13 October, 2025
भारतीय रेलवे की चार नई मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूदी
Wed 08 Oct, 2025
संदर्भ :
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ₹24,634 करोड़ रुपये की चार रेल परियोजनाओं को मंज़ूरी दी।
परियोजना का विवरण :
- स्वीकृत राशि: ₹24,634 करोड़
- प्रभाव क्षेत्र: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 18 जिले
- नेटवर्क वृद्धि: मौजूदा रेलवे नेटवर्क में लगभग 894 किमी की वृद्धि
मुख्य उद्देश्य:
- रेलवे नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना
- भीड़-भाड़ वाले मार्गों पर दबाव कम करना
- माल और यात्री परिवहन की गति और विश्वसनीयता में सुधार
चार परियोजनाओं का विवरण :
परियोजना | लाइन/किमी | राज्य | उद्देश्य | लागत (₹ करोड़) | |
भुसावल – वर्धा | तीसरी और चौथी लाइन, 314 किमी | महाराष्ट्र | मुंबई-हावड़ा जैसे उच्च-घनत्व वाले मार्गों पर क्षमता बढ़ाना | 9,197 | |
गोंदिया – डोंगरगढ़ | चौथी लाइन, 84 किमी | महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ | कोयला और अन्य महत्वपूर्ण माल की आवाजाही को सुगम बनाना | 2,223 | |
वडोदरा – रतलाम | तीसरी और चौथी लाइन, 259 किमी | गुजरात, मध्य प्रदेश | दिल्ली-मुंबई उच्च-घनत्व नेटवर्क पर भीड़ कम करना | 8,885 | |
इटारसी – भोपाल – बीना | चौथी लाइन, 237 किमी | मध्य प्रदेश | दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण खंड पर कनेक्टिविटी बढ़ाना | 4,329 |
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव :
आबादी पर प्रभाव:
- लगभग 85 लाख से अधिक आबादी वाले लगभग 3,633 गाँवों और 2 आकांक्षी जिलों तक बेहतर कनेक्टिविटी
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यात्री और माल परिवहन की सुविधा बढ़ेगी
परिवहन और लॉजिस्टिक प्रभाव:
- कोयला, कंटेनर, सीमेंट, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न और इस्पात जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह मार्ग आवश्यक
- उच्च-घनत्व मार्गों पर माल और यात्री दोनों के लिए समय और लागत की बचत
रेलवे की परिचालन दक्षता में सुधार:
- मल्टी-ट्रैकिंग से रूट क्षमता बढ़ेगी
- ट्रेनें समय पर चलेंगी और देरी कम होगी
- परिचालन विश्वसनीयता में सुधार, विशेषकर व्यस्त मार्गों पर
वित्तीय और निर्माण संबंधी विवरण :
- भुसावल-वर्धा (314 किमी): ₹9,197 करोड़
- गोंदिया-डोंगरगढ़ (84 किमी): ₹2,223 करोड़
- वडोदरा-रतलाम (259 किमी): ₹8,885 करोड़
- इटारसी-भोपाल-बीना (237 किमी): ₹4,329 करोड़
- निर्माण अवधि: प्रत्येक परियोजना के लिए लगभग 5 वर्ष
विशेष ध्यान:
- लागत का निर्धारण मार्ग की लंबाई, भौगोलिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की जरूरतों के आधार पर किया गया है।
- इन परियोजनाओं में आधुनिक रेलवे तकनीक और मल्टी-ट्रैकिंग का उपयोग किया जाएगा।
रणनीतिक महत्व :
- राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग
- औद्योगिक और खनिज माल (कोयला, सीमेंट, स्टील) की आवाजाही में मदद
- लंबी दूरी की कनेक्टिविटी में सुधार: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद