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IALA काउंसिल का तीसरा सत्र

Thu 11 Dec, 2025

संदर्भ:

  • भारत ने तीसरे अंतरराष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन सहायता संगठन (IALA) काउंसिल सत्र की मेजबानी की।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • आयोजन तिथि : 8 से 12 दिसंबर
  • आयोजक: भारत में महानिदेशालय लाइटहाउस और लाइटशिप्स (DGLL), जो भारत सरकार के अधीन कार्य करता है।
  • प्रतिभागी: 42, IALAकाउंसिल के सदस्य, तीन AIMG सदस्य, 11 पर्यवेक्षक, IALA सचिवालय के प्रतिनिधि तथा 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि
  • उद्घाटन: सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री द्वारा (वर्चुअली)
  • यह आयोजन भारत के समुद्री क्षेत्र में बढ़ती साख और वैश्विक समुद्री नौवहन (Global Maritime Navigation) में इसकी नेतृत्वकारी भूमिका को दर्शाता है।

उद्देश्य:

  • 75 लाइटहाउस स्थलों तक डिजिटल पहुंच, पारदर्शिता और पर्यटन को बढ़ावा देना
  • सभी लाइटहाउस सौर ऊर्जा से संचालित, पर्यटन में लगातार वृद्धि

डिजिटल टिकेटिंग पोर्टल भी लॉन्च :

  • उद्घाटन के दौरान मंत्री ने लाइटहाउस टूरिज़्म के लिए एक डिजिटल टिकेटिंग पोर्टल भी लॉन्च किया, जो देशभर के 70–75 लाइटहाउस स्थलों के लिए ऑनलाइन बुकिंग और विज़िटर मैनेजमेंट को सक्षम बनाता है।
  • यह पोर्टल “ईज़ ऑफ ट्रैवल” और डिजिटल गवर्नेंस के तहत समुद्री विरासत को पर्यटन परिसंपत्ति (tourism asset) के रूप में विकसित करता है, तटीय अर्थव्यवस्था (coastal economy), स्थानीय रोजगार और सतत पर्यटन को बढ़ावा देता है; साथ ही राजस्व पारदर्शिता और डेटा‑आधारित प्लानिंग में मदद करेगा

भारत के लिए रणनीतिक महत्व :

  • मेरीटाइम अमृत काल विजन 2047 (Maritime Amrit Kaal Vision 2047) : भारत सरकार ने 2047 तक देश के समुद्री क्षेत्र को बदलने का लक्ष्य रखा है। IALA जैसे संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाना इस विजन का हिस्सा है, जिससे भारत को एक 'ग्लोबल मेरीटाइम पावर' के रूप में स्थापित किया जा सके।
  • मरीन एड्स टू नेविगेशन एक्ट, 2021 : भारत ने पुराने 'लाइटहाउस एक्ट, 1927' को बदलकर 'मरीन एड्स टू नेविगेशन एक्ट, 2021' लागू किया है। यह नया कानून IALA के मानकों के अनुरूप है और आधुनिक नेविगेशन सहायता के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इस सत्र का आयोजन इस नई नीतिगत दिशा का समर्थन करता है।
  • तकनीकी उन्नति और सुरक्षा : भारत अपने विशाल समुद्र तट (7,500 किमी से अधिक) की सुरक्षा और व्यापार को सुगम बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपना रहा है।
  • 'ग्लोबल साउथ' का नेतृत्व : IALA एक 'अंतर सरकारी संगठन' (IGO) बनने की प्रक्रिया में है। भारत इस परिवर्तन का पुरजोर समर्थन कर रहा है। ऐसे सत्रों की मेजबानी करके, भारत विकासशील देशों (Global South) की समुद्री चिंताओं को वैश्विक मंच पर रखने का कार्य कर रहा है।
  • समुद्री शक्ति की छवि: ऐसे वैश्विक मंच की मेजबानी से भारत खुद को “rule-shaper” के रूप में प्रोजेक्ट करता है, जो इंडो‑पैसिफ़िक में नौवहन स्वतंत्रता, सुरक्षित सी‑लेन्स और मानकीकृत एड्स टू नेविगेशन पर नेतृत्व कर सकता है।
  • ब्लू इकोनॉमी और तटीय विकास: लाइटहाउस टूरिज़्म, पोर्ट‑सेंट्रिक इंडस्ट्री और तटीय समुदायों के लिए वैकल्पिक रोजगार अवसरों को जोड़कर, यह पहल SDG 14 (लाइफ बिलो वॉटर) और SDG 8 (डिसेंट वर्क एंड इकोनॉमिक ग्रोथ) के अनुरूप है।
  • डिजिटल और हरित ट्रांज़िशन: डिजिटल टिकेटिंग और पूरी तरह सौर‑ऊर्जा चालित लाइटहाउस यह दिखाते हैं कि भारत maritime domain में भी decarbonisation और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को साथ‑साथ आगे बढ़ा रहा है, जो भविष्य के “स्मार्ट पोर्ट” और “स्मार्ट कोस्ट” विज़न की नींव है।

‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मरीन एड्स टू नेविगेशन एंड लाइटहाउस अथॉरिटीज’ (IALA)

  • एक अंतरसरकारी संगठन (IGO) है, जो समुद्री नौवहन सहायक उपकरणों के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है
  • यह संगठन का प्रमुख निर्णय लेने वाला निकाय है
  • स्थापना: 1957
  • मुख्यालय: सेंट-जर्मेन-एन-ले, फ्रांस
  • कार्य: IALA एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी, तकनीकी संगठन है जो समुद्री नेविगेशन में प्रयुक्त होने वाली नेविगेशनल सहायता (AtoN) प्रणालियों के लिए मानक और दिशानिर्देश विकसित करता है
  • भारत और IALA: भारत वर्ष 1957 में अपनी स्थापना के बाद से IALA का एक दीर्घकालिक सदस्य रहा है और वर्ष 1980 से लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय के माध्यम से परिषद का सदस्य रहा है
  • भारत IALA का एक सक्रिय सदस्य रहा है और IALA काउंसिल में चार साल के कार्यकाल (2022-2026) के लिए चुना गया है।

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