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शुल्क-मुक्त टैरिफ वरीयता (DFTP) योजना

Sun 26 Oct, 2025

संदर्भ

  • भारत की शुल्क-मुक्त टैरिफ वरीयता (Duty-Free Tariff Preference - DFTP) योजना, विश्व के सबसे गरीब और अल्प-विकसित देशों (Least Developed Countries - LDCs) को व्यापारिक अवसर प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने हाल ही में भारत की इस पहल को सराहा है और कहा कि इस योजना ने गरीब देशों के निर्यात को बढ़ाने और वैश्विक दक्षिण के बीच आर्थिक साझेदारी को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है।

पृष्ठभूमि

  • भारत ने DFTP योजना की शुरुआत अगस्त 2008 में की थी। यह योजना विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त 48 LDC देशों को भारत के बाजार में शुल्क-मुक्त (Duty-Free) या टैरिफ रियायत (Tariff Preference) प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
  • इसका मूल लक्ष्य है — “व्यापार के माध्यम से विकास (Development through Trade)”।
  • यह पहल भारत की दक्षिण-दक्षिण सहयोग नीति (South-South Cooperation) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसके अंतर्गत भारत अपने विकास अनुभवों को अन्य गरीब देशों के साथ साझा करता है।

DFTP योजना की प्रमुख विशेषताएँ

प्रमुख विशेषता विवरण
लाभार्थी देश संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त 48 अल्प-विकसित देश (LDCs) – जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मोज़ाम्बिक, इथियोपिया, तंज़ानिया आदि।
लॉन्च वर्ष 2008
लॉन्च करने वाला देश भारत
मुख्य उद्देश्य अल्प-विकसित देशों को भारत के बाजार में उत्पादों की निर्यात पहुँच आसान बनाना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना।
शुल्क छूट LDC देशों के निर्यात उत्पादों पर आयात शुल्क (Customs Duty) में छूट या पूर्ण समाप्ति।
कवरेज कृषि, वस्त्र, हस्तशिल्प, चमड़ा, धातु और खनिज आदि जैसे उत्पाद।

 

योजना से जुड़े प्रमुख उत्पाद क्षेत्र

  1. कृषि उत्पाद: फल, सब्जियाँ, मसाले, अनाज आदि।
  2. वस्त्र एवं परिधान: कपड़ा, परिधान, हस्तनिर्मित वस्त्र आदि।
  3. हस्तशिल्प एवं पारंपरिक उत्पाद: हाथ से बने गहने, मिट्टी के बर्तन, कलात्मक वस्तुएँ।
  4. चमड़ा उद्योग: चमड़े के परिधान, बैग और जूते।
  5. खनिज एवं धातु उत्पाद: सोना, हीरे, तांबा और अन्य खनिज पदार्थ।

DFTP योजना के लाभ

  • भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार तक पहुँच आसान हुई।
  • रोजगार सृजन और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिला।
  • निर्यात में विविधता आई — विशेष रूप से कृषि और वस्त्र क्षेत्र में।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सशक्त किया।
  • क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया।
  • भारत को एक “जिम्मेदार वैश्विक शक्ति” के रूप में प्रतिष्ठा दिलाई।

WTO की भूमिका और भारत का योगदान

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, भारत का DFTP कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक और समावेशी व्यापार वरीयता योजनाओं में से एक है।

भारत उन कुछ देशों में से एक है जिसने LDC देशों को बिना किसी भेदभाव के प्राथमिकता दी है।

  • WTO ने उल्लेख किया कि भारत के इस कदम से अफ्रीकी और एशियाई देशों के निर्यात में औसतन 25% तक वृद्धि दर्ज की गई।

निष्कर्ष

  • DFTP योजना भारत की समावेशी वैश्वीकरण नीति (Inclusive Globalization) का प्रतिबिंब है।
  • यह केवल एक व्यापारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मानव विकास, समान अवसर, और वैश्विक साझेदारी की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
  • यह पहल भारत को “विकास साझेदार” (Development Partner) के रूप में प्रस्तुत करती है और गरीब देशों के लिए आशा की किरण बनती है।

विश्व व्यापार संगठन

  • स्थापना वर्ष: 1 जनवरी 1995
  • मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्जरलैंड
  • वर्तमान महानिदेशक (Director-General): न्गोज़ी ओकोंजो-इवेला (Ngozi Okonjo-Iweala)
  • पूर्ववर्ती संस्था: General Agreement on Tariffs and Trade (GATT), 1947

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