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जी-राम-जी- विधेयक 2025

Sun 21 Dec, 2025

संदर्भ :

  • लोकसभा ने 18 दिसंबर 2025 को और राज्यसभा ने उसके तुरंत बाद "विकसित भारत – रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025" (संक्षेप में : G-RAM-G या जी-राम-जी) को पारित किया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 दिसंबर 2025 को इस विधेयक को मंजूरी दी जिससे यह अब कानून बन गया
  • केन्‍द्रसरकार के अनुसार, नया कानून ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने और 'विकसित भारत 2047' के विजन को पूरा करने के लिए लाया गया है
  • इस विधेयक ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा, 2005) का स्‍थान लिया है
  • मनरेगा को पूरी तरह निरस्त कर दिया गया है।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक प्रमुख कार्यक्रम था जिसका लक्ष्य बिना कौशल वाले काम करने को तैयार गांव के परिवारों को प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन की गारंटी वाला काम देकर रोजी-रोटी की सुरक्षा बढ़ाना था।
  • पिछले कुछ वर्षों में, कई प्रशासनिक और प्राद्यौगिक सुधारों ने इसके कार्यान्वयन को सुदृढ़ किया, जिससे सहभागिता, पारदर्शिता और डिजिटल शासन में अत्‍यधिक सुधार हुआ।
  • वित्‍त वर्ष 2013-14 और वित्‍त वर्ष 2025-26 के बीच महिलाओं की सहभागिता 48 प्रतिशत से धीरे-धीरे बढ़कर 58.15 प्रतिशत हो गई, आधार सीडिंग में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई, आधार-बेस्ड पेमेंट सिस्टम को व्‍यापक स्‍तर पर अपनाया गया और इलेक्ट्रॉनिक वेतन पेमेंट लगभग हर जगह प्रचलित हो गया।
  • कामों की निगरानी में भी सुधार हुआ, जियो-टैग्ड एसेट्स में व्‍यापक स्‍तर पर बढ़ोतरी हुई और घरेलू स्‍तर पर सृजित अलग-अलग परिसंपत्तियों का हिस्सा बढ़ा।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं :

  • प्रत्‍येक वित्‍तीय वर्ष में ऐसे ग्रामीण परिवारों को, जिनके वयस्‍क सदस्‍य स्‍वेच्‍छा से बिना कौशल वाले काम के लिए तैयार हैं, 125 दिन की मजदूरी वाले रोजगार की गारंटी देता है
  • इससे पहले के 100 दिन की पात्रता से अधिक दिनों की आय सुरक्षा में मदद मिलेगी।
  • बुवाई और कटाई के व्‍यस्‍त सीज़न में खेती में काम करने वाले मजदूरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कुल 60 दिन का नो-वर्क पीरियड होगा। शेष 305 दिनों में भी मजदूरों को 125 दिन की गारंटी वाला रोजगार प्राप्‍त होता रहेगा, जिससे किसानों और मजदूरों दोनों लाभान्वित होंगे।
  • दैनिक मज़दूरी हर सप्‍ताह या किसी भी स्थिति में, काम करने की तिथि के 15 दिन के भीतर ही वितरित कर दी जाएगी।

रोजगार सृजन को चार प्राथमिकता वाले कार्य-क्षेत्रों के माध्‍यम से अवसंरचना विकास के साथ जोड़ा गया है:

  • जल-संबंधी कार्यों के माध्यम से जल सुरक्षा
  • मुख्य-ग्रामीण अवसंरचना
  • आजीविका से संबंधित बुनियादी ढांचा
  • मौसम में बदलाव के असर को कम करने के लिए विशेष कार्य

मनरेगा बनाम विकसित भारत- जी राम जी विधेयक, 2025 :

