08 December, 2025
5वीं द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक
Tue 09 Dec, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2025–26 (FY26) की 58वीं और 5वीं द्वि-मासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 3 से 5 दिसंबर 2025 तक आयोजित की।
मुख्य बिन्दु :
- बैठक की अध्यक्षता RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की।
- बैठक में शामिल MPC के सदस्य : डॉ. नागेश कुमार, सॉगाता भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. पूनम गुप्ता एवं इंद्रनील भट्टाचार्य
- MPC ने नीतिगत रेपो दर को कम करने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया, तथा तटस्थ रुख बनाए रखा, जबकि एक सदस्य ने उदार रुख अपनाने का सुझाव दिया
- RBI ने 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विनिमय के लिए खुले बाजार में परिचालन की योजना बनाई है।
मौद्रिक नीति दरें और रुख :
- MPC ने मुद्रास्फीति में आई तेज गिरावट और विकास में नरमी के शुरुआती संकेतों को देखते हुए आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती का फैसला किया।
| नीतिगत दर (Policy Rate) | पूर्व दर | नई दर |
| रेपो दर (Repo Rate) | 5.25% | |
| स्थायी जमा सुविधा (SDF) | 5.00% | |
| सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) | 5.50% | |
| बैंक दर (Bank Rate) | 5.50% | |
| रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) | 3.35% | |
| नकद आरक्षित अनुपात (CRR) | 3.00% | 3.00% |
| वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) | 18.00% | 18.00% |
आर्थिक अनुमान (Economic Projections) :
| मापदंड | अवधि | अनुमान |
| वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि | FY26 | 7.3% |
| CPI मुद्रास्फीति (Inflation) | FY26 | 2.0% (लक्ष्य 4% +/- 2%) |
| चालू खाता घाटा (CAD) | Q2: FY26 | 1.3% तक कम हुआ |
- GDP: Q2 (जुलाई-सितंबर 2025) में GDP ने 7.2% की उच्च वृद्धि दर्ज की।
- मुद्रास्फीति: FY26 के लिए CPI मुद्रास्फीति का अनुमान 2.0% तक संशोधित किया गया है।
तरलता प्रबंधन (Liquidity Management) और विदेशी विनिमय :
- ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO): RBI ने ₹1 ट्रिलियन (1 लाख करोड़) की सरकारी प्रतिभूतियों की OMO खरीद की घोषणा की, जिसका उद्देश्य प्रणाली में पर्याप्त और टिकाऊ तरलता (Liquidity) सुनिश्चित करना है।
- डॉलर/रुपया अदला-बदली (USD/INR Swap): 3 साल के लिए $5 बिलियन की USD/INR बाय/सेल स्वैप करने का निर्णय लिया गया।
- विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves): 28 नवंबर, 2025 तक, भारत का भंडार $686.2 बिलियन रहा, जो 11 महीने से अधिक के आयात कवर के लिए पर्याप्त है।
उपभोक्ता संरक्षण :
- अभियान: RBI ने लोकपाल के पास एक महीने से अधिक समय से लंबित सभी शिकायतों को हल करने के लिए 1 जनवरी 2026 से दो महीने का विशेष अभियान शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC)
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक छह-सदस्यीय समिति है, जो भारत में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विकास को संतुलित करने के लिए नीतिगत ब्याज दरों (मुख्य रूप से रेपो दर) को निर्धारित करती है
- RBI गवर्नर पदेन अध्यक्ष होते हैं और सरकार द्वारा नियुक्त तीन बाहरी सदस्य भी शामिल होते हैं।
- इसका मुख्य लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य (वर्तमान में 4% ±2%) के भीतर कीमतों को स्थिर रखना और विकास को बढ़ावा देना है, जिसके लिए यह द्वैमासिक बैठकें करती है।
- उद्देश्य: मूल्य स्थिरता (मुद्रास्फीति नियंत्रण) और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
MPC में कुल छह (6) सदस्य होते हैं:
| सदस्यों की संख्या | स्रोत | पद |
| 3 सदस्य | भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) | RBI गवर्नर (अध्यक्ष), डिप्टी गवर्नर (प्रभारी), और एक RBI अधिकारी। |
| 3 सदस्य | केंद्र सरकार | केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ (आमतौर पर अर्थशास्त्री)। |
- निर्णय: बहुमत से, टाई होने पर गवर्नर का निर्णायक मत होता है
- बैठकें: वर्ष में कम से कम 4 बार, आमतौर पर प्रति दो महीने में
- प्रमुख उपकरण: रेपो दर
- स्थापना: पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए 2016 में हुई
MPC द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य उपकरण :
- रेपो दर (Repo Rate): वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। रेपो दर को कम करने से बैंकों के लिए पैसा सस्ता होता है और वे ग्राहकों को सस्ता ऋण दे सकते हैं।
- रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate): वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों से पैसा उधार लेता है (या उन्हें उनके अतिरिक्त धन पर ब्याज देता है)।
- स्थायी जमा सुविधा (SDF): यह वह दर है जिस पर बैंक RBI के पास बिना किसी संपार्श्विक (Collateral) के पैसा जमा कर सकते हैं। यह MSF के मुकाबले रेपो दर के समान फ्लोर (निचली सीमा) के रूप में कार्य करता है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): वह दर जिस पर वाणिज्यिक बैंक अत्यधिक अल्पकालिक या आपातकालीन स्थिति में RBI से उधार ले सकते हैं।
नोट : MPC भारतीय अर्थव्यवस्था की तरलता (Liquidity) और ऋण लागत (Cost of Credit) को नियंत्रित करके मुद्रास्फीति और विकास को प्रभावित करती है।









