10 November, 2025
जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2026
Tue 11 Nov, 2025
संदर्भ :
- अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवाच (Germanwatch) ने COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान ‘जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2026’ जारी की है।
रिर्पोट की मुख्य बातें :
- जारीकर्ता: जर्मनवाच (Germanwatch)
- प्रकाशन का समय: COP30 (नवंबर 2025) के दौरान
- डेटा अवधि: यह सूचकांक दीर्घकालिक रैंकिंग के लिए 1995 से 2024 तक 30 वर्षों के डेटा का विश्लेषण करता है, जबकि वार्षिक रैंकिंग के लिए नवीनतम उपलब्ध वर्ष (2024) के डेटा पर आधारित है
- लक्ष्य: यह देशों को चरम मौसमी घटनाओं (जैसे बाढ़, तूफान, लू) से होने वाले वास्तविक नुकसान के आधार पर रैंक करता है ताकि जलवायु संकट की गंभीरता को उजागर किया जा सके और नीति निर्माताओं को तत्काल कार्रवाई के लिए प्रेरित किया जा सके
- सर्वाधिक जोखिम वाले शीर्ष देश (रैंक 1 से 10) : डोमिनिका, म्याँमार, होंडुरास, हैती, फिलीपींस, निकारागुआ, बांग्लादेश, लीबिया, भारत और पाकिस्तान
- निरंतर खतरों की श्रेणी : भारत, फिलीपींस, निकारागुआ और हैती
वैश्विक निष्कर्ष (1995-2024) :
| मीट्रिक (Metric) | अवधि (1995-2024) |
| चरम मौसमी घटनाएँ | 9,700 से अधिक |
| जीवन की हानि (कुल मृत्यु) | 8,32,000 से अधिक |
| प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान (मुद्रास्फीति-समायोजित) | $4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक |
| प्रभावित लोग | लगभग 5.7 बिलियन |
खतरे का प्रकार:
- जान-माल का नुकसान: लू (Heatwaves) और तूफान (Storms) चरम मौसमी घटनाओं से होने वाली कुल मौतों में से प्रत्येक के लिए लगभग 33% जिम्मेदार थे, जबकि बाढ़ (Floods) 25% के लिए जिम्मेदार थी।
- आर्थिक नुकसान: तूफान $4.5 ट्रिलियन के कुल नुकसान का लगभग 58% हिस्सा था, जबकि बाढ़ $1.31 ट्रिलियन (लगभग 29%) के लिए जिम्मेदार थी।
- सबसे अधिक प्रभावित लोग: दुनिया भर में चरम घटनाओं से प्रभावित होने वाले लगभग आधे लोग बाढ़ से प्रभावित हुए।
भारत की स्थिति
- भारत दीर्घकालिक CRI 2026 में 9वें स्थान पर है, जो पिछले वर्ष के 8वें स्थान की तुलना में एक मामूली सुधार (यानी जोखिम कम हुआ है) दर्शाता है।
- यह दर्शाता है कि भारत लगातार गंभीर जलवायु जोखिमों का सामना कर रहा है।
| मीट्रिक (Metric) | भारत की स्थिति (1995-2024) |
| चरम मौसमी घटनाएँ | 430 से अधिक |
| कुल मौतें | 80,000 से अधिक (वैश्विक मौतों का ~9.6%) |
| प्रभावित लोग | 1.3 बिलियन |
| कुल आर्थिक नुकसान | $170 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक |
- रिपोर्ट में वर्ष 1998 के गुजरात चक्रवात, 1999 के ओडिशा चक्रवात, 2013 की उत्तराखंड बाढ़, 2019 में महाराष्ट्र व त्रिपुरा की विनाशकारी बाढ़ तथा 2020 के चक्रवात ‘अम्फान’ जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का उल्लेख किया गया है, जिन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जोड़ा गया है।
- पश्चिम बंगाल और ओडिशा को अम्फान ने सबसे अधिक प्रभावित किया, जबकि उत्तर और मध्य भारत लगातार प्रचंड गर्मी की लहरों से झुलस रहे हैं, जहाँ हाल के वर्षों में तापमान 50°C के करीब तक दर्ज किया गया है।









