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‘कच्चातिवु द्वीप’

Tue 02 Apr, 2024

सन्दर्भ

  • हाल ही में ‘कच्चातिवु द्वीप’ राजनैतिक विवाद के रूप में चर्चा में रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री ने कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंपने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की।  

प्रमुख बिंदु : ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

  • कच्चातिवु भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित एक छोटा द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल 285 एकड़ है। 
  • यह भारत के रामेश्वरम से लगभग 33 किमी उत्तर पूर्व और श्रीलंका के सबसे उत्तरी बिंदु जाफना से लगभग 62 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है।
  • कच्चातिवु ऐतिहासिक रूप से आधुनिक तमिलनाडु में रामनाथपुरम् के राजाओं के नियंत्रण में था। 
  • ब्रिटिश काल में इस द्वीप पर भारत और श्रीलंका दोनों का शासन था। 
  • वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात , श्रीलंका ने अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण इस द्वीप पर दावा किया।
  • अन्ततः वर्ष 1974 में भारत-श्रीलंका के मध्य एक समुद्री समझौते को आकार दिया गया जिसके अंतर्गत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया। 
  • इस समझौते के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के स्वामित्व में परिवर्तन हुआ। इसके साथ ही सद्भावना बनाये रखने हेतु इस द्वीप पर भारतीय मछुआरों को द्वीप के आस-पास मछली पकड़ने, वहाँ अपने जाल सुखाने की अनुमति दी गई । इसके अलावा भारतीय तीर्थयात्रियों को द्वीप पर स्थित कैथोलिक तीर्थ की यात्रा करने की भी अनुमति दी गयी । 
  • 2 वर्षों के बाद वर्ष 1976 में ‘समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ (UNCLOS ) के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के परिसीमन ने वर्ष 1974 के समझौते को समाप्त कर दिया जिसके माध्यम से इस द्वीप पर उक्त गतिविधियों में शामिल होने के लिए भारतीय मछुआरों को प्राप्त अधिकारों को रद्द कर दिया गया। 

 कच्चातीवू द्वीप से जुड़ी समस्याएं

  • भारतीय मछुआरों ने क्षेत्र में बेहतर मछली की तलाश में श्रीलंकाई जल सीमा का अतिक्रमण करना।
  • भारतीय महाद्वीपीय शेल्फ में मछली और जलीय जीवन का समाप्त होना।  
  • आधुनिक मछली पकड़ने हेतु आधुनिक वाली ट्रॉलियों का बेतहाशा उपयोग । 
  • समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान।
  • श्रीलंकाई सैनिकों द्वारा भारतीय मछुआरों की लगातार गिरफ़्तारियाँ 
  • वर्ष 2009 से श्रीलंका द्वारा देश में तमिल विद्रोहियों की वापसी की संभावना को समाप्त करने हेतु पाक जलडमरूमध्य के आसपास समुद्री सुरक्षा बढ़ाना। 

भारत में इस द्वीप को लेकर विवाद की स्थिति

  • तमिलनाडु की सरकारों द्वारा वर्ष 1974 के समझौते को स्वीकार नहीं किया गया एवं समय-समय पर इनके द्वारा श्रीलंका से द्वीप को दोबारा प्राप्त करने की मांग उठाई जाती रही है । 
  • 1991 में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा समझौते के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जिसके जरिए द्वीप को पुनः प्राप्त करने की मांग की गई थी।
  • 2008 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं और कच्चातिवु समझौतों को रद्द करने की अपील की। 
  • उन्होंने कहा था कि श्रीलंका को कच्चातिवु उपहार में देने वाले देशों के बीच दो संधियां असंवैधानिक हैं। इसके अलावा वर्ष 2011 में जयललिता ने एक बार फिर से विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया।
  • मई 2022 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एक समारोह में मांग की थी कि कच्चातिवु द्वीप को भारत द्वारा पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए।

श्रीलंका का पक्ष

  • पिछले कुछ वर्षों में, श्रीलंका ने द्वीप पर भारतीय मछुआरों के अधिकारों से इनकार करते हुए कच्चातिवु पर अपना दावा जताया है। 

परीक्षापयोगी तथ्य

श्रीलंका

  • राजधानी:श्री जयवर्धनेपुरा कोट्टी (विधायी) & कोलंबो (कार्यकारी और न्यायिक)
  • सबसे बड़ा नगर:कोलम्बो
  • राष्ट्रपति: रानिल विक्रमसिंघे
  • प्रधान मंत्री: दिनेश गुणवर्धने

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