08 December, 2025
‘वित्तीय समावेशन राष्ट्रीय रणनीति 2025-30’ (NSFI 2025-30)
Wed 03 Dec, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘वित्तीय समावेशन राष्ट्रीय रणनीति 2025-30’ (NSFI 2025-30) जारी किया है, जो वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति द्वारा अनुमोदित है।
मुख्य बिन्दु :
- जारीकर्ता: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के अनुमोदन के बाद
- लक्ष्य: वित्तीय समावेशन को मात्रा निर्धारित करने वाले RBI के FI-सूचकांक को और ऊपर ले जाना। यह रणनीति अंतिम छोर तक विश्वसनीय पहुँच (last-mile access) और सेवाओं के प्रभावी उपयोग पर केंद्रित है। (FI-सूचकांक 2025 में बढ़कर 67 हो गया, जो 2021 की तुलना में 24.3% अधिक है)
- अवधि: 1 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2030 तक
किन-किन क्षेत्र/सेवाओं को शामिल किया गया :
- NSFI 2025-30 का उद्देश्य है कि निम्न सेवाएँ और सुविधाएँ हर घर, हर व्यक्ति, हर सूक्ष्म/लघु व्यवसाय-स्वामी तक पहुँचें:
- बचत खाता, भुगतान (payments), प्रेषण (remittance)
- क्रेडिट / लोन, निवेश (investment schemes)
- बीमा (insurance), पेंशन (pension)
- डिजिटल बैंकिंग / मोबाइल-बैंकिंग, डिजिटल भुगतान माध्यम
- वित्तीय शिक्षा, जानकारी, जागरूकता
- ग्राहक सुरक्षा, शिकायत निवारण
रणनीतिक स्तंभ: 'पंच-ज्योति' (Panch-Jyoti) :
- NSFI 2025-30 पाँच प्रमुख रणनीतिक उद्देश्यों पर केंद्रित है, जिन्हें सामूहिक रूप से 'पंच-ज्योति' (Five Lights) कहा गया है।
- इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कुल 47 विशिष्ट कार्य बिंदु (Action Points) निर्धारित किए गए हैं।
- इनका क्रियान्वयन विभिन्न नियामक निकायों (RBI, SEBI, IRDAI, PFRDA) और संस्थानों द्वारा किया जाएगा।
वित्तीय सेवाओं का संवर्धन (Enhancement of Financial Services):
- उद्देश्य: घरों और सूक्ष्म उद्यमों के लिए समान, जिम्मेदार और सस्ती वित्तीय सेवाएं प्रदान करना।
- फोकस: यह सुनिश्चित करना कि बैंक खाता, लेनदेन, भुगतान, बचत, ऋण और बीमा जैसी सभी आवश्यक वित्तीय सेवाएं समाज के हर वर्ग को सुलभ हों।
लैंगिक-संवेदनशील समावेशन (Gender-Sensitive Inclusion):
- उद्देश्य: महिलाओं-केंद्रित रणनीतियों को लागू करना और कमजोर एवं वंचित समूहों का समर्थन करना।
- फोकस: वित्तीय समावेशन में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए विशेष प्रयास करना और यह सुनिश्चित करना कि वित्तीय उत्पाद महिलाओं तथा हाशिये पर रहने वाले समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हों।
जीविकोपार्जन और वित्त का संबंध (Livelihood and Finance Linkage):
- उद्देश्य: कौशल विकास और आजीविका कार्यक्रमों को औपचारिक वित्तीय सेवाओं से जोड़ना।
- फोकस: यह सुनिश्चित करना कि लोग न केवल वित्तीय सेवाओं तक पहुंचें, बल्कि उनका उपयोग अपनी आजीविका को बढ़ाने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए भी कर सकें, जैसे कि छोटे ऋण और व्यावसायिक वित्तपोषण।
वित्तीय शिक्षा (Financial Education):
- उद्देश्य: वित्तीय साक्षरता का उपयोग करके जिम्मेदार वित्तीय व्यवहार और अनुशासन को बढ़ावा देना।
- फोकस: उपभोक्ताओं को विभिन्न वित्तीय उत्पादों, उनके जोखिमों और लाभों के बारे में शिक्षित करना ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें और धोखाधड़ी से बच सकें।
उपभोक्ता संरक्षण (Consumer Protection):
- उद्देश्य: ग्राहक संरक्षण और शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करना ताकि विश्वसनीयता एवं पहुँच बेहतर हो सके।
- फोकस: एक ऐसा विश्वसनीय और सुरक्षित माहौल बनाना जहाँ ग्राहक वित्तीय सेवाओं का उपयोग करते समय सुरक्षित महसूस करें। इसमें मजबूत शिकायत निवारण प्रणाली और कानूनी ढाँचे शामिल हैं।
प्रमुख कार्यान्वयन बिंदु :
- समन्वित प्रयास: रणनीति को सफल बनाने के लिए RBI, SEBI, IRDAI, PFRDA, वित्त मंत्रालय और विकास संस्थानों जैसे सभी हितधारकों के बीच घनिष्ठ सहयोग अनिवार्य है।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: डिजिटल वित्तीय सेवाओं की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे (विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में) का विस्तार और स्थिरता महत्वपूर्ण है।
