खतरे को हवा में ही नष्ट किया जाता है।
  • नुकसान का आकलन: हमले के बाद मलबे की जांच कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि खतरा पूरी तरह समाप्त हो गया है।

भारत की प्रमुख वायु रक्षा प्रणालियाँ :

  • S-400 ट्रायम्फ: भारत की दीर्घ-मार्गीय वायु रक्षा प्रणाली :
  • S-400 ट्रायम्फ रूस द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे भारत ने 2018 में पांच स्क्वाड्रनों के लिए अनुबंधित किया था।

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ:

  • इसे 'सुदर्शन चक्र' नाम (संभवतः एक अनौपचारिक या मीडिया द्वारा) दिया गया है
  • यह प्रणाली विमान, ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित विभिन्न हवाई लक्ष्यों को रोकने और नष्ट करने में सक्षम है।
  • ट्रैकिंग क्षमता: 600 किमी तक की दूरी पर हवाई लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम।
  • लक्ष्य भेदन रेंज: 400 किमी तक।
  • मिसाइल प्रकार: चार विभिन्न प्रकार की मिसाइलों का उपयोग, जो विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम हैं।
  • लॉन्चर: प्रत्येक बैटालियन में लगभग आठ लॉन्चर होते हैं, और प्रत्येक लॉन्चर में चार मिसाइल ट्यूब्स होते हैं।
  • लक्ष्य क्षमता: एक साथ 72 लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम।

आकाश मिसाइल प्रणाली: स्वदेशी मध्यम-रेंज वायु रक्षा

आकाश भारत द्वारा विकसित एक मध्यम-रेंज मोबाइल सतह-से-हवा मिसाइल प्रणाली है, जिसे भारतीय सेना और वायु सेना दोनों द्वारा उपयोग किया जाता है।

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ:

  • रेंज: 25 से 30 किमी।
  • ऊंचाई सीमा: 20 किमी तक।
  • गति: माच 2.5 (ध्वनि की गति से 2.5 गुना)।
  • वारहेड: 60 किलोग्राम का उच्च-विस्फोटक, प्री-फ्रैगमेंटेड वारहेड।
  • प्रणोदन: सॉलिड बूस्टर के साथ एयर-अगमेंटेड रॉकेट और रामजेट सस्टेनर मोटर।
  • मार्गदर्शन: मध्य-कोर्स में कमांड मार्गदर्शन और टर्मिनल चरण में सक्रिय रडार होमिंग।
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: सेना के लिए T-72 या BMP-2 चेसिस, और वायु सेना के लिए टाटा LPTA 3138 8×8 ट्रक।
  • ट्रैकिंग क्षमता: प्रत्येक बैटरी 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है और 12 लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकती है।
  • विकास और निर्माता: इसका विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया है और इसका उत्पादन भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा

पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) :

भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर के नाम से भी जाना जाता है।

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ:

  • प्रकार: यह एक एक्सो-वायुमंडलीय एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसका अर्थ है कि यह पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है।
  • विकास: इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है। यह पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है।
  • इंटरसेप्शन ऊंचाई: इसकी अधिकतम अवरोधन ऊंचाई 80 किमी तक है।
  • रेंज: इसकी परिचालन सीमा 300 किमी से 2,000 किमी तक बताई जाती है, जिसका अर्थ है कि यह इस दूरी से आने वाली मिसाइलों को रोक सकती है।
  • गति: इसकी गति मैक 5+ है, जो इसे आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को भेदने के लिए पर्याप्त तेज बनाती है।
  • मार्गदर्शन: इसमें जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (Inertial Navigation System), जमीन आधारित रडार से मध्य-कोर्स सुधार (Mid-course updates) और टर्मिनल चरण में सक्रिय रडार होमिंग (Active Radar Homing) का उपयोग किया जाता है।
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: इसे ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) जैसे 8x8 वाहनों से लॉन्च किया जा सकता है।
  • भूमिका: PAD का मुख्य उद्देश्य लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके मध्य-उड़ान चरण में, यानी वायुमंडल के बाहर ही नष्ट करना है। यह भारतीय BMD प्रणाली की पहली परत का निर्माण करता है।
  • स्थिति: PAD का पहला सफल परीक्षण 2006 में किया गया था।

एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) :

भारत के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम का एक और महत्वपूर्ण घटक है। इसे अश्विन इंटरसेप्टर मिसाइल के नाम से भी जाना जाता है।

प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ:

