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REPM विनिर्माण प्रोत्साहन योजना को मंजूरी

Thu 27 Nov, 2025

संदर्भ :

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7,280 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह योजना भारत को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत महत्वपूर्ण खनिजों में स्वावलंबी बनाने का एक रणनीतिक कदम है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), नवीकरणीय ऊर्जा, एयरोस्पेस, रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में उपयोग होने वाले उच्च-प्रदर्शन वाले चुंबकों की घरेलू उत्पादन क्षमता विकसित करेगी।
  • योजना का उद्देश्य 6,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MTPA) एकीकृत REPM उत्पादन क्षमता स्थापित करना है, जो NdPr ऑक्साइड से NdFeB चुंबकों तक पूर्ण मूल्य श्रृंखला कवर करेगी: ऑक्साइड → धातु → मिश्र धातु → तैयार चुंबक
  • योजना का नाम : सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना
  • अवधि : 7 वर्ष (2 वर्ष गेस्टेशन पीरियड + 5 वर्ष प्रोत्साहन वितरण)
  • कुल परिव्यय : ₹7,280 करोड़ (₹6,450 करोड़ बिक्री-आधारित प्रोत्साहन + ₹750 करोड़ पूंजी सब्सिडी)
  • क्षमता : 6,000 MTPA (5 लाभार्थियों को वैश्विक बोली से 1,200 MTPA प्रत्येक)
  • प्रक्रिया : वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली; एकीकृत सुविधाएं स्थापित करना
  • लाभ : रोजगार सृजन, आत्मनिर्भरता, नेट जीरो 2070 समर्थन
  • यह पहल 'आत्मनिर्भर भारत' और 'विकसित भारत @ 2047' के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव :

  • आर्थिक: EV और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में स्थानीयकरण से ऑटो OEMs और कंपोनेंट निर्माताओं की वृद्धि होगी। SIAM के अनुसार, यह EV उत्पादन को 2-3% सस्ता बना सकता है। 2025-2030 तक REPM मांग दोगुनी होने का अनुमान है। EY इंडिया के अनुसार, यह क्रिटिकल मिनरल्स इकोसिस्टम को मजबूत करेगा।
  • रोजगार: निर्माण और प्रसंस्करण सुविधाओं से हजारों नौकरियां सृजित होंगी, विशेषकर दक्षिण भारत में
  • पर्यावरणीय: स्वच्छ ऊर्जा ट्रांजिशन को बढ़ावा; लेकिन जिम्मेदार खनन (ESG मानक) आवश्यक

चीन पर निर्भरता कम करना :

  • वर्तमान में, भारत अपनी REPM की लगभग संपूर्ण मांग के लिए आयात पर निर्भर है, और वैश्विक बाजार में चीन का लगभग 90% एकाधिकार है।
  • यह भू-राजनीतिक (geopolitical) रूप से एक बड़ा जोखिम है।
  • यह योजना चीन के प्रभुत्व को चुनौती देकर भारत के लिए आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (Supply Chain Resilience) सुनिश्चित करेगी।

हरित ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन :

  • यह योजना भारत के शुद्ध शून्य (Net Zero) उत्सर्जन 2070 के लक्ष्य को सीधे समर्थन देती है:
  • यह स्वच्छ तकनीक (EVs और पवन ऊर्जा) के लिए महत्वपूर्ण घटकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
  • अनुमान है कि यह पहल लगभग 3 करोड़ लीटर तेल आयात को कम करेगी और 16 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करेगी।

अवसर:

  • वैश्विक स्थिति: भारत को REPM निर्यातक बना सकता है, विशेषकर QUAD देशों के लिए
  • उद्योग समर्थन: ऑटो उद्योग (ACMA, SIAM) ने स्वागत किया, EV और डिफेंस को लाभ
  • दीर्घकालिक: 2030 तक मांग वृद्धि से GDP में योगदान

योजना का पृष्ठभूमि और महत्व :

  • रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) जैसे नियोडिमियम (Nd), प्रासियोडिमियम (Pr), डिस्प्रोसियम (Dy) आदि से बने REPM दुनिया के सबसे मजबूत स्थायी चुंबक हैं, जिनका कोई वैकल्पिक विकल्प नहीं है।
  • ये EV मोटरों, विंड टरबाइनों, फाइटर जेट्स (जैसे F-35), स्मार्टफोन्स, MRI मशीनों और डिफेंस उपकरणों में उपयोग होते हैं।

वर्तमान स्थिति:

  • भारत FY 2024-25 में 53,000 मीट्रिक टन से अधिक REPM आयात करता है, मुख्यतः चीन से (90% वैश्विक उत्पादन)।
  • अप्रैल 2025 से चीन के सख्त निर्यात नियंत्रण (US टैरिफ के जवाब में) ने भारतीय ऑटोमोबाइल और EV उद्योग को प्रभावित किया है, जिससे उत्पादन में देरी और कीमतों में वृद्धि हुई।
  • भारत के पास 69 लाख टन REE भंडार (विश्व का 5वां सबसे बड़ा) है, मुख्यतः केरल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों पर, लेकिन प्रसंस्करण क्षमता की कमी के कारण आयात पर निर्भरता बनी हुई है।

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