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सीएमएस-03 सैटेलाइट

Tue 28 Oct, 2025

संदर्भ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही CMS-03 उपग्रह, जिसे GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है, का प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से करेगा। यह मिशन भारत की रक्षा और सामरिक संचार प्रणाली को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। CMS-03 मुख्य रूप से एक सैन्य संचार उपग्रह (Military Communication Satellite) है जो भारत की रक्षा, समुद्री और सामरिक संचार व्यवस्था को अत्याधुनिक तकनीक से सशक्त करेगा।

CMS-03 उपग्रह के बारे में

  • CMS-03 भारत के उन्नत संचार उपग्रह श्रृंखला का हिस्सा है और यह GSAT-7A और GSAT-7B उपग्रहों का उत्तराधिकारी (Successor) है, जो क्रमशः भारतीय नौसेना और वायुसेना की सेवा में हैं।
  • GSAT-7R में “R” का अर्थ “Replacement” है — यानी यह पुराने संचार नेटवर्क को बदलकर एक उन्नत और सुरक्षित संचार प्रणाली स्थापित करेगा।
  • इसका भार लगभग 4400 किलोग्राम है, जो इसे भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह बनाता है। यह एक मल्टी-बैंड (Multi-band) उपग्रह है जो भारत और आस-पास के महासागरीय क्षेत्रों में सुरक्षित और उच्च क्षमता वाली संचार सेवाएँ प्रदान करेगा।

प्रक्षेपण यान और कक्षा (Orbit)

इस उपग्रह का प्रक्षेपण लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) से किया जाएगा — जो ISRO का सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान है।

  • जियोसिंक्रोनस कक्षा (Geosynchronous Orbit) वह होती है जिसमें उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन की दिशा में घूमता है और पृथ्वी के एक निश्चित देशांतर के ऊपर स्थिर प्रतीत होता है।
  • इस प्रकार यह निरंतर कवरेज और स्थायी संचार प्रदान करता है, जो रक्षा और सामरिक गतिविधियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • यह कक्षा "क्लार्क ऑर्बिट" (Clarke Orbit) के नाम से भी जानी जाती है, क्योंकि इसका विचार सबसे पहले ब्रिटिश विज्ञान कथा लेखक आर्थर सी. क्लार्क ने प्रस्तुत किया था।

सामरिक (Strategic) महत्व

CMS-03 उपग्रह भारत की रक्षा संचार प्रणाली को नई दिशा देगा और देश की स्वदेशी सामरिक क्षमता को सशक्त बनाएगा।

1. रक्षा संचार सशक्तिकरण:

    यह उपग्रह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना को सुरक्षित, उच्च बैंडविड्थ संचार प्रदान करेगा, जिससे वास्तविक समय में आदेश और            सूचनाएँ भेजी जा सकेंगी।

2. समुद्री निगरानी:

    यह भारतीय महासागरीय क्षेत्र (Indian Ocean Region - IOR) में कवरेज बढ़ाएगा, जिससे नौसेना की Maritime Domain Awareness        मजबूत होगी।

3. सिविल और आपदा प्रबंधन:

    रक्षा के अलावा यह उपग्रह आपदा प्रबंधन, दूरसंचार और सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद करेगा।

4. आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम:

    इस उपग्रह के प्रक्षेपण से भारत को विदेशी उपग्रहों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे Atmanirbhar Bharat in Space Technology को      बल मिलेगा।

तकनीकी विवरण

पैरामीटर विवरण
नाम CMS-03 (GSAT-7R)
प्रक्षेपण एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
लॉन्च वाहन LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3)
प्रक्षेपण स्थल सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
भार लगभग 4400 किग्रा
कक्षा का प्रकार जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO)
कवरेज क्षेत्र भारत और आस-पास का महासागरीय क्षेत्र
मुख्य उपयोगकर्ता रक्षा, सामरिक, समुद्री और सिविल क्षेत्र
विशेषता मल्टी-बैंड, उच्च क्षमता एवं एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली

 

भारत के लिए महत्व

  • रक्षा तैयारियों में मजबूती: यह उपग्रह भारत की सेनाओं को किसी भी परिस्थिति में निरंतर सुरक्षित संचार सुविधा देगा।
  • सामरिक स्वायत्तता में वृद्धि: भारत अब अपने स्वयं के संचार उपग्रहों पर निर्भर रहेगा, जिससे रणनीतिक स्वतंत्रता बढ़ेगी।
  • समुद्री सुरक्षा में योगदान: यह मिशन हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति और निगरानी क्षमता को और सशक्त करेगा।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार: CMS-03 ISRO की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है जो रक्षा और नागरिक दोनों उपयोगों के लिए उपयुक्त है।

निष्कर्ष

  • CMS-03 (GSAT-7R) उपग्रह भारत की रक्षा और सामरिक संचार क्षमता को नई ऊँचाई पर ले जाने वाला ऐतिहासिक कदम है।
  • यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी दक्षता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि देश अब अंतरिक्ष आधारित रक्षा अवसंरचना में वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।

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