15 December, 2025
दिवसीय पेसा महोत्सव
Tue 23 Dec, 2025
संदर्भ :
- पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (PESA Act) की 29वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 23-24 दिसंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में दो दिवसीय पेसा महोत्सव: उत्सव लोक संस्कृति का आयोजन किया।
मुख्य बिन्दु :
- यह महोत्सव 24 दिसंबर को मनाए जाने वाले पेसा दिवस के साथ संयोजित था।
- यह आयोजन आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और स्वशासन को राष्ट्रीय मंच प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
- आयोजक: केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय (MoPR)
- लक्ष्य: पेसा के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करना और आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना
- मुख्य चर्चाएँ: जल, जंगल और जमीन पर आदिवासी समुदायों के अधिकारों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना
- सांस्कृतिक प्रदर्शन: महोत्सव में पेसा राज्यों (वर्तमान में 10 राज्य) की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया गया
- स्थल: मुख्य रूप से विशाखापत्तनम पोर्ट अथॉरिटी कैंपस, साथ ही रामकृष्ण बीच, इंडोर स्टेडियम, क्रिकेट स्टेडियम और कलावाणी ऑडिटोरियम।
- उद्घाटन: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री कोंडिडाला पवन कल्याण (पंचायती राज मंत्री) ने किया। केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने वीडियो संदेश से संबोधित किया।
- प्रतिभागी: 10 पेसा राज्यों से लगभग 2000 प्रतिनिधि, जिसमें पंचायत प्रतिनिधि, खिलाड़ी, शिल्पकार, कारीगर और सांस्कृतिक कलाकार शामिल थे।
मुख्य आकर्षण:
- पेसा रन: रामकृष्ण बीच पर शुरूआत, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग, विशेषकर आदिवासी युवा शामिल हुए।
- खेल प्रतियोगिताएं: कबड्डी, तीरंदाजी, पारंपरिक खेल जैसे चक्की खेल, उप्पन्ना बरेलु, मल्लखंब आदि। (कबड्डी में पुरुष वर्ग में मध्य प्रदेश और महिला वर्ग में झारखंड विजेता।)
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: विभिन्न राज्यों की लोक नृत्य, संगीत, आदिवासी भोजन, हस्तशिल्प और कला की प्रदर्शनी (68 स्टॉल)।
- विशेष ग्राम सभाएं: 10 पेसा राज्यों में आयोजित, जिसमें ग्राम सभा मजबूती, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, परंपराओं का preservation आदि पर चर्चा।
- शुभंकर: कृष्णा जिंका (कृष्णा हिरण) का अनावरण।
- समापन: 24 दिसंबर को, अगले वर्ष (2026) के लिए बैटन छत्तीसगढ़ को सौंपा गया।
प्रमुख पहलें और लॉन्च :
- पेसा पोर्टल: जानकारी प्रसार और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए
- पेसा इंडिकेटर्स: राज्यों में कार्यान्वयन की स्थिति का आकलन
- आदिवासी भाषाओं में प्रशिक्षण मॉड्यूल: जागरूकता और क्षमता निर्माण के लिए
- ई-बुक: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले पर, जिसमें पारंपरिक ज्ञान, संस्कृति और विरासत का दस्तावेजीकरण
पेसा (PESA) अधिनियम, 1996
- पूरा नाम: पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (Provisions of the Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act, 1996), जिसे संक्षेप में पेसा (PESA) अधिनियम कहा जाता है।
- यह अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को पारित हुआ।
- 73वें संविधान संशोधन (1992) ने पंचायती राज व्यवस्था को पूरे देश में लागू किया, लेकिन अनुसूचित क्षेत्रों (पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों) को इससे बाहर रखा गया।
