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पाकिस्तान में न्यायिक संकट

Sun 16 Nov, 2025

संदर्भ

हाल ही में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने बिना बहस के जल्दीबाज़ी में पारित 27वें संवैधानिक संशोधन को मंज़ूरी दी। इस संशोधन को लेकर पाकिस्तान में काफी विवाद है और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से पूर्ण पीठ गठित कर इसकी समीक्षा करने की मांग की है।

पृष्ठभूमि

  • पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में न्यायपालिका, कार्यपालिका और सेना के बीच शक्ति संघर्ष बहुत पुराना है। 1947 में स्वतंत्रता के बाद से पाकिस्तान में तीन बड़े सैन्य तख्तापलट हुए—1958, 1977 और 1999—जिनमें संविधान को निलंबित कर दिया गया।
  • कई बार पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने “डॉक्ट्रिन ऑफ नेसेसिटी” (आवश्यकता का सिद्धांत) के माध्यम से सैन्य शासन को वैध ठहराया, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर हुई।
  • 2007 के जजों के आंदोलन ने पाकिस्तान के इतिहास में न्यायिक सक्रियता को मजबूत किया, लेकिन सेना आज भी देश का सबसे शक्तिशाली संस्थान है।
  • हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की अयोग्यता, सेना की नियुक्तियों और संवैधानिक मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे टकराव बढ़ा।
  • इसी पृष्ठभूमि में 2025 का 27वां संवैधानिक संशोधन पाकिस्तान को बड़े न्यायिक संकट की ओर ले गया है।

 

27वां संवैधानिक संशोधन: संकट क्यों?

(A) संघीय संवैधानिक न्यायालय (Federal Constitutional Court – FCC) की स्थापना

  • यह नया न्यायालय सभी संवैधानिक मामलों की सुनवाई करेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट की मौलिक (original) संवैधानिक अधिकारिता छीन ली गई।
  • सुप्रीम कोर्ट अब केवल सिविल और क्रिमिनल अपीलों का उच्चतम न्यायालय बनकर रह गया।

यह न्यायपालिका की शक्तियों में भारी कटौती है।

(B) सेना को बड़े पैमाने पर शक्तियाँ

संशोधन में सेना के ढांचे को मज़बूत करने वाले प्रावधान:

  • आर्मी चीफ का पद बढ़ाकर चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज किया गया।
  • टेन्योर बढ़ाने के प्रावधान जोड़े गए।
  • राष्ट्रपति तथा उच्च अधिकारियों को अभियोग से प्रतिरक्षा (Immunity) प्रदान की गई।

इससे सैन्य-कार्यपालिका का प्रभाव और बढ़ गया।

(C) वरिष्ठ न्यायाधीशों का इस्तीफ़ा

संशोधन को “संविधान पर हमला” बताते हुए तीन न्यायाधीशों ने इस्तीफ़ा दे दिया:

  • जस्टिस मंसूर अली शाह (सुप्रीम कोर्ट)
  • जस्टिस अतर मिनल्लाह (सुप्रीम कोर्ट)
  • जस्टिस शम्स महमूद मिर्ज़ा (लाहौर हाई कोर्ट)

इन इस्तीफ़ों ने संकट को और गंभीर बना दिया।

(D) राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

  • पीटीआई (PTI) और वकील संगठनों ने संशोधन को न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताया और राष्ट्रव्यापी विरोध की घोषणा की।
  • सरकार का दावा है कि यह “ऐतिहासिक सुधार” है जो शासन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाएगा। जबकि न्यायपालिका–सरकार–सेना के बीच संघर्ष अपने चरम पर है।

3. पाकिस्तान की स्थिरता पर प्रभाव

  • सुप्रीम कोर्ट की शक्तियाँ घटने से चेक्स एंड बैलेंस कमजोर।
  • सेना का प्रभाव नीतिगत फैसलों पर और बढ़ेगा।
  • राजनीतिक टकराव बढ़ने से आर्थिक अस्थिरता की आशंका।
  • संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता कमज़ोर होगी।

यह पाकिस्तान के लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।

भारत पर प्रभाव: यह संकट भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

(A) सीमा सुरक्षा जोखिम

पाकिस्तान में अस्थिरता अक्सर बढ़ाती है:

  • नियंत्रण रेखा (LoC) पर तनाव,
  • सीमा पार गोलीबारी की घटनाएँ।

(B) आतंकवादी ढांचे की सक्रियता

कमजोर नागरिक शासन और शक्तिशाली सैन्य तंत्र से:

  • आतंक समूहों को खुली छूट मिल सकती है,
  • भारत के लिए सुरक्षा खतरे बढ़ सकते हैं।

(C) कूटनीतिक चुनौतियाँ

  • सैन्य प्रभुत्व बढ़ने से भारत–पाक वार्ता अनिश्चित होगी।
  • बैक-चैनल कूटनीति कमजोर पड़ सकती है।

(D) क्षेत्रीय भू-राजनीतिक संतुलन: भारत को अमेरिका, चीन और खाड़ी देशों के साथ संतुलन बनाकर कदम 

पाकिस्तान

राजधानी इस्लामाबाद
मुद्रा पाकिस्तानी रुपया (PKR)
आधिकारिक भाषाएँ उर्दू, अंग्रेज़ी
शासन प्रणाली संघीय संसदीय गणराज्य
राष्ट्रपति (2025) आसिफ अली जरदारी
प्रधानमंत्री (2025) शाहबाज़ शरीफ़
मुख्य नदियाँ सिंधु, झेलम, चिनाब
सबसे ऊँची चोटी K2 (विश्व की दूसरी सबसे ऊँची चोटी)
सीमाएँ लगने वाले देश भारत, चीन, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान
प्रांत पंजाब, सिंध, ख़ैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान
राष्ट्रीय पशु मार्कुर
राष्ट्रीय पक्षी चकोर
राष्ट्रीय खेल फील्ड हॉकी

 

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