10 November, 2025
वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर रिपोर्ट 2025
Wed 05 Nov, 2025
संदर्भ :
- इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (ICA) ने दोहा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन, सहकारिता और पारस्परिक नेतृत्व मंडल (CM50) सम्मेलन में ‘वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर रिपोर्ट 2025’ (संस्करण - 13वां) जारी की है।
मुख्य बिन्दु :
- इसे यूरोपीय अनुसंधान संस्थान ऑन कोऑपरेटिव एंड सोशल एंटरप्राइजेज (EURICSE) के सहयोग से तैयार किया जाता है
- यह रिर्पोट विश्व की 300 सबसे बड़ी सहकारी समितियों और म्यूचुअलों के आर्थिक प्रदर्शन का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत करती है।
- यह 13वाँ संस्करण है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 'अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC) 2025' के समापन के साथ जारी होने के कारण इसका विशेष महत्व है।
मुख्य वैश्विक निष्कर्ष :
| विवरण | सांख्यिकीय निष्कर्ष | विश्लेषण |
| शीर्ष 300 का कुल कारोबार (Turnover) | 2.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (2023 के वित्तीय आंकड़ों के आधार पर) | यह राशि शीर्ष 300 सहकारी संस्थाओं की विशाल आर्थिक शक्ति को दर्शाती है, जो उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के बराबर खड़ा करती है। |
| प्रमुख क्षेत्र (कारोबार के अनुसार) | कृषि (35.7%), बीमा (31.7%), और थोक एवं खुदरा व्यापार (18%) | ये तीन क्षेत्र संयुक्त रूप से कुल कारोबार का 80% से अधिक हिस्सा हैं। यह दर्शाता है कि सहकारी मॉडल खाद्य सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता और उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति में सबसे अधिक प्रभावी है। |
| भौगोलिक प्रतिनिधित्व | यूरोप और अमेरिका में अधिकांश संस्थाएँ, लेकिन एशिया-प्रशांत और अफ्रीका से भागीदारी बढ़ रही है। | यह सहकारी मॉडल के वैश्विक विस्तार और विकासशील देशों में इसके बढ़ते महत्व को इंगित करता है। |
| शीर्ष तीन (कारोबार के अनुसार) | Groupe Crédit Agricole (फ्रांस), State Farm (अमेरिका), REWE Group (जर्मनी) | कारोबार के मामले में वित्तीय और खुदरा क्षेत्र की बड़ी संस्थाओं का दबदबा बरकरार है। |
| SDG योगदान | रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सहकारी समितियां गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, सभ्य कार्य और आर्थिक विकास (UN SDG) जैसे लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। | सहकारी मॉडल सामाजिक न्याय और समावेशी विकास को प्राथमिकता देता है, जो इसे सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक उपकरण बनाता है। |
भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि :
- WCM 2025 में एक वैकल्पिक रैंकिंग 'सकल घरेलू उत्पाद (GDP) प्रति व्यक्ति के सापेक्ष कारोबार' के आधार पर भी जारी की गई, जो सहकारी संस्थाओं के स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरे और समावेशी प्रभाव को मापता है।
इस श्रेणी में भारत ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है:
| रैंक | भारतीय संस्था | महत्व |
| 1. | गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) - अमूल | अमूल को विश्व की नंबर एक सहकारी संस्था का दर्जा मिला। यह दर्शाता है कि यह संस्था अपने देश की आर्थिक स्थिति के मुकाबले किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक सकारात्मक प्रभाव डाल रही है। |
| 2. | इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) - इफको | इफको ने विश्व स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया। यह भारत में उर्वरक उत्पादन और कृषि-निवेश के क्षेत्र में सहकारी संस्थाओं की सफलता को दर्शाता है। |
CM50 सम्मेलन :
| विशेषता | विवरण |
| CM50 का पूर्ण रूप | कॉपरेटिव्स एंड म्यूचुअल लीडरशिप सर्किल (Cooperatives and Mutuals Leadership Circle) |
| आयोजनकर्ता | अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (International Cooperative Alliance - ICA) |
| हालिया बैठक | नवंबर 2025 (3 नवंबर, 2025) |
| आयोजन स्थल | दोहा, कतर (Doha, Qatar) |
| संदर्भित वैश्विक आयोजन | यह बैठक संयुक्त राष्ट्र विश्व सामाजिक शिखर सम्मेलन (Second UN World Summit of Social Development - WSSD2, 4-6 नवंबर, 2025) के साथ आयोजित की गई। |
| सदस्यता | इसमें विश्व की 50 सबसे प्रभावशाली सहकारी और म्यूचुअल (पारस्परिक) संस्थाओं के CEO और शीर्ष नेता शामिल होते हैं। |
CM50 का मुख्य उद्देश्य :
CM50 का मुख्य लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals - SDG) और एजेंडा 2030 के संदर्भ में वैश्विक मंच पर सहकारी व्यापार मॉडल की शक्ति और प्रभाव को प्रदर्शित करना है।
- वैश्विक नीति को प्रभावित करना: विश्व सामाजिक शिखर सम्मेलन को एक मंच के रूप में उपयोग करना ताकि सहकारी और म्यूचुअल मॉडल को वैश्विक चुनौतियों के समाधान के रूप में स्थान दिया जा सके।
- बाज़ार हिस्सेदारी बढ़ाना: सहकारिता और म्यूचुअल की वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए एक समर्पित प्रयास शुरू करना।
- घोषणापत्र प्रस्तुत करना: CM50 ने "एक नई वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अनुबंध" (Contract for a New Global Economy) नामक एक घोषणापत्र प्रस्तुत किया, जो अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ व्यापार मॉडल की वकालत करता है।
अमूल (Amul) :
| विशेषता | विवरण |
| पूर्ण रूप | आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (Anand Milk Union Limited)। |
| स्थापना वर्ष | 1946 |
| मुख्यालय | आनंद, गुजरात |
| संरचना | यह गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) का एक ब्रांड है। GCMMF गुजरात की 18 जिला सहकारी दुग्ध यूनियनों का शीर्ष निकाय है |
| मॉडल | यह त्रि-स्तरीय सहकारी मॉडल पर काम करता है: गाँव स्तर पर दुग्ध सहकारी समितियाँ $\rightarrow$ जिला स्तर पर यूनियनें $\rightarrow$ राज्य स्तर पर फेडरेशन (GCMMF) |
| संस्थापक प्रेरणा | यह किसानों के शोषण को रोकने और उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरणा और त्रिभुवनदास पटेल के प्रयासों से शुरू हुआ था |
| श्वेत क्रांति के जनक | डॉ. वर्गीस कुरियन (Dr. Verghese Kurien), जिन्हें 'मिल्कमैन ऑफ इंडिया' भी कहा जाता है, ने अमूल मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
इफको (IFFCO) :
| विशेषता | विवरण |
| पूर्ण रूप | इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइज़र कोऑपरेटिव लिमिटेड |
| स्थापना वर्ष | 3 नवंबर 1967 |
| मुख्यालय | नई दिल्ली, भारत |
| उद्देश्य | भारतीय किसानों को विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण उर्वरक और कृषि इनपुट उचित मूल्य पर उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना |
| संरचना | यह एक बहु-राज्य सहकारी समिति है। यह लगभग 36,000 से अधिक सदस्य सहकारी समितियों और लाखों किसानों के साथ जुड़ा हुआ है |
| उत्पाद | मुख्य रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम (NPK) आधारित जटिल उर्वरक, यूरिया, डीएपी (DAP), और हाल ही में नैनो उर्वरक |









