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भारत की ऊर्जा उपलब्धि: पंचामृत लक्ष्य की प्राप्ति

Wed 10 Dec, 2025

संदर्भ :

  • भारत ने वर्ष 2025 में अपनी कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों (नवीकरणीय ऊर्जा, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा) से प्राप्त कर लिया है, जो पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) और COP26 में घोषित 'पंचामृत' लक्ष्यों में से एक का हिस्सा है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • लक्ष्य : 2030 तक 50% गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल करना(पांच वर्ष पहले ही पूरा कर लिया)

संदर्भ और पंचामृत लक्ष्य का महत्व :

  • 'पंचामृत' लक्ष्य की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने COP26 जलवायु शिखर सम्मेलन (ग्लासगो, 2021) में की थी।
  • ये पांच लक्ष्य भारत की दीर्घकालिक जलवायु कार्रवाई रणनीति का केंद्र बिंदु हैं।
  • 50% गैर-जीवाश्म क्षमता का लक्ष्य इन्हीं में से एक है।

 

पंचामृत लक्ष्य मूल समय-सीमा 2025 में प्राप्ति का महत्व
1. वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक ले जाना। 2030 50% क्षमता का शुरुआती अधिग्रहण 500 GW के विशाल लक्ष्य की ओर मजबूत गति दर्शाता है।
2. वर्ष 2030 तक 50% ऊर्जा आवश्यकताएँ नवीकरणीय स्रोतों से पूरी करना। 2030 स्थापित क्षमता के 50% की प्राप्ति इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
3. वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी। 2030 गैर-जीवाश्म क्षमता में वृद्धि सीधे तौर पर उत्सर्जन में कटौती करेगी, जिससे यह लक्ष्य भी जल्दी हासिल हो सकता है।
4. वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना। 2070 अल्पकालिक लक्ष्य की समय से पूर्व प्राप्ति 2070 के दीर्घकालिक लक्ष्य के लिए आधार तैयार करती है।

 

 

 

 

समय से पूर्व उपलब्धि के प्रमुख चालक

सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन :

  • राष्ट्रीय सौर मिशन और पवन ऊर्जा नीतियाँ: इन मिशनों के तहत बड़े पैमाने पर उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ और पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की गईं, जिसने घरेलू विनिर्माण और परियोजना विकास को बढ़ावा दिया।
  • नीलामी तंत्र की पारदर्शिता: प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया (Competitive Bidding) और 'मस्ट-रन' स्थिति (Must-Run Status) ने निजी निवेशकों के लिए जोखिम कम किया और सौर तथा पवन ऊर्जा की कीमतों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर ला दिया।
  • नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व (RPO): राज्यों के लिए अनिवार्य नवीकरणीय ऊर्जा खरीद लक्ष्यों ने मांग को लगातार बनाए रखा।

नीतिगत पहल:

  • पीएम सूर्य घर योजना: 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सौर, 17 GW क्षमता जोड़ी।
  • पीएम-कुसुम: किसानों के लिए सौर पंप, ~9 GW क्षमता (2025 में)।
  • सोलर पार्क योजना: 55 पार्क, 39,958 MW क्षमता स्वीकृत।
  • हरित ऊर्जा गलियारा: अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन नेटवर्क मजबूत, ISTS शुल्क छूट (25% से शुरू)।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: सौर PV विनिर्माण को बढ़ावा, लागत 80% घटी
  • निवेश और बाजार: 2022 में जीवाश्म आयात पर $100 अरब खर्च। नवीकरणीय ने इसे कम किया। राजस्थान/गुजरात जैसे राज्यों में सौर पार्कों से अरबों का निवेश, 50,000+ नौकरियां।
  • तकनीकी प्रगति: बैटरी स्टोरेज (BESS) में 5.4 GW कोलोकेटेड सौर-BESS आवंटित। हाइब्रिड प्रोजेक्ट (सौर+पवन) बढ़े।
  • वैश्विक रैंकिंग: IRENA 2025 के अनुसार, सौर में 3रा, पवन/कुल RE में 4था स्थान।

प्रभाव:

  • पर्यावरणीय: CO2 उत्सर्जन में कमी, 2030 लक्ष्य (1 अरब टन) की ओर मजबूत कदम। नेट-जीरो 2070 के लिए आधार।
  • आर्थिक: आयात निर्भरता घटी ($4 अरब बचत इथेनॉल ब्लेंडिंग से)। C&I सेक्टर में 6 GW जोड़ी (2025 में), 2030 तक 60-80 GW अनुमानित। रोजगार: लाखों नौकरियां (राजस्थान में 50,000+ प्रत्यक्ष)।
  • ऊर्जा सुरक्षा: 2040 तक ऊर्जा मांग दोगुनी (15,820 TWh)। RE ने विविधता लाई, ग्रिड स्थिरता बढ़ाई।
  • वैश्विक प्रभाव: विकासशील देशों के लिए मॉडल। भारत ने 2022-24 में वैश्विक सौर जोड़ में 46 GW योगदान दिया।

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