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भारत के संविधान का संथाली भाषा (ओल चिकी लिपि में) में आधिकारिक अनुवाद जारी

Fri 26 Dec, 2025

संदर्भ :

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन में भारत के संविधान का संताली भाषा (ओल चिकी लिपि) में आधिकारिक अनुवाद और डिजिटल संस्करण जारी किया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह अनुवाद विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग द्वारा पहली बार प्रकाशित किया गया।
  • इस अवसर पर उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन और विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

संथाली भाषा:

  • यह भारत की सबसे प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है, जो मुख्य रूप से संथाल आदिवासी समुदाय द्वारा बोली जाती है। यह झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और असम आदि राज्यों में प्रचलित है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, इसे 70 लाख से अधिक लोग बोलते हैं।
  • संथाली एक ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की भाषा है, जो मुख्यतः संथाल जनजाति द्वारा बोली जाती है।

ओल चिकी लिपि:

  • यह लिपि पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा 1925 में विकसित की गई थी।
  • 2025 ओल चिकी की शताब्दी वर्ष है, जिसे राष्ट्रपति ने विशेष रूप से उल्लेखित किया।
  • 5वीं अनुसूची: यह अनुसूचित क्षेत्रों के साथ-साथ असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों के अलावा किसी भी राज्य में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण से संबंधित है।
  • 6वीं अनुसूची: यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों में आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिये आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान करती है। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रदान किया गया है।
  • लिपि के अक्षर प्राकृतिक आकृतियों और संथाली शब्दों से प्रेरित हैं।

आठवीं अनुसूची में शामिल होना:

  • संथाली को 92वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था (बोडो, डोगरी और मैथिली के साथ)।
  • इससे यह भारत की 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक बनी।
  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्तमान में 22 भाषाएँ शामिल हैं— असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी (मेइतेई), मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू।

संविधान की आठवीं अनुसूची

संवैधानिक प्रावधान :

  • अनुच्छेद: आठवीं अनुसूची का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 344(1) और 351 में किया गया है।
  • अनुच्छेद 344(1): राष्ट्रपति को राजभाषा के संबंध में एक आयोग गठित करने की शक्ति देता है।
  • अनुच्छेद 351: हिंदी भाषा के विकास और प्रसार के लिए निर्देश देता है ताकि वह भारत की मिश्रित संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके

भाषाओं की संख्या :

  • मूल संविधान: 1950 में जब संविधान लागू हुआ, तब आठवीं अनुसूची में केवल 14 भाषाएं शामिल थीं।
  • वर्तमान स्थिति: विभिन्न संशोधनों के बाद अब इस अनुसूची में कुल 22 भाषाएं हैं

महत्वपूर्ण संशोधन और नई भाषाएं :

  • 14 मूल भाषाओं के बाद, निम्नलिखित संशोधनों द्वारा अन्य भाषाओं को जोड़ा गया:
  • 21वां संशोधन अधिनियम, 1967: इसमें सिंधी भाषा को जोड़ा गया।
  • 71वां संशोधन अधिनियम, 1992: इसके द्वारा तीन भाषाओं—कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली—को जोड़ा गया (इसे याद रखने की ट्रिक: KMN)।
  • 92वां संशोधन अधिनियम, 2003: इसके द्वारा चार भाषाओं—बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली—को जोड़ा गया (इसे याद रखने की ट्रिक: BDMS)। यह 2004 से प्रभावी हुआ
  • अंग्रेजी: ध्यान देने वाली बात यह है कि अंग्रेजी भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है, हालांकि यह भारत की एक प्रमुख आधिकारिक भाषा (Official Language) के रूप में उपयोग की जाती है।
  • शास्त्रीय भाषाएं (Classical Languages): आठवीं अनुसूची की कुछ भाषाओं को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा भी प्राप्त है (जैसे तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया)। हाल ही में (2024-25 में) कुछ और भाषाओं जैसे मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को भी यह दर्जा दिया गया है।
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार: साहित्य अकादमी इन 22 भाषाओं के अलावा अंग्रेजी और राजस्थानी (कुल 24 भाषाओं) में भी पुरस्कार प्रदान करती है

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