  • प्रकार: यह एक एंडो-वायुमंडलीय एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसका अर्थ है कि यह पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर कम ऊंचाई पर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह उन लक्ष्यों के लिए है जो किसी तरह पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) से चूक जाते हैं। इसलिए, यह PAD की पूरक के रूप में कार्य करता है और एक दूसरी परत की सुरक्षा प्रदान करता है।
  • विकास: इसे भी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है।
  • इंटरसेप्शन ऊंचाई: इसकी अधिकतम अवरोधन ऊंचाई 30 किमी तक है। कुछ स्रोतों में यह सीमा 15 से 30 किमी भी बताई जाती है।
  • रेंज: इसकी परिचालन सीमा 150 से 200 किमी तक है।
  • गति: इसकी गति मैक 4.5 तक है।
  • मार्गदर्शन: इसमें जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (Inertial Navigation System) और टर्मिनल चरण में सक्रिय रडार सीकर (Active Radar Seeker) का उपयोग किया जाता है।
  • प्रणोदन: यह एक एकल-चरण, ठोस-ईंधन वाली मिसाइल है जिसमें सिलिकॉनयुक्त कार्बन जेट वेन्स लगे हैं जो लॉन्च के दौरान बहुत तेजी से पिच और रोल नियंत्रण प्रदान करते हैं।
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
  • भूमिका: AAD का मुख्य उद्देश्य कम ऊंचाई पर, वायुमंडल के अंदर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को उनके टर्मिनल चरण में नष्ट करना है।
  • स्थिति: AAD का पहला सफल परीक्षण 2007 में किया गया था। यह प्रणाली भी अब भारतीय BMD प्रणाली का हिस्सा है और तैनात है।

MRSAM (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) :

MRSAM, जिसे अभ्र भी कहा जाता है, एक आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे भारत के DRDO और इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसमें भारत की कई सार्वजनिक और निजी रक्षा कंपनियाँ भी शामिल हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

  • रेंज: 0.5 से 100 किमी तक
  • गति: लगभग मैक 2.5 (≈ 2448 किमी/घंटा)
  • वारहेड क्षमता: लगभग 60 किग्रा
  • मार करने योग्य लक्ष्य: फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें
  • प्रणाली में शामिल: एक्टिव रडार होमिंग, मल्टी-फंक्शन रडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर
  • डिज़ाइन: दो-चरणीय मिसाइल, कम धुआं छोड़ने वाली, मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट

तैनाती:

  • भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल
  • INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत पर भी तैनात
  • पश्चिमी सीमा पर सेना की मिसाइल यूनिट द्वारा तैनात

SPYDER (Surface-to-air PYthon and DERby) :

SPYDER एक कम दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे इज़राइल की Rafael Advanced Defense Systems ने विकसित किया है। यह प्रणाली पाइथन-5 और आई-डर्बी मिसाइलों का उपयोग करती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • रेंज: लगभग 20 किमी (कुछ संस्करणों में अधिक)
  • लक्ष्य: फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें

मिसाइलें:

  • Python-5: इन्फ्रारेड सीकर आधारित
  • I-Derby: एक्टिव रडार सीकर आधारित
  • क्षमताएँ: मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट, तेज प्रतिक्रिया, हर मौसम में काम, दिन-रात संचालन
  • मोबिलिटी: वाहनों पर आसानी से तैनात की जा सकती है
  • रडार: उन्नत रडार सिस्टम, कई लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम

भारत में उपयोग:

  • भारतीय वायुसेना द्वारा तैनात
  • हवाई सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण
  • रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में उपयोगी

QRSAM (त्वरित प्रतिक्रिया सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली) :

QRSAM एक स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल प्रणाली है, जिसे DRDO ने डिज़ाइन किया है। यह प्रणाली भारतीय सेना की गतिशील बख्तरबंद संरचनाओं को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • रेंज: 3 से 30 किमी
  • लक्ष्य: फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज मिसाइल

प्रणाली:

  • चलती स्थिति में भी लक्ष्य ट्रैक और नष्ट कर सकती है
  • कनस्तर-आधारित डिज़ाइन (आसान भंडारण और परिवहन)
  • एकल-चरण ठोस ईंधन आधारित मिसाइल
  • एक्टिव रडार सीकर और ECCM क्षमताएं

रडार:

  • बैटरी सर्विलांस रडार (BSR)
  • मल्टीफंक्शन रडार (BMFR) — 360° कवरेज
  • लॉन्चर: एक साथ 6 मिसाइलें और मल्टी-टारगेट क्षमता
  • सभी मौसम में संचालन योग्य

तैनाती और महत्व:

  • भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा
  • 'आत्मनिर्भर भारत' को समर्थन
  • कम दूरी पर तेज और प्रभावी वायु सुरक्षा

बराक 8 मिसाइल प्रणाली (Barak 8 - LRSAM) :

बराक 8 एक लंबी दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे भारत और इज़राइल ने मिलकर विकसित किया है। 'बराक' का अर्थ हिब्रू में 'बिजली' होता है।

विकास:

