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"द स्टेट ऑफ़ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन (SoWC) रिपोर्ट 2025"

Fri 21 Nov, 2025

संदर्भ :

  • यूनिसेफ ने “द स्टेट ऑफ़ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन (SoWC) रिपोर्ट 2025” जारी की है, जिसका शीर्षक "बाल निर्धनता की समाप्ति - हमारी साझा आवश्यकता" है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह रिपोर्ट छह श्रेणियों में वंचनाओं (अभावों) को मापकर बहुआयामी निर्धनता का आकलन करती है।
  • आधार: यह रिपोर्ट बच्चों के बीच की बहुआयामी निर्धनता (Multidimensional Poverty) पर व्यापक रूप से ध्यान केंद्रित करती है, जिसका अर्थ है कि यह केवल आय की कमी को नहीं, बल्कि आवश्यक सेवाओं (शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, जल, स्वच्छता, और आवास) से वंचित होने को भी देखती है।
  • निम्न और मध्यम-आय वाले देशों (LMICs) के 130 से अधिक डेटा का उपयोग करके बहुआयामी गरीबी का आकलन किया है।

1. शिक्षा (Education): गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच का अभाव

2. स्वास्थ्य (Health): आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी

3. आवास (Housing): सुरक्षित और पर्याप्त आवास का अभाव

4. पोषण (Nutrition): अल्पपोषण या आवश्यक पोषक तत्वों की कमी

5. स्वच्छता (Sanitation): बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं की कमी

6. जल आपूर्ति (Water): स्वच्छ पेयजल तक पहुँच का अभाव

  • समय: इसे प्रतिवर्ष विश्व बाल दिवस (20 नवंबर) के अवसर पर जारी किया जाता है।

प्रमुख वैश्विक निष्कर्ष :

बहुआयामी गरीबी निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में 5 में से 1 से अधिक बच्चे (यानी वैश्विक स्तर पर 400 मिलियन से अधिक) स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक कम से कम दो क्षेत्रों में गंभीर अभाव का सामना कर रहे हैं।
चरम मौद्रिक गरीबी विश्व स्तर पर 19% से अधिक बच्चे चरम मौद्रिक गरीबी में जी रहे हैं, जिसका अर्थ है कि वे प्रतिदिन US$3 से कम पर जीवन यापन कर रहे हैं।
सबसे व्यापक अभाव बच्चों के बीच स्वच्छता (Sanitation) सबसे व्यापक गंभीर अभाव है, जिससे बीमारियों के संपर्क में आने का खतरा बढ़ता है।
भौगोलिक संकेन्द्रण बाल गरीबी की उच्चतम दरें मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में केंद्रित हैं।
जोखिम वाले समूह सबसे छोटे बच्चे, दिव्यांग बच्चे, और संघर्ष या जलवायु संकट वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे सबसे अधिक जोखिम का सामना करते हैं।

 

भारत की स्थिति :

  • सराहनीय प्रगति: यूनिसेफ ने गरीबी उन्मूलन में भारत की तेज गति की सराहना की है। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, 2013-14 से 2022-23 के बीच 248 मिलियन लोग (बच्चों सहित) बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं, और भारत 2030 की समय सीमा से पहले सतत विकास लक्ष्य (SDG) 1.2 को प्राप्त करने की राह पर है।
  • सामाजिक सुरक्षा कवरेज: 2015 में 19% से बढ़कर 2025 में सामाजिक सुरक्षा कवरेज 64.3% तक पहुँच गया है, जो इस प्रगति में सहायक है।
  • प्रमुख योजनाएँ: भारत की प्रमुख योजनाएँ, जैसे पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan), समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha), पीएम-किसान (PM-KISAN), मिड-डे मील (Mid-Day Meal), स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission), और जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission), बच्चों के कल्याण में निवेश का एक सफल मॉडल प्रस्तुत करती हैं।
  • शेष अभाव: इन प्रगति के बावजूद, भारत में लगभग 206 मिलियन बच्चे अभी भी छह आवश्यक सेवाओं में से कम से कम एक से वंचित हैं, और 62 मिलियन बच्चे दो या दो से अधिक क्षेत्रों में अभाव का सामना करते हैं।

यूनिसेफ की सिफारिश :

  • रिपोर्ट दुनिया भर की सरकारों और भागीदारों से बच्चों के अधिकारों को प्राथमिकता देने और गरीबी को समाप्त करने के लिए पाँच प्रमुख कार्रवाइयाँ करने का आह्वान करती है:
  • राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना: बाल गरीबी को समाप्त करने को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना और बाल अधिकारों को सभी नीतियों, बजट और विकास एजेंडा में शामिल करना।
  • सामाजिक सुरक्षा का विस्तार: कमजोर परिवारों की सुरक्षा के लिए समावेशी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का विस्तार करना।
  • सार्वजनिक सेवाओं तक समान पहुँच: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, स्वच्छता और आवास जैसी आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
  • देखभाल करने वालों का समर्थन: देखभाल करने वालों (माता-पिता) के लिए सभ्य कार्य (Decent Work), न्यूनतम मजदूरी को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना।
  • बच्चों की भागीदारी: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में बच्चों और युवाओं की आवाज़ और भागीदारी को मजबूत करना।

यूनिसेफ

  • पूरा नाम: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children's Fund)
  • स्थापना: 11 दिसंबर, 1946
  • मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
  • उद्देश्य: द्वितीय विश्व युद्ध से प्रभावित बच्चों को आपातकालीन भोजन और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना। वर्तमान में, इसका उद्देश्य विश्व भर के बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी दीर्घकालिक भलाई सुनिश्चित करना है।
  • यूनिसेफ भारत में 1949 से काम कर रहा है

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