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पेमेंट्स रेगुलेटरी बोर्ड

Fri 03 Oct, 2025

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत की तेज़ी से बढ़ती डिजिटल भुगतान प्रणाली को अधिक मजबूत, पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए एक छह-सदस्यीय "पेमेंट्स रेगुलेटरी बोर्ड" (PRB) का गठन किया है। यह बोर्ड पुराने BPSS (Board for Regulation and Supervision of Payment and Settlement Systems) की जगह लेगा और उससे कहीं अधिक अधिकार और संरचना के साथ कार्य करेगा।

PRB की आवश्यकता क्यों पड़ी?

भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली में पिछले कुछ वर्षों में UPI, AePS, RTGS जैसे नवाचारों के माध्यम से ज़बरदस्त वृद्धि हुई है। लेकिन इस तेज़ी से बढ़ते क्षेत्र के लिए BPSS जैसे सीमित अधिकार वाले निकाय पर्याप्त नहीं थे।

अब, PRB के गठन से डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में विशेषज्ञ और स्वतंत्र नियामक निगरानी संभव हो सकेगी।

PRB क्या है?

पेमेंट्स रेगुलेटरी बोर्ड (PRB) एक स्वतंत्र और विधिवत रूप से सशक्त बोर्ड है जिसे RBI ने Payment and Settlement Systems Act, 2007 के तहत स्थापित किया है।

PRB का उद्देश्य:

  • भारत में भुगतान और निपटान प्रणालियों को विनियमित करना।
  • डिजिटल लेन-देन में पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करना।
  • क्रॉस-बॉर्डर लेन-देन को सुगम और सुरक्षित बनाना।
  • उपभोक्ता हितों की रक्षा और नवाचार को बढ़ावा देना।

PRB की संरचना:

इस बोर्ड में 6 सदस्य होंगे:

  1. RBI गवर्नर (अध्यक्ष)
  2. भुगतान प्रणाली के प्रभारी RBI के डिप्टी गवर्नर
  3. RBI द्वारा नामित एक अधिकारी
  4. भारत सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी विशेषज्ञ:
    • कानून
    • सूचना प्रौद्योगिकी
    • वित्त या भुगतान प्रणाली

इसके अतिरिक्त, RBI का DPSS (Department of Payment and Settlement Systems) अब सीधे PRB को रिपोर्ट करेगा, BPSS के बजाय।

PRB की विशेषताएँ और लाभ:

  1. स्वतंत्र और सशक्त नियामक निकाय: PRB, BPSS की तुलना में अधिक स्वायत्त है और यह तेज़ फैसले लेने में सक्षम होगा।
  2. डिजिटल भुगतान को वैश्विक स्तर पर मजबूती: भारत का UPI अब सिंगापुर, UAE जैसे देशों से जुड़ चुका है। PRB इसके नियमन को वैश्विक मानकों तक पहुंचाने में सहायक होगा।
  3. निजी और सार्वजनिक सहयोग को बढ़ावा: बोर्ड में बाहरी विशेषज्ञों की मौजूदगी से निजी फिनटेक कंपनियों और सरकार के बीच बेहतर समन्वय हो सकेगा।
  4. साइबर सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण:

तेजी से बढ़ते साइबर खतरों के बीच PRB निगरानी और नियमन को बेहतर बनाएगा।

चुनौतियाँ:

  • PRB को SEBI, MeitY, TRAI जैसे अन्य नियामकों के साथ बेहतर तालमेल बैठाना होगा।
  • साइबर सुरक्षा, ग्रामीण पहुँच, और भ्रांतियों से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी।
  • डेटा गोपनीयता और रियल-टाइम नियमन भी एक प्रमुख पहलू है।

निष्कर्ष:

  • पेमेंट्स रेगुलेटरी बोर्ड (PRB) का गठन भारत के डिजिटल भुगतान भविष्य की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल डिजिटल भुगतान की निगरानी और पारदर्शिता को सुनिश्चित करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक फिनटेक लीडर बनने की दिशा में भी अग्रसर करेगा।
  • PRB के माध्यम से भारत न केवल अपने घरेलू लेन-देन तंत्र को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी एक प्रभावशाली भागीदार बन सकेगा।

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