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इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भारत की उन्‍नति

Mon 13 Oct, 2025

संदर्भ :

  • भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र का उत्पादन 2024-25 में ₹11.3 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2014-15 के ₹1.9 लाख करोड़ के उत्पादन की तुलना में लगभग छह गुना अधिक है।

वृद्धि का अवलोकन: आंकड़ों में परिवर्तन :

2014-15 में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का एक बड़ा आयातक था, जहाँ उत्पादन कुल मांग का केवल 26% पूरा करता था। लेकिन नीतिगत सुधारों और निवेशों के कारण यह क्षेत्र तेजी से विकसित हुआ। 2024-25 तक उत्पादन में 17.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है।

वर्ष/अवधि कुल उत्पादन (₹ लाख करोड़ में) निर्यात (₹ लाख करोड़ में) प्रमुख टिप्पणी
2014-15 1.9 0.38 आयात-निर्भरता अधिक; मोबाइल उत्पादन केवल ₹0.18 लाख करोड़।
2023-24 9.52 2.41 मोबाइल निर्यात 77 गुना बढ़ा; 99% घरेलू मांग पूरी।
2024-25 (अनुमान) 11.3 3.27 8 गुना निर्यात वृद्धि; मोबाइल उत्पादन ₹5.45 लाख करोड़।
  • मोबाइल फोन सेगमेंट का योगदान: यह क्षेत्र की वृद्धि का मुख्य इंजन रहा। 2014-15 में ₹0.18 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹5.45 लाख करोड़, यानी 28 गुना वृद्धि। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश है, जहाँ वार्षिक 33 करोड़ यूनिट उत्पादित होते हैं। निर्यात 127 गुना बढ़कर ₹2 लाख करोड़ हो गया।
  • निर्यात गंतव्य: अमेरिका, यूएई, नीदरलैंड, यूके और इटली शीर्ष बाजार हैं। एप्पल का योगदान 43% निर्यात में है।
  • रोजगार सृजन: क्षेत्र ने 25 लाख प्रत्यक्ष नौकरियाँ पैदा कीं, जिसमें मोबाइल सेगमेंट ने 17 लाख का योगदान दिया।

यह वृद्धि वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) में भारत की भागीदारी को मजबूत करती है, जहाँ हम अब असेंबली से आगे बढ़कर घटकों के उत्पादन की ओर अग्रसर हैं।

वृद्धि के प्रमुख कारक :

इस दशकीय उछाल के पीछे कई संरचनात्मक और नीतिगत कारक हैं, जो घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर काम कर रहे हैं:

सरकारी नीतियाँ और प्रोत्साहन:

  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: 2020 में शुरू, इसने ₹1.97 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित किया। मोबाइल, आईटी हार्डवेयर और सेमीकंडक्टर जैसे 14 क्षेत्रों में 4-6% प्रोत्साहन मिलता है। 2025-26 बजट में PLI के लिए ₹9,000 करोड़ का आवंटन बढ़ाया गया।
  • SPECS योजना: इलेक्ट्रॉनिक घटकों के उत्पादन पर 25% पूंजीगत व्यय पर प्रोत्साहन। इससे ₹1.15 लाख करोड़ के 249 प्रस्ताव प्राप्त हुए।
  • ईएमसी 2.0: इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स (नोएडा, हैदराबाद, बेंगलुरु) स्थापित, जो लॉजिस्टिक्स और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं।
  • सेमीकंडक्टर मिशन: 2024 में ₹1.25 लाख करोड़ के तीन प्लांट मंजूर, जिनमें टाटा और अन्य का योगदान। इससे 15,710 नौकरियाँ सृजित होंगी।

घरेलू मांग और उपभोक्ता व्यवहार:

  • 1.44 अरब की आबादी में 90 करोड़ इंटरनेट यूजर; स्मार्टफोन पेनेट्रेशन 4% YoY बढ़ा (2024 में 15.1 करोड़ यूनिट शिपमेंट)।
  • 5G रोलआउट, IoT डिवाइस और ईवी बाजार: ईवी में इलेक्ट्रॉनिक कंटेंट 20% से 40-50% बढ़ेगा। उपभोक्ता खर्च और शहरीकरण ने मांग को बढ़ावा दिया।

विदेशी निवेश और वैश्विक शिफ्ट:

  • FY20-21 से $4 अरब FDI; 70% PLI लाभार्थियों से। एप्पल, सैमसंग, फॉक्सकॉन जैसे दिग्गज भारत में उत्पादन बढ़ा रहे हैं।
  • चीन से आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण: अमेरिकी टैरिफ (चीन पर 10%) से भारत लाभान्वित। भारत अब अमेरिका का शीर्ष स्मार्टफोन निर्यातक है।

तकनीकी और स्किल डेवलपमेंट:

  • डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया: 30 करोड़ लोगों को ट्रेनिंग। 2024 में डिजाइन और PCB असेंबली पर फोकस बढ़ा, जो मार्जिन सुधारता है।

ये कारक मिलकर क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं, जहाँ भारत अब 5% वैश्विक उत्पादन का हिस्सा रखता है।

  • आयात निर्भरता: PCB, सेंसर और डिस्प्ले जैसे घटकों के लिए 70% आयात (मुख्यतः चीन से)। इससे लागत बढ़ती है और आपूर्ति श्रृंखला जोखिमपूर्ण रहती है। 2030 तक $240 अरब घटक मांग पूरी करने के लिए स्थानीयकरण जरूरी।
  • कुशल श्रमिकों की कमी: 12 मिलियन नौकरियों के लक्ष्य के लिए 50% वर्कफोर्स को री-स्किलिंग चाहिए। AI, ML और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में 2 लाख विशेषज्ञों की कमी।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स: बिजली, परिवहन और EMC की सीमित क्षमता। छोटे निर्माताओं की स्केल सीमित (केवल 1% FDI)।
  • प्रतिस्पर्धा और लागत: चीन-वियतनाम से मुकाबला; उच्च घटक लागत और व्यापार बाधाएँ। सस्टेनेबिलिटी (ईवी बैटरी आदि) पर फोकस की कमी।
  • नियमन और जागरूकता: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार (142 से 63 रैंक, 2014-22), लेकिन 30% निवेशक नई योजनाओं से अनभिज्ञ।

इन चुनौतियों को दूर करने के लिए CII जैसे संगठन घटक उत्पादन पर 30% CAGR लक्ष्य सुझा रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएँ: 2030 तक $500 अरब का लक्ष्य :

सरकार का लक्ष्य 2030-31 तक $500 अरब का पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें उत्पादन $300 अरब और निर्यात $210 अरब हो। 22% वार्षिक वृद्धि दर से यह संभव है।

  • अवसर: ईवी, 5G, IoT और स्मार्ट डिवाइस में वृद्धि। सेमीकंडक्टर में $1.52 लाख करोड़ निवेश से 1.42 लाख नौकरियाँ। PLI 2.0 से आईटी हार्डवेयर में ₹3.5 लाख करोड़ उत्पादन।
  • रणनीति: घटक स्थानीयकरण, स्किलिंग (ITI नामांकन बढ़ाना), और GCC (ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स) के माध्यम से इनोवेशन। 2025-26 बजट में सेमीकंडक्टर के लिए ₹7,000 करोड़।
  • प्रभाव: जीडीपी में 7.5% योगदान; 5.5-6 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ। भारत वैश्विक 'इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री' बन सकता है।

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