15 December, 2025
डुलहस्ती स्टेज–2 जलविद्युत परियोजना
Sun 28 Dec, 2025
संदर्भ
- केंद्र सरकार ने जम्मू–कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर प्रस्तावित 260 मेगावाट डुलहस्ती स्टेज–2 जलविद्युत परियोजना को महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह स्वीकृति पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC) के अधीन कार्यरत विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) द्वारा दी गई है।
- यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत ने अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को निलंबित कर दिया है। इससे भारत को सिंधु नदी प्रणाली पर अपने जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने का अवसर मिला है।
पृष्ठभूमि
- डुलहस्ती स्टेज–2 परियोजना, 390 मेगावाट डुलहस्ती स्टेज–1 (2007 से संचालित) का विस्तार है।
- दोनों परियोजनाएँ राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (NHPC) द्वारा विकसित की जा रही हैं और चिनाब बेसिन में भारत की जलविद्युत क्षमता को बढ़ाने के व्यापक कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
परियोजना को मिली स्वीकृति का महत्व
EAC की 45वीं बैठक (2025) में इस परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी दी गई, जिससे अब:
- निर्माण निविदाएँ जारी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
- अनुमानित लागत ₹3,200 करोड़ से अधिक होगी।
- परियोजना एक रन-ऑन-द-रिवर (Run-of-the-River) मॉडल पर आधारित है, जिससे न्यूनतम पर्यावरणीय क्षति सुनिश्चित की जा सकेगी।
सिंधु जल संधि निलंबन का संदर्भ
- पहले चिनाब नदी के जल बँटवारे के नियम 1960 की सिंधु जल संधि के तहत चलते थे।
- इस संधि के अनुसार इंडस, झेलम और चिनाब पर पाकिस्तान के अधिकार थे, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज भारत के हिस्से में थे।
- लेकिन 23 अप्रैल 2025 से यह संधि निलंबित है, इस कारण भारत अब पूर्ण रूप से जल संसाधन पर निर्माण कार्य कर सकता है।
- इस निलंबन के बाद भारत तेजी से सवालकोट, रतले, बर्सर, पकल डुल, क्वार, किरू, किर्थाई-I और II परियोजनाओं को आगे बढ़ा रहा है:
डुलहस्ती स्टेज–2 की प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ
1. पानी का प्रवाह और सुरंग
- स्टेज–1 पावर स्टेशन से पानी को एक नई सुरंग के माध्यम से मोड़ा जाएगा।
- सुरंग की लंबाई: 3,685 मीटर
- व्यास: 8.5 मीटर
- यह एक घोड़े की नाल (Horseshoe-shaped) संरचना का निर्माण करेगी।
2. भूमि आवश्यकताएँ
- कुल भूमि आवश्यक: 60.3 हेक्टेयर
- निजी भूमि: 8.27 हेक्टेयर
- प्रभावित गाँव: किश्तवाड़ जिले के 2 गाँव
3. रणनीतिक लाभ
- सर्दियों में भी स्थिर बिजली आपूर्ति
- जम्मू–कश्मीर के लिए ऊर्जा सुरक्षा
- राष्ट्रीय ग्रिड में उत्पादन क्षमता बढ़ना
- स्थानीय रोजगार सृजन
परियोजना का सामरिक एवं आर्थिक महत्व
(1) सामरिक पहलू
चिनाब बेसिन में जलविद्युत परियोजनाओं का विस्तार पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से स्पष्ट संदेश देता है कि भारत जल संसाधनों का उपयोग संधियों के निलंबन के बाद पूर्ण अधिकार से कर सकता है।
(2) आर्थिक लाभ
- ऊर्जा क्षमता में वृद्धि
- बिजली घाटे में कमी
- जम्मू–कश्मीर में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन
- पर्यटन और आधारभूत सुविधाओं में सुधार
पर्यावरणीय पहलू
परियोजना के लिए विशेष पर्यावरण सुरक्षा उपाय होंगे, जैसे:
- नदी पारिस्थितिकी तंत्र को न्यूनतम क्षति
- स्थानीय जैव विविधता संरक्षण
- मछली प्रवास गलियारों पर अध्ययन
- भूमिस्खलन और भूकंपीय जोखिम मूल्यांकन
निष्कर्ष
डुलहस्ती स्टेज–2 परियोजना भारत की ऊर्जा रणनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद भारत द्वारा चिनाब नदी पर जलविद्युत विकास का विस्तार:
- राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा,
- सामरिक स्वायत्तता,
- और क्षेत्रीय विकास को मजबूती प्रदान करेगा।