- प्रदर्शन संकेतक: रणनीति की प्रगति को RBI के वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) जैसे उपकरणों का उपयोग करके मापा जाएगा, जो 2025 में 67 तक पहुँच गया है (2021 से 24.3% की वृद्धि)।
वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करने हेतु सरकारी पहलें :
- मूलभूत आधार: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) (2014) वित्तीय समावेशन की दिशा में यह योजना एक मील का पत्थर साबित हुई है। इसकी शुरुआत 2014 में हुई थी, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना था। इस योजना के माध्यम से 56 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जिसने ग्रामीण और वंचित आबादी को औपचारिक वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- रणनीतिक ढाँचा: राष्ट्रीय रणनीति (NSFI 2019-2024) वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSFI) का पिछला चरण (2019-2024) एक महत्वपूर्ण कार्ययोजना (Roadmap) थी। इस रणनीति ने देश में वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक और सस्ती पहुँच सुनिश्चित करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश और लक्ष्य निर्धारित किए थे, जिसने वर्तमान (2025-2030) रणनीति की नींव रखी।
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर: जैम ट्रिनिटी (JAM Trinity) सरकार ने जन धन (J), आधार (A), और मोबाइल (M) को मिलाकर 'जैम ट्रिनिटी' नामक एक अनूठा डिजिटल पब्लिक गुड्स अवसंरचना तैयार की है। यह ट्रिनिटी सरकारी लाभों (DBT) और वित्तीय सेवाओं को सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाने का मुख्य माध्यम बनी है।
- व्यापक मिशन: डिजिटल इंडिया केंद्र सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने न केवल शासन (Governance) को बदला है, बल्कि इसने डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुँच को भी व्यापक रूप से बढ़ाया है। इसने मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी का लाभ उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी बैंकिंग और भुगतान सेवाओं के उपयोग को सरल और सुलभ बनाया है।
भारत में वित्तीय समावेशन की प्रगति का आकलन :
- FI-सूचकांक में उछाल: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा मापा जाने वाला वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) वर्ष 2025 में बढ़कर 67 के स्तर पर पहुँच गया है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि मात्र चार वर्षों (2021 से) में इस सूचकांक में 24.3% की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, जो सेवाओं की पहुँच और उपयोग में सुधार को दर्शाता है।
- जन धन योजना का व्यापक विस्तार: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) देश में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार का आधार बनी है। इस योजना के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या अब 55.98 करोड़ तक पहुँच चुकी है, जो वित्तीय पहुँच को सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- लक्षित अभियानों की सफलता: वित्तीय समावेशन योजनाओं को शत-प्रतिशत संतृप्ति (Saturation) तक पहुँचाने के लिए चलाए गए एक महीने के विशेष अभियान के दौरान 6.65 लाख नए बैंक खाते खोले गए। यह दर्शाता है कि लक्षित और समयबद्ध प्रयासों के माध्यम से भी वंचितों को सफलतापूर्वक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा जा रहा है।
- वैश्विक स्तर पर पहचान: विश्व बैंक की ग्लोबल फाइनडेक्स (Global Findex) 2025 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 के बाद से भारत में बैंक खाता रखने वाले वयस्कों का प्रतिशत तेजी से बढ़ा है, जो 89% के उच्च स्तर पर पहुँच गया है। रिपोर्ट इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि निष्क्रिय खातों की संख्या में कमी आई है और सक्रिय रूप से खाते का उपयोग करने वाले वयस्कों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है।