मएनरेगा विकसित भारत–G राम G
ग्रामीण परिवारों को 100 दिन की वेतन आधारित रोजगार ग्रामीण परिवारों को 125 दिन की वेतन आधारित रोजगार
सीमित रणनीतिक ध्यान के साथ कई और बिखरी हुई श्रेणियाँ पानी की सुरक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, आजीविका और जलवायु लचीलापन पर केंद्रित 4 स्पष्ट प्राथमिकता क्षेत्र
केंद्र असाक्षर मजदूरी लागत वहन करता है, राज्य बेरोजगारी भत्ता वहन करते हैं अधिकांश राज्यों के लिए मजदूरी पर राज्य लागत-साझेदारी: 60:40, विशेष श्रेणी के कुछ क्षेत्रों के लिए: 90:10
कोई स्पष्ट वैधानिक "रोक विंडो" नहीं राज्य यह सूचित कर सकते हैं कि किसी वित्तीय वर्ष में कितने दिन का काम नहीं किया जाएगा (60 दिन तक)
मांग आधारित फंडिंग, अप्रत्याशित आवंटन मानक फंडिंग, रोजगार गारंटी की सुरक्षा के साथ पूर्वानुमान योग्य बजट सुनिश्चित करती है
ग्राम पंचायत योजना केंद्रीय भूमिका निभाती है संस्थागत समेकन और बुनियादी ढांचा योजना को जोड़ती है

वित्तीय ढांचा :

  • मजदूरी, सामग्री और प्रशासनिक खर्चों पर निधियों की कुल अनुमानित वार्षिक आवश्यकता 1,51,282 करोड़ रुपये है, जिसमें राज्य का हिस्सा भी शामिल है।
  • इसमें से केंद्र का अनुमानित हिस्सा 95,692.31 करोड़ रुपये है।
  • इस बदलाव से राज्यों पर कोई अनुचित वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
  • वित्त पोषण अवसंरचना को राज्य की क्षमता के अनुसार तैयार किया गया है।

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच निधि बंटवारे का अनुपात :

  • राज्यों के लिए : 60 : 40
  • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य : 90 : 10
  • केंद्र शासित प्रदेशों (बिना विधानसभा वाले) के लिए 100% खर्च केंद्र उठाएगा
  • इसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, AI-आधारित धोखाधड़ी का पता लगाना और PM गति शक्ति के साथ एकीकृत 'विकसित ग्राम पंचायत योजना' का प्रावधान हैराज्य पहले के ढांचे के तहत, पहले से ही सामग्री और प्रशासनिक लागतों का एक हिस्सा वहन कर रहे थे और पूर्वानुमानित मानक आवंटन के लिए किए गए उपाय से बजट में मजबूती आई है।
  • आपदाओं के दौरान राज्यों को अतिरिक्त सहायता के प्रावधान और मजबूत निगरानी तंत्र भी दुरुपयोग से उत्पन्न होने वाले दीर्घकालिक नुकसान को कम करने में मदद करते हैं और जवाबदेही के साथ-साथ राजकोषीय स्थिरता को मजबूत करते हैं।

चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र (Thematic Domains) :

  • रोजगार सृजन को अब केवल "गड्ढे खोदने" तक सीमित न रखकर चार विशिष्ट क्षेत्रों में टिकाऊ संपत्ति बनाने पर केंद्रित किया गया है:
  • जल सुरक्षा (Water Security): तालाब, चेक डैम आदि।
  • मुख्य ग्रामीण बुनियादी ढांचा (Core Rural Infrastructure): ग्रामीण सड़कें, संपर्क मार्ग।
  • आजीविका संबंधी बुनियादी ढांचा (Livelihood Assets): गोदाम, बाजार शेड, पशु शेड।
  • जलवायु लचीलापन (Climate Resilience): चरम मौसम की घटनाओं को कम करने वाले कार्य।

कार्यान्वयन और निगरानी प्राधिकरण :

  • केन्द्रीय और राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदें नीतिगत मार्गदर्शन देती हैं, कार्यान्वयन की समीक्षा करती हैं और जवाबदेही को मजबूत करती हैं।
  • राष्ट्रीय और राज्य संचालन समितियां रणनीतिक दिशा, तालमेल और निष्पादन समीक्षा का संचालन करती हैं।
  • पंचायती राज संस्थाएं योजना निर्माण और कार्यान्वयन का नेतृत्व करती हैं, जिसमें ग्राम पंचायतें लागत के हिसाब से कम से कम आधा कार्यान्वयन करती हैं।
  • जिला कार्यक्रम समन्वयक और कार्यक्रम अधिकारी योजना निर्माण, अनुपालन, भुगतान और सामाजिक लेखा-परीक्षा का प्रबंधन करते हैं।
  • ग्राम सभाएं सामाजिक लेखा-परीक्षा करने और सभी रिकॉर्ड तक पहुंच के जरिए पारदर्शिता सुनिश्चित करने में एक मजबूत भूमिका निभाती हैं।

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