10 November, 2025
रिसस मकॉक को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-II में पुनः शामिल करने की सिफारिश
Mon 10 Nov, 2025
संदर्भ :
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति द्वारा रिसस मकॉक (Rhesus Macaque) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (WLPA) की अनुसूची-II में पुनः शामिल करने की सिफारिश की।
मुख्य बिन्दु :
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) :
- गठन: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 5A के तहत 2003 में (2002 के संशोधन के बाद)
- प्रकृति: वैधानिक निकाय (Statutory Body)
- भूमिका: इसका मुख्य कार्य केंद्र सरकार को देश में वन्यजीवों और वनों के संरक्षण तथा विकास के लिए नीतियों एवं उपायों पर सलाह देना है। इसने 1952 में गठित भारतीय वन्यजीव बोर्ड (IBWL) का स्थान लिया
- कुल सदस्य: लगभग 47
- अध्यक्ष (Chairperson): भारत के प्रधानमंत्री
- उपाध्यक्ष (Vice-Chairperson) : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
मुख्य उद्देश्य:
- भारत की वन्यजीव नीति का निर्माण करना
- राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश देना
- वन्यजीवों के संरक्षण से संबंधित परियोजनाओं और कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना
- संरक्षित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे/निर्माण कार्य के लिए अनुमति या सिफारिश देना
- लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा और उनके आवासों का संरक्षण
कार्य :
- वन्यजीवों की सुरक्षा और जैव विविधता संरक्षण पर सुझाव देना।
- संरक्षित क्षेत्रों में किसी भी बड़े निर्माण कार्य को अनुमति देने से पहले मूल्यांकन करना।
- जानवरों की संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने हेतु योजनाएँ बनाना।
- राष्ट्रीय स्तर पर मानव-वन्यजीव संघर्ष के समाधान पर नीतियाँ तैयार करना
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की स्थायी समिति (SC-NBWL) :
- स्थायी समिति राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) का एक छोटा, कार्यकारी निकाय है जिसका गठन NBWL की ओर से वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 5B के तहत किया जाता है।
संरचना (Composition) :
- अध्यक्ष (Chairperson): पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री (MoEFCC) (यह NBWL के उपाध्यक्ष भी होते हैं)।
- सदस्य सचिव (Member Secretary): पर्यावरण मंत्रालय का निदेशक/सचिव (वन्यजीव संरक्षण)।
- अन्य सदस्य: अधिकतम 10 सदस्य, जिन्हें अध्यक्ष द्वारा NBWL के कुल सदस्यों में से नामित किया जाता है।
प्रमुख कार्य और शक्तियाँ (Functions and Powers) :
- परियोजना अनुमोदन (Project Approval): यह संरक्षित क्षेत्रों (जैसे **राष्ट्रीय उद्यान ** और वन्यजीव अभयारण्य) के भीतर या उनके आसपास, साथ ही ईको-सेंसिटिव जोन (ESZ) में आने वाली विकास परियोजनाओं (जैसे बांध, खनन, सड़कें, ट्रांसमिशन लाइनें) की समीक्षा करती है और उन्हें मंजूरी देती है।
- शक्ति का प्रयोग: यह उन सभी शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्यों का पालन करती है जो राष्ट्रीय बोर्ड द्वारा इसे सौंपे जाते हैं।
- प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना: यह बोर्ड की विशाल संरचना (47 सदस्य) के कारण धीमी होने वाली निर्णय प्रक्रिया को त्वरित और सुव्यवस्थित करती है।
- आवास का आकलन: परियोजनाओं से वन्यजीवों या उनके आवास पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करना।
- महत्वपूर्ण तथ्य: वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार, संरक्षित क्षेत्रों की सीमाओं के भीतर किसी भी वन्यजीव आवास को नष्ट करने या मोड़ने (divert) की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि यह वन्यजीवों के सुधार और बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक न माना जाए। स्थायी समिति इसी प्रावधान का पालन सुनिश्चित करती है।
रीसस मकैक (Rhesus Macaque)
- वैज्ञानिक नाम: Macaca mulatta
- वर्ग: स्तनधारी (Mammalia)
- कुल (Family): Cercopithecidae
- वंश (Genus): Macaca
- आकार: मध्यम आकार का बंदर
- रंग: भूरा, धूसर या हल्का लाल-भूरा
- पूँछ: लंबी और लचीली
- चेहरा: गुलाबी रंग का, बिना बालों वाला