- भूरिया समिति (1995) की सिफारिशों पर आधारित यह अधिनियम संविधान के भाग 9 (पंचायतों से संबंधित) के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तारित करता है, लेकिन कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ।
- इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
- मुख्य उद्देश्य: आदिवासी समुदायों को स्वशासन (ट्राइबल सेल्फ-रूल) प्रदान करना, उनकी परंपराओं, संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों (जल-जंगल-जमीन) पर अधिकारों की रक्षा करना। इसे "संविधान के भीतर संविधान" भी कहा जाता है।
- भूरिया समिति: पेसा अधिनियम की सिफारिश दिलीप सिंह भूरिया समिति (1994) द्वारा की गई थी।
- पेसा कानून लागू करने वाले 10 राज्य : आंध्र प्रदेश, 2. छत्तीसगढ़, 3. गुजरात, 4. हिमाचल प्रदेश, 5. झारखंड, 6. मध्य प्रदेश, 7. महाराष्ट्र, 8. ओडिशा, 9. राजस्थान और 10. तेलंगाना
पेसा अधिनियम की 5 प्रमुख शक्तियाँ :
- संसाधन प्रबंधन : लघु जल निकायों और गौण खनिजों (Minor Minerals) के प्रबंधन का अधिकार
- भूमि संरक्षण : अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि हस्तांतरण को रोकने और अवैध रूप से कब्जाई गई भूमि को वापस दिलाने की शक्ति
- मद्य निषेध : शराब की बिक्री और खपत को नियंत्रित या प्रतिबंधित करने का अधिकार
- लघु वन उपज (MFP) : जंगल से प्राप्त होने वाली उपज (जैसे महुआ, तेंदू पत्ता) पर स्वामित्व का अधिकार
- सामाजिक योजनाएँ : गाँवों में विकास परियोजनाओं और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लाभार्थियों का चयन करना
पंचायती राज मंत्रालय (MoPR)
- पूर्ण नाम: पंचायती राज मंत्रालय (Ministry of Panchayati Raj - MoPR), भारत सरकार
- स्थापना: इसे 27 मई 2004 को एक अलग मंत्रालय के रूप में बनाया गया था। (इससे पहले यह ग्रामीण विकास मंत्रालय का हिस्सा था)
- आधार: यह संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के प्रावधानों को लागू करने के लिए उत्तरदायी है।
- मंत्रालय का नेतृत्व: इसके प्रमुख वर्तमान में केंद्रीय पंचायती राज मंत्री (कैबिनेट मंत्री) होते हैं
मुख्य कार्य और उत्तरदायित्व :
- संवैधानिक अनुपालन: राज्यों को यह सुनिश्चित करने में मदद करना कि वे पंचायती राज व्यवस्था (भाग IX) को सही ढंग से लागू करें।
- वित्तीय सशक्तिकरण: केंद्रीय वित्त आयोग (CFC) द्वारा पंचायतों के लिए आवंटित धन का सुचारू हस्तांतरण सुनिश्चित करना।
- क्षमता निर्माण (Capacity Building): निर्वाचित प्रतिनिधियों (सरपंचों, वार्ड सदस्यों) और पंचायत कर्मियों को प्रशिक्षण देना।
- ई-गवर्नेंस: पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल समाधान (जैसे e-GramSwaraj) प्रदान करना।
- पेसा (PESA) का कार्यान्वयन: अनुसूचित क्षेत्रों में विशेष अधिकारों (PESA Act, 1996) की निगरानी करना
- राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस: हर साल 24 अप्रैल को मनाया जाता है (क्योंकि इसी दिन 1993 में 73वां संशोधन लागू हुआ था)
- केंद्रीय मंत्री- राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) (निर्वाचन क्षेत्र- मुंगेर, बिहार)
- राज्य मंत्री (MoS)- S.P. सिंह बघेल (निर्वाचन क्षेत्र- आगरा, उत्तर प्रदेश, UP)
पंचायत पुरस्कार: मंत्रालय हर साल उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली पंचायतों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत करता है:
- दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार
- नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत विकास पुरस्कार
पंचायती राज की त्रि-स्तरीय संरचना :
- ग्राम पंचायत: ग्राम स्तर पर (सबसे निचली इकाई)
- पंचायत समिति: ब्लॉक या मध्यवर्ती स्तर पर
- जिला परिषद: जिला स्तर पर (सबसे ऊपरी इकाई)









