08 December, 2025
20वाँ G-20 शिखर सम्मेलन
Tue 25 Nov, 2025
संदर्भ :
- 20वें G-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 22-23 नवंबर 2025 तक दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहान्सबर्ग में किया गया।
मुख्य बिन्दु :
- यह शिखर सम्मेलन अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित होने वाला पहला G-20 शिखर सम्मेलन था।
- मेज़बान देश: दक्षिण अफ्रीका
- शहर: जोहान्सबर्ग (Johannesburg)
- तारीखें: 22-23 नवंबर 2025
- भारत का प्रतिनिधित्व : प्रधानमंत्री मोदी द्वारा
- अध्यक्षता: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा (Cyril Ramaphosa) ने इसकी अध्यक्षता की।
- विषय (Theme): "एकजुटता, समानता और स्थिरता" (Solidarity, Equality and Sustainability)
- थीम विशेष रूप से तीन व्यापक प्राथमिकताओं पर केंद्रित थी:
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- समावेशी और सतत विकास: आर्थिक असमानता को दूर करना, गरीबी और भुखमरी से लड़ना, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को पुनर्जीवित करना
- जलवायु वित्त और आपदा लचीलापन: विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत ऊर्जा परिवर्तन के लिए वित्त जुटाना और आपदा जोखिमों को कम करने के लिए समन्वयित कार्रवाई को मजबूत करना
- वैश्विक शासन में सुधार: बहुपक्षीय संस्थानों (जैसे UN, WTO, MDBs) में सुधार करके उन्हें अधिक समावेशी और ग्लोबल साउथ के लिए प्रतिनिधि बनाना
- यह लगातार चौथा G20 शिखर सम्मेलन था जिसकी अध्यक्षता ग्लोबल साउथ के देशों ने की (इंडोनेशिया-2022, भारत-2023, ब्राजील-2024, और अब दक्षिण अफ्रीका-2025)
- इसने वैश्विक आर्थिक शासन में इन देशों की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
- दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता का मुख्य उद्देश्य वैश्विक असमानता को कम करना और अफ्रीकी महाद्वीप के लिए औद्योगिक विकास तथा महत्वपूर्ण खनिजों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना था
- शिखर सम्मेलन को संयुक्त राज्य अमेरिका (और चीन के राष्ट्रपति) के शीर्ष नेताओं की अनुपस्थिति के कारण भू-राजनीतिक तनाव का सामना करना पड़ा।
- अमेरिका ने दक्षिण अफ़्रीका के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण इसमें भाग नहीं लिया
महत्वपूर्ण परिणाम और घोषणा-पत्र :
- नेताओं ने "जोहान्सबर्ग घोषणा-पत्र" नामक 122-बिंदुओं वाले एक व्यापक संयुक्त दस्तावेज़ को अपनाया, जिसने सर्वसम्मति से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की प्रतिबद्धता जताई।
घोषणा-पत्र की खास बातें:
- जलवायु कार्रवाई: वैश्विक नेट-ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ऊर्जा संक्रमण रणनीतियों को तेज करने का आह्वान किया गया। यह भी स्वीकार किया गया कि जलवायु अनुकूलन के लिए विकासशील देशों को 2035 तक कम से कम $1.3 ट्रिलियन जुटाने की आवश्यकता है।
- ऋण राहत: कमजोर और कम आय वाले देशों के लिए ऋण स्थिरता ढांचे को मजबूत करने और ऋण पुनर्गठन प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाने पर ज़ोर दिया गया।
- बहुपक्षीय सहयोग: घोषणा-पत्र ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों के पालन की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो भू-राजनीतिक तनावों के बीच शांतिपूर्ण समाधान का संदेश देता है।
- महत्वपूर्ण खनिज: लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक सतत फ्रेमवर्क पर जोर दिया गया, ताकि इन संसाधनों से ग्लोबल साउथ को अधिक लाभ मिल सके।
भारत की भूमिका:
- भारत ने वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) की आवाज को मजबूती से उठाया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो "वसुधैव कुटुम्बकम्" (विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत पर आधारित था।
- उन्होंने वैश्विक विकास मॉडल पर पुनर्विचार, आतंकवाद की आर्थिक रीढ़ (जैसे ड्रग-टेरर नेक्सस) को तोड़ने और ग्लोबल साउथ के लिए संसाधन समानता पर जोर दिया।
- यह भारत की "ओन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर" की दृष्टि को प्रतिबिंबित करता है, जो 2023 के दिल्ली G20 से चली आ रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन प्रमुख प्रस्ताव दिए :
- विकास मॉडल पर पुनर्विचार : पारंपरिक विकास पैरामीटर्स (जैसे GDP-केंद्रित) को बदलने की मांग। मोदी ने कहा कि ये मॉडल असमानता और पर्यावरण क्षति बढ़ाते हैं, खासकर अफ्रीका में। इसके बजाय, मानव-केंद्रित, सतत मॉडल अपनाने का आह्वान—जैसे हरित ऊर्जा और डिजिटल समावेश। यह भारत के "इंटीग्रल ह्यूमनिज्म" (पूर्ण मानवतावाद) से प्रेरित है, जो प्रकृति, समाज और व्यक्ति के सामंजस्य पर जोर देता है।
- आतंकवाद की रीढ़ तोड़ना : ड्रग-टेरर नेक्सस पर G20 पहल का प्रस्ताव। सिंथेटिक ड्रग्स (जैसे फेंटेनिल) के नेटवर्क को तोड़ने के लिए वित्तीय, खुफिया और सुरक्षा उपायों का बहु-आयामी फ्रेमवर्क। मोदी ने इसे "ड्रग-टेरर इकोनॉमी" को ध्वस्त करने का तरीका बताया, जो आतंकवाद को फंड करता है। यह भारत की "जीरो टॉलरेंस" नीति का विस्तार है।
- ग्लोबल साउथ के लिए संसाधन समानता : महत्वपूर्ण खनिजों (क्रिटिकल मिनरल्स) की चक्रीय अर्थव्यवस्था पर जोर—रीसाइक्लिंग, अर्बन माइनिंग और "सेकंड लाइफ" बैटरी। विकासशील देशों को साफ ऊर्जा संक्रमण में समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए।
- प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत फरवरी 2026 में “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” विषय पर एआई इम्पैक्ट समिट की मेजबानी करेगा और सभी G20 देशों को आमंत्रित करेगा
G-20 (Group of Twenty)
- स्थापना: 1999, वर्ष 1997-98 के वित्तीय संकट के बाद
- 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद इसे राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर पर अपग्रेड किया गया।
- ‘अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच’ के रूप में नामित : 2009
- सदस्यता: 19 देश और यूरोपीय संघ, अफ्रीकी संघ (वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान शामिल) शामिल हैं
- G-20 का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है
- संचालन : वार्षिक रूप से चक्रीय अध्यक्षता द्वारा
- अध्यक्षता के लिए चयन : पाँच क्षेत्रीय समूहों में से(यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ इन समूहों से परे हैं)
| समूह | घटक राष्ट्र (Constituent Nations) |
| समूह 1 | ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, संयुक्त राज्य अमेरिका |
| समूह 2 | भारत, रूस, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए |
| समूह 3 | अर्जेंटीना, ब्राजील, मेक्सिको |
| समूह 4 | फ्राँस, जर्मनी, इटली, यूनाइटेड किंगडम |
| समूह 5 | चीन, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य |