आवास और वितरण :
- वितरण: इनका भौगोलिक वितरण गैर-मानव प्राइमेट में सबसे व्यापक है। यह दक्षिण, मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं।
- भारत में ये बहुतायत में पाए जाते हैं, इसके अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड और दक्षिणी चीन तक फैले हुए हैं।
संरक्षण स्थिति (Conservation Status):
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंताग्रस्त : इसकी आबादी दक्षिण एशिया के बड़े भू-भाग में व्यापक रूप से फैली होने के कारण इसे कम चिंताग्रस्त श्रेणी में रखा गया है
- CITES: परिशिष्ट-II : प्रजाति का अंतरराष्ट्रीय व्यापार पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं, बल्कि नियंत्रित है, ताकि इसका अवैध शिकार और व्यापार न बढ़ सके।
- भारत में स्थिति (Wildlife Protection Act, 1972): रीसस मकैक को पहले अनुसूची-II (Schedule-II) में रखा गया था
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA, 1972)
- यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों की प्रजातियों के संरक्षण तथा उनके अवैध शिकार, व्यापार एवं तस्करी को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचा (Comprehensive Legal Framework) प्रदान करता है।
- उद्देश्य: जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को सुरक्षा प्रदान करना, और भारत के राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और अन्य संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना एवं प्रबंधन को सुनिश्चित करना।
- लागू: इसे 9 सितंबर, 1972 को लागू किया गया था।
- विस्तार: 31 अक्टूबर 2019 से यह अधिनियम संपूर्ण भारत पर लागू होता है (जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के बाद)।
- संवैधानिक आधार: इसका आधार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48A (राज्य नीति निदेशक तत्व) और अनुच्छेद 51A (g) (मौलिक कर्तव्य) में देखा जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ: यह अधिनियम वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के प्रावधानों को लागू करने का भी प्रयास करता है।
मुख्य प्रावधान और विशेषताएँ :
- संरक्षित क्षेत्रों की घोषणा: यह केंद्र और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) और वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) जैसे संरक्षित क्षेत्रों को अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
- शिकार पर प्रतिबंध: अनुसूचियों में निर्दिष्ट जंगली जानवरों के शिकार पर कठोर प्रतिबंध लगाता है। अपवाद केवल वैज्ञानिक अनुसंधान या यदि जानवर मानव जीवन के लिए खतरनाक हो जाए, जैसी दुर्लभ परिस्थितियों में ही लागू होते हैं।
- अवैध व्यापार पर नियंत्रण: वन्यजीवों और उनके उत्पादों (जैसे खाल, मांस, चमड़ा, हाथीदांत, आदि) के अवैध व्यापार और कब्जे पर रोक लगाता है और उल्लंघन पर कठोर दंड का प्रावधान करता है।
- प्रशासनिक निकाय: अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न प्रशासनिक संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान करता है:
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- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL)
- राज्य वन्यजीव बोर्ड (SBWL)
- वन्यजीव संरक्षण निदेशक (Director of Wildlife Preservation)
- मुख्य वन्यजीव वार्डन (Chief Wildlife Warden)
अनुसूचियाँ (Schedules) :
अधिनियम में वन्यजीवों को उनके संरक्षण के स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। 2022 के संशोधन के बाद, अनुसूचियों की संख्या 6 से घटाकर 4 कर दी गई है।
| अनुसूची | संरक्षण का स्तर | शामिल प्रजातियाँ |
| अनुसूची I | उच्चतम सुरक्षा (सर्वाधिक गंभीर दंड) | लुप्तप्राय प्रजातियाँ (जैसे बाघ, हाथी, एक सींग वाला गैंडा, कस्तूरी मृग)। |
| अनुसूची II | उच्च सुरक्षा (शिकार पर प्रतिबंध) | ऐसी प्रजातियाँ जिन्हें उच्च संरक्षण की आवश्यकता है। |
| अनुसूची III | संरक्षित पौधों की प्रजातियाँ | पौधों की प्रजातियों को तोड़ना, उखाड़ना या नुकसान पहुँचाना प्रतिबंधित है। |
| अनुसूची IV | CITES के तहत सूचीबद्ध प्रजातियाँ | वे प्रजातियाँ जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण की आवश्यकता है। |









