08 December, 2025
वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (GFRA) रिपोर्ट 2025
Thu 23 Oct, 2025
संदर्भ :
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा बाली में ‘ग्लोबल फॉरेस्ट ऑब्जर्वेशन इनिशिएटिव (GFOI) प्लेनरी 2025’ के दौरान जारी ‘वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन (GFRA) 2025’ रिपोर्ट, 236 देशों और क्षेत्रों के 1990 से 2025 तक के वन संसाधनों की स्थिति और प्रवृत्तियों का अवलोकन प्रदान करती है।
मुख्य बिन्दु :
- यह रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का समर्थन करती है, जैसे SDG 15.1.1 (वन क्षेत्र का कुल भूमि क्षेत्र में अनुपात), SDG 15.2.1 (सतत वन प्रबंधन की प्रगति) और SDG 15.4.2 (पर्वतीय हरित आवरण सूचकांक)।
- यह रिपोर्ट पेरिस समझौते, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा और संयुक्त राष्ट्र वन रणनीतिक योजना 2017-2030 का भी समर्थन करती है।
- FRA 2025 में नई सुविधाओं में इंटरएक्टिव ऑनलाइन डेटाबेस, API एक्सेस और देश-विशिष्ट PDF रिपोर्टें शामिल हैं।
वैश्विक वन क्षेत्र और विस्तार :
| पैरामीटर | मूल्य (2025) | टिप्पणी |
| कुल वन क्षेत्र | 4.14 अरब हेक्टेयर |
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| प्राकृतिक पुनरुत्पादित वन | 3.83 अरब हेक्टेयर (कुल का 92%) |
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| प्राथमिक वन (प्राकृतिक, अपरिवर्तित) | 1.18 अरब हेक्टेयर (कुल का लगभग एक-तिहाई) |
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| लगाए गए वन | 312 मिलियन हेक्टेयर (कुल का 8%) |
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| वन विकास स्टॉक | 630 अरब घन मीटर | - |
| वन कार्बन स्टॉक | 714 गीगाटन |
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वन क्षेत्र स्थिर दिखाई देता है, लेकिन प्राकृतिक वनों की कमी जारी है। लगाए गए वनों की वृद्धि सकारात्मक है, जो बहाली प्रयासों (जैसे ट्र्री ट्रांसफॉर्मेशन) को दर्शाती है। हालांकि, प्राकृतिक पुनरुत्पादित वनों की कमी जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए खतरा है।
वन कटाई और विस्तार दरें :
- FRA 2025 की सबसे महत्वपूर्ण खोज यह है कि वैश्विक वन कटाई (डिफॉरेस्टेशन) धीमी हुई है, लेकिन वन अभी भी दबाव में हैं
- शुद्ध वन हानि (नेट फॉरेस्ट लॉस): 1990 के दशक में 10.7 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष से घटकर 2015–2025 में 4.12 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई
- वन कटाई दर: 1990–2000 में 17.6 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष से घटकर 2015–2025 में 10.9 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष
- वन विस्तार दर: 2000–2015 में 9.88 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष से घटकर 2015–2025 में 6.78 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष
क्षेत्रीय रुझान :
| क्षेत्र | मुख्य रुझान |
| अफ्रीका | प्राकृतिक पुनरुत्पादित वनों में महत्वपूर्ण कमी, डिफॉरेस्टेशन धीमा लेकिन उच्च |
| दक्षिण अमेरिका | प्राकृतिक वनों में कमी, पिछले दशक में सबसे अधिक हानि |
| यूरोप | प्राकृतिक पुनरुत्पादित वनों में वृद्धि, सकारात्मक प्रबंधन |
| एशिया | लगाए गए वनों में वृद्धि, उष्णकटिबंधीय दबाव |
| उत्तरी अमेरिका और अन्य | स्थिर, लेकिन जलवायु प्रभाव से खतरा |
वन प्रबंधन प्रथाएं :
- दीर्घकालिक प्रबंधन योजनाओं के तहत वन: 2.13 अरब हेक्टेयर (कुल का 55%), 1990 से 365 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि।
- कानूनी संरक्षित क्षेत्रों में वन: 813 मिलियन हेक्टेयर (कुल का 20%), 1990 से 251 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि।
- स्वामित्व: 71% सार्वजनिक, 24% निजी
प्रबंधन उद्देश्य:
- उत्पादन के लिए: 1.20 अरब हेक्टेयर (29%)
- बहु-उपयोग: 616 मिलियन हेक्टेयर
- जैव विविधता संरक्षण: 482 मिलियन हेक्टेयर
- मिट्टी और जल संरक्षण: 386 मिलियन हेक्टेयर
- सामाजिक सेवाएं: 221 मिलियन हेक्टेयर
भारत के लिए मुख्य निष्कर्ष :
- कुल वन क्षेत्र में रैंकिंग में सुधार: भारत कुल वन क्षेत्र के मामले में वैश्विक स्तर पर एक पायदान ऊपर चढ़कर 10वें स्थान से 9वें स्थान पर पहुँच गया है। भारत का कुल वन आवरण लगभग 72.7 मिलियन हेक्टेयर है।
- वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि: भारत वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर कायम है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2015 से 2025 के बीच प्रति वर्ष 1.91 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की है, जो सतत वन प्रबंधन के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- सफलता के कारक: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, यह प्रगति 'ग्रीन इंडिया मिशन', 'कैम्पा' (CAMPA) और 'राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम' (NAP) जैसी सरकारी नीतियों और सामुदायिक-नेतृत्व वाले संरक्षण अभियानों की सफलता को रेखांकित करती है।









