20वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
 
  • Mobile Menu
HOME BUY MAGAZINEnew course icon
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




20वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन

Fri 31 Oct, 2025

संदर्भ

20वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit, EAS) एशिया-प्रशांत और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस शिखर सम्मेलन में कुआलालंपुर घोषणा (Kuala Lumpur Declaration) को अपनाया गया, जिसने सदस्य देशों की सामूहिक प्रतिबद्धता को दोहराया कि वे बहुपक्षवाद, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सम्मान और सतत विकास को आगे बढ़ाएँगे।

स्थापना और पृष्ठभूमि

  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन एक नेताओं द्वारा संचालित मंच (Leaders-led Forum) है, जो क्षेत्रीय रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर सहयोग और संवाद को प्रोत्साहित करता है।
  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) की स्थापना सन् 2005 में हुई थी।
  • पहला शिखर सम्मेलन कुआलालंपुर (मलेशिया) में आयोजित हुआ था।
  • यह आसियान (ASEAN) के नेतृत्व में क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग की सबसे व्यापक संरचना है।
  • EAS, आसियान की केंद्रीय भूमिका (ASEAN Centrality) को सशक्त करता है और प्रमुख वैश्विक शक्तियों को संवाद हेतु एक साझा मंच प्रदान करता है।

सदस्य देश (Member Countries)

  • वर्ष 2025 तक EAS के कुल 18 सदस्य देश हैं:
  • आसियान सदस्य देश (10): ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम।
  • संवाद भागीदार देश (8): ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • ये देश मिलकर विश्व की लगभग 54% जनसंख्या और 60% वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सदस्यता की आवश्यक शर्तें (Membership Criteria)

EAS का सदस्य बनने के लिए किसी देश को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होती हैं —

  • आसियान की संधि ‘ट्रीटी ऑफ एमिटी एंड कोऑपरेशन (TAC)’ पर हस्ताक्षर करना।
  • आसियान का औपचारिक संवाद भागीदार (Dialogue Partner) होना।
  • आसियान के साथ ठोस और सतत सहयोगी संबंध बनाए रखना।

20वीं EAS के उद्देश्य (Objectives of the 20th EAS)

  • इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ करना और आसियान की केंद्रीय भूमिका को मजबूत बनाना था।

कुआलालंपुर घोषणा की प्रमुख बातें इस प्रकार हैं —

  • समुद्री सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और सतत विकास को बढ़ावा देना।
  • नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर बल देना।
  • डिजिटल परिवर्तन और कनेक्टिविटी के माध्यम से समावेशी विकास सुनिश्चित करना।
  • जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सुरक्षा और शिक्षा सहयोग को बढ़ावा देना।

छः प्रमुख सहयोग क्षेत्र (Six Priority Areas of Cooperation)

क्षेत्र (Area) मुख्य फोकस (Key Focus)
1. पर्यावरण और ऊर्जा स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय संसाधन और हरित तकनीक।
2. शिक्षा छात्रवृत्तियाँ, डिजिटल लर्निंग और शैक्षणिक सहयोग।
3. वित्त वित्तीय स्थिरता और समावेशी विकास को बढ़ावा देना।
4. वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी रोग निगरानी, टीका सहयोग और स्वास्थ्य सुरक्षा।
5. प्राकृतिक आपदा प्रबंधन प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपदा पुनर्प्राप्ति।
6. आसियान कनेक्टिविटी परिवहन, डिजिटल नेटवर्क और अवसंरचना सहयोग।

 

भारत की भूमिका

भारत EAS का संस्थापक सदस्य है और यह मंच भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy)’ और ‘इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI)’ को मजबूत करता है।

  • भारत ने समुद्री सुरक्षा, डिजिटल नवाचार, जलवायु कार्यवाही, और स्वास्थ्य सहयोग पर बल दिया।
  • भारत ने दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र नौवहन और संप्रभुता के सम्मान का समर्थन किया।
  • भारत ने शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और साइबर सुरक्षा में साझेदारी को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा।

20वीं EAS का महत्व

  • क्षेत्रीय एकजुटता को मजबूत किया, जिससे इंडो-पैसिफिक में स्थिरता और शांति बनी रहे।
  • आर्थिक एकीकरण को प्रोत्साहन, जिससे व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाएं अधिक लचीली बनीं।
  • जलवायु और स्वास्थ्य सहयोग, सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम।
  • समुद्री सुरक्षा और कानून आधारित व्यवस्था पर क्षेत्रीय सहमति प्राप्त हुई।

निष्कर्ष (Conclusion)

  • 20वीं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन ने एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए सहयोग, संवाद और विश्वास निर्माण की भावना को पुनः सुदृढ़ किया।
  • कुआलालंपुर घोषणा के माध्यम से सदस्य देशों ने बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था, सतत विकास और समावेशी आर्थिक प्रगति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
  • भारत के सक्रिय नेतृत्व और आसियान की केंद्रीय भूमिका के साथ, EAS आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग का प्रमुख मंच बना रहेगा।

Latest Courses