13 October, 2025
'जोरावर' लाइट टैंक से नाग मार्क-II' एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण
Sat 18 Oct, 2025
संदर्भ :
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 अक्टूबर, 2025 को स्वदेशी रूप से विकसित 'जोरावर' लाइट टैंक से 'नाग मार्क-II' एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
मुख्य बिन्दु :
- यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फील्ड रेंज में किया गया, जिसमें मिसाइल की मारक क्षमता, सटीक निशाना, टॉप-अटैक मोड, और मिसाइल की गतिशीलता की पूर्ण जांच हुई।
- सफल परीक्षणों के बाद, पूरी हथियार प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है।
'जोरावर' लाइट टैंक (Zorawar Light Tank) :
- 'जोरावर' लाइट टैंक का विकास विशेष रूप से चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों (High-Altitude Areas) में उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए 'प्रोजेक्ट जोरावर' के तहत किया गया है।
- नामकरण: इस टैंक का नाम महान डोगरा सैन्य कमांडर जनरल जोरावर सिंह कहलूरिया के नाम पर रखा गया है।
- वजन और गतिशीलता: इसका वजन लगभग 25 टन है। हल्का वजन इसे भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर III और चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा हवाई परिवहन (Airliftability) के लिए आदर्श बनाता है, जिससे कठिन और दूरदराज़ क्षेत्रों में तेजी से तैनाती संभव होती है।
- पावर-टू-वेट अनुपात: इसमें उच्च हॉर्सपावर (750–1000 hp) का इंजन लगा है, जो इसे उच्च पावर-टू-वेट अनुपात (लगभग 30–40 hp/टन) प्रदान करता है। यह कम ऑक्सीजन वाले वातावरण और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों में बेहतर गतिशीलता सुनिश्चित करता है।
- मुख्य शस्त्र: इसमें बेल्जियम के जॉन कॉकेरिल की 105 मिमी राइफल्ड गन लगी है। यह तोप काइनेटिक राउंड्स और मिसाइल दोनों को फायर करने में सक्षम है, जिससे टैंक की बहुमुखी मारक क्षमता बढ़ जाती है।
- सुरक्षा और तकनीक: इसमें मॉड्यूलर कंपोजिट आर्मर लगा है, जिसे आवश्यकतानुसार अतिरिक्त कवच के साथ बढ़ाया जा सकता है। आधुनिक तकनीकों में सक्रिय सुरक्षा प्रणाली (APS), लेजर चेतावनी रिसीवर और ड्रोन एकीकरण (Situational Awareness के लिए) शामिल हैं।
- उभयचर क्षमता: यह टैंक उभयचर (Amphibious) संचालन में सक्षम है, जिससे यह नदी और दलदली क्षेत्रों में भी काम कर सकता है।
'नाग मार्क-II' एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (Nag Mark-II ATGM) :
नाग मार्क-II तीसरी पीढ़ी की, पूरी तरह स्वदेशी और उन्नत 'फायर-एंड-फॉरगेट' एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है।
- पीढ़ी और प्रकार: यह मिसाइल तीसरी पीढ़ी की ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire-and-Forget) श्रेणी की एंटी‑टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो लक्ष्य को लॉक कर लेने के बाद स्वायत्त रूप से अपने लक्ष्य तक पहुँचती है।
- मारक क्षमता (रेंज): इसकी रेंज पिछले संस्करण नाग मार्क‑I (लगभग 4 किमी) से कई गुना अधिक है। रिपोर्टों के अनुसार इसका अनुमानित रेंज 7 से 10 किलोमीटर के बीच है
- गाइडेंस सिस्टम: मिसाइल में इमेजिंग इन्फ्रारेड (IIR) सीकर लगा हुआ है, जो लॉन्च से पहले लक्ष्य को लॉक करता है और दिन/रात तथा विभिन्न मौसम परिस्थितियों में लक्ष्य पहचान व मार्गनिर्देशन कर सकता है।
- टारगेट अटैक प्रोफाइल: यह मिसाइल टॉप‑अटैक (Top‑Attack) प्रोफाइल का उपयोग करती है — लक्ष्य के ऊपर से चढ़ती है और टैंक के सबसे कमजोर ऊपरी कवच पर वार करती है, जिससे कवच भेदने की क्षमता बढ़ती है।
- वॉरहेड: इसमें टैंडम हाई‑एक्सप्लोसिव एंटी‑टैंक (HEAT) वॉरहेड उपलब्ध है। टैंडम संरचना के कारण पहला चार्ज विरोधी एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) को निष्क्रिय करता है और दूसरा (मुख्य) चार्ज मुख्य कवच को भेदकर प्रभाव पैदा करता है।
फायर-एंड-फॉरगेट मिसाइलें :
- फायर-एंड-फॉरगेट मिसाइलें उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियों का उपयोग करती हैं, जिन्हें लॉन्च के बाद ऑपरेटर से किसी और हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे सुरक्षित और अधिक कुशल युद्ध संचालन संभव हो जाता है।
भारत में उदाहरण :
- नाग MK 2: फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक वाली अत्याधुनिक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल।
- अस्त्र (Astra): भारत की हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल जिसे दृश्य-सीमा से परे के अटैक के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता है।
- ब्रह्मोस (BrahMos): एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, जो सटीक हमले के लिए फायर-एंड-फॉरगेट सिद्धांत का प्रयोग करती है।