'नौरादेही अभयारण्य' : मध्‍य प्रदेश में चीतों का तीसरा घर
 
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'नौरादेही अभयारण्य' : मध्‍य प्रदेश में चीतों का तीसरा घर

Mon 03 Nov, 2025

संदर्भ :

  • मध्य प्रदेश सरकार ने 'वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व' के अंतर्गत आने वाले 'नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य' को चीतों के तीसरे स्थायी आवास स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह कदम भारत के 'प्रोजेक्ट चीता' का हिस्सा है, जो 2022 में शुरू हुआ था और जिसका उद्देश्य अफ्रीका से लाए गए चीतों को भारतीय उपमहाद्वीप में पुनर्वासित करना है।
  • राज्य को 'चीता स्टेट' के रूप में पहचान दिलाने वाली यह पहल न केवल वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करेगी, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी।
  • नौरादेही को तीसरे आवास स्थल के रूप में विकसित करने का मुख्य उद्देश्य चीता आबादी को एक ही स्थान (कूनो) पर केंद्रित होने से रोकना है।
  • इससे चीतों की संख्या में वृद्धि होगी, और एक स्वस्थ मेटा-जनसंख्या (metapopulation) का निर्माण सुनिश्चित होगा, जिससे भारत में चीतों का दीर्घकालिक संरक्षण संभव हो सकेगा।

'प्रोजेक्ट चीता'

  • भारत सरकार की एक ऐतिहासिक परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत में चीतों (Cheetahs) की आबादी को पुनः स्थापित करना है, जिन्हें 1952 में देश से विलुप्त (Extinct) घोषित कर दिया गया था।
  • शुरुआत: सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया
  • स्थान: चीतों को मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में लाया गया था
  • चीतों का स्रोत: ये चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए हैं
  • नोडल एजेंसी: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)
  • पहला स्थल: मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park - KNP) को पहले पुनर्वास स्थल के रूप में चुना गया
  • चीते को वापस लाने के बाद, भारत दुनिया का एक मात्र ऐसा देश बन जाएगा जहाँ 'बिल्ली परिवार' (Big Cats) की पाँचों बड़ी प्रजातियाँ (बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ और चीता) पाई जाती हैं।
  • परियोजना के तहत शुरुआती दौर में 20 चीते (नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12) लाए गए थे।

चीता परियोजना का विस्तार:

मध्य प्रदेश में 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत चीतों के लिए तीन मुख्य आवास स्थलों का विकास किया जा रहा है। नौरादेही अभयारण्य को तीसरा महत्वपूर्ण स्थल घोषित किया गया है।

क्रम संख्या चीता आवास स्थल स्थान
1. कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) श्योपुर और मुरैना
2. गांधी सागर अभयारण्य (Gandhi Sagar Sanctuary) मंदसौर और नीमच
3. नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य (Nauradehi Wildlife Sanctuary) सागर, दमोह, नरसिंहपुर

 

नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य (Nauradehi Wildlife Sanctuary)

  • राज्य: मध्य प्रदेश
  • जिले: दमोह, सागर, नरसिंहपुर और रायसेन
  • क्षेत्रफल: लगभग 1,197 वर्ग किलोमीटर
  • स्थापना वर्ष: 1975

प्राकृतिक विशेषताएँ (Natural Features):

  • यह विंध्य पर्वत श्रृंखला और नर्मदा नदी बेसिन के बीच स्थित है।
  • प्रमुख नदियाँ: शेर नदी (गंगा-नर्मदा जल विभाजक क्षेत्र का भाग)
  • भू-आकृति: मिश्रित वन, घासभूमि (grassland) और झाड़ीदार क्षेत्र

जीव-जंतु (Fauna):

  • प्रमुख प्रजातियाँ: चीतल, नीलगाय, भालू, लोमड़ी, सियार, तेंदुआ, और जंगली बिल्ली
  • शिकारी प्रजातियाँ: तेंदुआ और भालू यहाँ प्रमुख शीर्ष शिकारी हैं
  • पक्षी प्रजातियाँ: मोर, तीतर, उल्लू और जलपक्षी विविध रूप से पाए जाते हैं

वनस्पति (Flora):

  • प्रमुख वृक्ष: सागौन (Teak), साजा, साल, महुआ, बेर, बेल, खैर आदि
  • यह क्षेत्र शुष्क पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forest) की श्रेणी में आता है

चीता

वैज्ञानिक नाम : एसिनोनिक्स जुबेटस/Acinonyx Jubatus)

अफ्रीकी चीता:

  • आवास: मुख्यतः अफ्रीकी सवाना के मैदानों में पाए जाते हैं।
  • दक्षिणी अफ्रीका इनका क्षेत्रीय गढ़ कहा जाता है।
  • IUCN संरक्षण स्थिति: "सुभेद्य" (Vulnerable)

एशियाई चीता:

  • ये हलके पिले रंग के होते हैं।
  • आवास: ईरान गणराज्य
  • IUCN संरक्षण स्थिति: गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति (Critically Endangered)

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA):

  • यह भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है।
  • गठन: 1973, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत
  • मुख्य उद्देश्य: देश में बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनकी आबादी में वृद्धि करना है।

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