  • संयुक्त विकास: DRDO (भारत) और IAI (इज़राइल)
  • उत्पादन: भारत में BDL, इज़राइल की अन्य कंपनियों की भागीदारी

मुख्य विशेषताएँ:

  • रेंज: 70–100 किमी (कुछ रिपोर्टों में अधिक)
  • लक्ष्य: फाइटर जेट, ड्रोन, हेलीकॉप्टर, क्रूज व एंटी-शिप मिसाइलें
  • लॉन्च: जमीन व समुद्र दोनों से

तकनीक:

  • एक्टिव रडार होमिंग
  • MF-STAR रडार से ट्रैकिंग
  • 360° कवरेज और वर्टिकल लॉन्च क्षमता
  • मैक 2 तक गति, 60 किग्रा वारहेड
  • मल्टी टारगेट ट्रैकिंग और ‘सेचुरेशन अटैक’ से निपटने में सक्षम

तैनाती:

  • भारतीय नौसेना: INS विक्रांत, कोलकाता-क्लास डिस्ट्रॉयर
  • भारतीय वायुसेना व थलसेना: भूमि आधारित संस्करण को MRSAM कहा जाता है

भारत की प्रमुख रडार प्रणालियाँ :

  • सेंट्रल एक्विजिशन रडार (CAR): यह DRDO द्वारा विकसित एक 3डी निगरानी रडार है जो लंबी दूरी के हवाई लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम है। इसके विभिन्न संस्करण भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा उपयोग किए जाते हैं।
  • रोहिणी रडार: यह भी DRDO द्वारा विकसित एक 3डी निगरानी रडार है, जो मध्यम दूरी के हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारतीय वायुसेना द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • रेवती रडार: यह भारतीय नौसेना के लिए DRDO द्वारा विकसित एक 3डी निगरानी रडार है। यह लंबी दूरी की निगरानी और लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमताएं प्रदान करता है।
  • अश्विनी रडार: यह DRDO द्वारा विकसित एक 3डी निगरानी रडार है, जो हवाई यातायात नियंत्रण और वायु क्षेत्र निगरानी के लिए उपयोग किया जाता है।
  • बैटरी सर्विलांस रडार (BSR) और बैटरी मल्टीफंक्शन रडार (BMFR): ये रडार QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल) प्रणाली का हिस्सा हैं और लक्ष्य का पता लगाने और ट्रैक करने के साथ-साथ मिसाइलों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • 3डी निगरानी रडार (3D Surveillance Radar) - विभिन्न प्रकार: DRDO विभिन्न अन्य 3डी निगरानी रडार भी विकसित कर रहा है जो विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

आयातित रडार प्रणालियाँ:

  • EL/M-2083 रडार (ELTA Systems, इज़राइल): यह एक लंबी दूरी का निगरानी रडार है जिसका उपयोग भारत द्वारा किया जाता है।
  • MF-STAR रडार (IAI, इज़राइल): यह एक उन्नत मल्टी-फंक्शन रडार है जो बराक 8 मिसाइल प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह लंबी दूरी की निगरानी, लक्ष्य ट्रैकिंग और मिसाइल मार्गदर्शन क्षमताएं प्रदान करता है।
  • सर्चवाटर रडार (Thales, फ्रांस): यह भारतीय नौसेना के जहाजों पर उपयोग किया जाने वाला एक लंबी दूरी का निगरानी रडार है।
  • अन्य विशिष्ट रडार: भारत विभिन्न अन्य देशों से विशिष्ट कार्यों के लिए रडार आयात करता रहता है।

निगरानी प्रणालियाँ (गैर-रडार):

  • इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल (EO) और इंफ्रारेड (IR) सिस्टम: ये प्रणालियाँ रडार के पूरक के रूप में काम करती हैं और निष्क्रिय रूप से लक्ष्यों का पता लगाने और उनकी पहचान करने में मदद करती हैं, खासकर उन लक्ष्यों को जो कम रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) वाले होते हैं।
  • सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) सिस्टम: ये प्रणालियाँ दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक संचार और रडार उत्सर्जन को इंटरसेप्ट और विश्लेषण करके महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
  • मानव रहित हवाई वाहन (UAV) आधारित निगरानी: UAV विभिन्न प्रकार के सेंसर, जिनमें रडार और EO/IR कैमरे शामिल हैं, से लैस होकर व्यापक हवाई निगरानी क्षमताएं प्रदान करते हैं।

एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS):

  • यह एक महत्वपूर्ण प्रणाली है जो विभिन्न रडार और निगरानी प्रणालियों से प्राप्त डेटा को एकीकृत करती है, एक व्यापक हवाई स्थिति चित्र बनाती है, और वायु रक्षा परिसंपत्तियों की प्रभावी तैनाती और नियंत्रण में मदद करती है।

 

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