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भारत ने ताजिकिस्तान के ऐनी एयरबेस से अपनी सेनाओं को वापस बुलाया

Sun 02 Nov, 2025

संदर्भ :

  • भारत ने लगभग 25 वर्ष बाद ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस पर अपना संचालन आधिकारिक रूप से बंद कर दिया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह भारत का एकमात्र विदेशी सैन्य ठिकाना था, जो करीब 25 वर्षों (2002-2022) तक सक्रिय रहा।
  • विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की है कि द्विपक्षीय समझौते की समाप्ति के बाद सुविधा ताजिकिस्तान को सौंप दी गई।
  • यह एयरबेस सोवियत काल के दौरान बनाया गया था, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद जर्जर हो गया था।
  • भारतीय सहयोग: भारत ने 2002 में ताजिकिस्तान के साथ एक द्विपक्षीय समझौते के तहत इसके आधुनिकीकरण और पुनर्निर्माण पर लगभग 100 मिलियन डॉलर खर्च किए।
  • रणनीतिक उपयोग: यह एयरबेस अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर के करीब स्थित था, जिसका उपयोग भारत ने अफगानिस्तान में उत्तरी गठबंधन को रसद, खुफिया और हवाई सहायता प्रदान करने के लिए किया था।
  • हालिया उपयोग: 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद, भारत ने अपने नागरिकों और अधिकारियों को निकालने के लिए इस बेस का इस्तेमाल किया था।

वापसी के मुख्य कारण :

  • द्विपक्षीय समझौते की समाप्ति: भारत और ताजिकिस्तान के बीच भारतीय कर्मियों की तैनाती से संबंधित द्विपक्षीय समझौता लगभग 2021-2022 में समाप्त हो गया था, और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया।
  • रणनीतिक उपयोगिता में कमी: अफगानिस्तान में तालिबान के पूर्ण कब्ज़े के बाद, उत्तरी गठबंधन की प्रासंगिकता समाप्त हो गई, जिससे एयरबेस की सामरिक उपयोगिता कम हो गई।

भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व:

  • ऐनी भारत का एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा था
  • इसने भारत को मध्य एशिया में रणनीतिक उपस्थिति दी
  • यह अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से 20 किमी दूर और PoK के समीप स्थित था
  • 1990–2000 के दशक में यह उत्तरी गठबंधन को तालिबान विरोधी सहायता के लिए लॉजिस्टिक केंद्र रहा

ऐनी एयरबेस (Ayni Airbase) :

  • अन्‍य नाम : गिस्सर मिलिट्री एयरोड्रोम
  • स्थित : ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से लगभग 10-15 किमी पश्चिम में
  • यह सोवियत काल का पुराना बेस था, जो 1990 के दशक में ताजिकिस्तान के गृहयुद्ध के दौरान निष्क्रिय हो गया था।
  • भारत ने इसे 2002 में करीब 70 मिलियन डॉलर (लगभग 500 करोड़ रुपये) के निवेश से पुनर्निर्मित किया।
  • निकटता : यह एयरबेस सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से लगभग 20 किमी दूर है।

ताजिकिस्तान :

  • मध्य एशिया में स्थित एक स्थलरुद्ध देश है
  • राजधानी और सबसे बड़ा शहर : दुशानबे (Dushanbe)। (दुशानबे का अर्थ ताजिक भाषा में 'सोमवार' होता है, क्योंकि यह शहर सोमवार के बाज़ार स्थल के रूप में उभरा था)।
  • स्थिति : यह स्थलवेष्ठित (Landlocked) देश है, यानी यह चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है और इसकी कोई समुद्री सीमा नहीं है।

भूगोल :

  • ताजिकिस्तान का लगभग 93% हिस्सा पहाड़ी है।
  • यहाँ पामीर और तियान शान पर्वत श्रृंखलाएं स्थित हैं, जिसके कारण इसे अक्सर "विश्व की छत" कहा जाता है।
  • पड़ोसी देश : उत्तर में किर्गिज़स्तान, पश्चिम में उज़्बेकिस्तान, दक्षिण में अफ़गानिस्तान, और पूर्व में चीन।
  • भारत से दूरी : ताजिकिस्तान को पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र से अफगानिस्तान का पतला वाख़ान गलियारा (Wakhan Corridor) अलग करता है, जिससे यह भारत के काफी करीब है।
  • आधिकारिक भाषा : ताजिक (फ़ारसी भाषा का एक रूप, जिसे आमतौर पर सीरिलिक लिपि में लिखा जाता है)। रूसी भाषा भी व्यापक रूप से बोली जाती है।
  • धर्म: बहुसंख्यक आबादी इस्लाम (मुख्य रूप से सुन्नी शाखा) का पालन करती है।
  • संस्कृति : यहाँ की संस्कृति में ईरानी, फ़ारसी, और मध्य एशियाई तत्वों का मिश्रण है। यहाँ रोटी (नान) को पवित्र माना जाता है, और राष्ट्रीय भोजन प्लोव है
  • पौराणिक संबंध : कुछ भारतीय ग्रंथों में वर्णित महाजनपद कम्बोज और परम कम्बोज का स्थल यहीं माना जाता है, जो भारत के साथ प्राचीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है
  • राजनीतिक स्थिति : यह गणराज्य है, जिसने 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद स्वतंत्रता प्राप्त की। स्वतंत्रता के बाद 1992-1997 तक यहाँ गृहयुद्ध चला था।
  • मुद्रा : ताजिकिस्तानी सोमोनी (TJS)
  • नदी : सिर दर्या (Syr Darya) सबसे नीचा बिंदु (300 मीटर)
  • उद्योग: एल्यूमीनियम उत्पादन (दुनिया में शीर्ष), कपास, फल (चेरी, खुबानी)

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