13 October, 2025
e-NAM प्लेटफॉर्म में 9 नई वस्तुओं को शामिल किया
Fri 10 Oct, 2025
संदर्भ :
- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) प्लेटफॉर्म में 9 नई वस्तुओं को शामिल किया जिससे कुल ट्रेड योग्य वस्तुओं की संख्या 247 हो गई।
जोड़ी गई 9 नई वस्तुएं :
- ग्रीन टी
- चाय
- अश्वगंधा की सूखी जड़ें
- सरसों का तेल
- लैवेंडर तेल
- मेंथा ऑयल
- वर्जिन जैतून का तेल
- लैवेंडर के सूखे फूल
- ब्रोकन राइस
जोड़ने का उद्देश्य :
- किसानों और व्यापारियों को एक पारदर्शी एवं प्रतिस्पर्धी डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करना
- संपूर्ण भारत में बाजार एकीकरण (Market Integration) को सशक्त करना
- किसानों को गुणवत्ता आधारित मूल्य (Quality-linked Price) दिलाना और उनकी मोलभाव शक्ति (Bargaining Power) बढ़ाना
जिम्मेदार एजेंसियाँ :
- विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय (DMI) — व्यापार योग्य मानक तय करने का दायित्व
- लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (SFAC) — ई-नाम प्लेटफॉर्म के संचालन की प्रमुख एजेंसी
- राज्य एजेंसियाँ, व्यापारिक संघ और विषय विशेषज्ञ — मानक तय करने में सहयोगी
- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान — अनुमोदन प्रदान करने वाले
प्रभाव (Impact) :
- किसानों को अपनी उपज की गुणवत्ता के अनुरूप मूल्य प्राप्त होगा
- बिचौलियों पर निर्भरता घटेगी, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
- ई-नाम प्लेटफॉर्म एक गुणवत्ता-आधारित, पारदर्शी डिजिटल मार्केट के रूप में उभरेगा
- इससे कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास (Inclusive Growth) को बढ़ावा मिलेगा
- डिजिटल भारत और मेक इन इंडिया मिशन के अनुरूप यह एक बड़ा कदम है
राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM)
- एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल
- शुरुआत: 14 अप्रैल 2016
- लॉन्च करने वाला मंत्रालय: केन्दीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
- संचालक एजेंसी: लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (SFAC – Small Farmers Agribusiness Consortium)
- मुख्य उद्देश्य : कृषि उत्पादों के लिए 'एक राष्ट्र, एक बाजार' का निर्माण करना। यह किसानों को उनकी उपज के लिए देशव्यापी बाजार पहुंच प्रदान करता है।
कार्यप्रणाली और लाभ :
- वास्तविक समय मूल्य खोज : किसान अपनी उपज के लिए विभिन्न मंडियों से बोली प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें वास्तविक मांग और आपूर्ति के आधार पर सबसे अच्छी कीमत (Best Price) मिलती है।
- कनेक्टिविटी : यह मौजूदा APMC मंडियों (कृषि उत्पाद विपणन समितियाँ) को आपस में जोड़ता है।
- भुगतान : किसानों के बैंक खातों में सीधा ऑनलाइन भुगतान (Direct Online Payment) सुनिश्चित होता है।
- लाइसेंस : एक राज्य का व्यापारी लाइसेंस पूरे राज्य में e-NAM से जुड़ी सभी मंडियों में मान्य होता है।
प्रमुख लाभार्थी :
- किसान (उत्पादक)
- व्यापारी (ट्रेडर्स)
- खरीदार (जैसे थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता)
- प्रसंस्करणकर्ता (Processors)
- निर्यातकों (Exporters)
- किसान उत्पादक संगठन (FPO)
वर्तमान स्थिति :
- कुल सूचीबद्ध कृषि वस्तुएँ: 247
- कुल एकीकृत मंडियाँ: 1,300+
- भाग लेने वाले राज्य/केंद्रशासित प्रदेश: 23 राज्य और 4 केंद्रशासित प्रदेश
कृषि में प्रमुख डिजिटल मार्केटिंग पहल
पहल का नाम | लॉन्च तिथि | मुख्य विशेषताएँ |
एगमार्कनेट (AGMARKNET) | मार्च 2000 | यह सबसे पुरानी डिजिटल पहलों में से एक है। इसका उद्देश्य किसानों को देशभर की APMC मंडियों में प्रचलित दैनिक थोक मूल्य (Daily Wholesale Prices) और आगमन (Arrivals) की जानकारी प्रदान करना है ताकि वे अपनी उपज बेचने का बेहतर निर्णय ले सकें। |
कृषि उड़ान 2.0 (Krishi UDAN 2.0) | अक्टूबर 2021 | इसका उद्देश्य जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों (Perishable Agri-products) के परिवहन को सुगम बनाना है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर हवाई परिवहन को सब्सिडी देकर किसानों को उनके उत्पादों को समय पर और कुशलता से बाज़ार तक पहुँचाने में मदद करता है। |
इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम फॉर एग्रीकल्चर (IDEA) / एग्री-स्टैक | 2021 (अवधारणा) | यह भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका लक्ष्य कृषि के लिए एक समग्र डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना बनाना है। इसमें किसानों का एक डिजिटल डेटाबेस, भूमि रिकॉर्ड, और फसलों की जियो-रेफरेंसिंग शामिल है, जिसका उपयोग व्यक्तिगत ऋण, बीमा, और मौसम संबंधी सलाह जैसी सेवाओं के लिए किया जाएगा। |
आईटीसी ई-चौपाल (ITC e-Choupal) | 2000 | यह एक निजी क्षेत्र की पहल है। यह गाँवों में इंटरनेट से जुड़े कियोस्क (Kiosks) स्थापित करता है, जिसे स्थानीय किसान (संचालक) चलाते हैं। यह किसानों को वास्तविक समय की बाज़ार जानकारी, मौसम पूर्वानुमान, और बेहतर कृषि पद्धतियों तक पहुँच प्रदान करता है। |
कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A) | 2010-11 | कृषि क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग बढ़ाना। इसका उद्देश्य किसानों को सूचनाएँ और सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराना है, जिसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि विस्तार सेवाएँ और मौसम की जानकारी शामिल है। |
किसान कॉल सेंटर (KCC) | 2004 | हालाँकि यह सीधे डिजिटल मार्केटिंग नहीं है, यह एक महत्वपूर्ण ICT पहल है। यह टोल-फ्री नंबर (1800-180-1551) के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों से किसानों की भाषा में सीधे सलाह लेने की सुविधा देता है, जिससे उन्हें बाज़ार और उत्पादन संबंधी बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है। |