28 September, 2025
RBI ने बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं के लिए सात निर्देश जारी किया
Wed 01 Oct, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29-30 सितंबर 2025 को बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं के लिए सात निर्देश/परिपत्र जारी किए, जिनमें से तीन मुख्य निर्देश 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हुए।
मुख्य बिन्दु :
- निर्देश मुख्य रूप से अग्रिम (लोन) पर ब्याज दरों, सोने-चांदी के बदले उधार, और पूंजी विनियमन से संबंधित हैं।
- चार मसौदा दिशानिर्देशों पर सार्वजनिक टिप्पणियों का आमंत्रण दिया गया है, जिन्हें 20 अक्टूबर 2025 तक जमा किया जा सकता है।
- ये बदलाव बैंकों को अधिक लचीलापन प्रदान करेंगे, जिससे उधारकर्ताओं को लाभ पहुंचेगा और वित्तीय प्रणाली मजबूत होगी।
मुख्य निर्देश जो 1 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हैं : -
सोना-चांदी गिरवी लोन नियम में बदलाव :
1. औद्योगिक और विनिर्माण उपयोग के लिए ऋण का विस्तार :
- पुराना नियम: सोने-चांदी को गिरवी रखकर ऋण देने का प्रावधान मुख्य रूप से ज्वैलर्स (Jewellers) तक सीमित था।
- नया नियम (लागू): अब बैंक और टियर-3 एवं टियर-4 शहरी सहकारी बैंक भी उन सभी उधारकर्ताओं को वर्किंग कैपिटल लोन दे सकते हैं जो सोने या चांदी का उपयोग कच्चे माल के रूप में अपने विनिर्माण या औद्योगिक प्रक्रियाओं में करते हैं।
- शर्त: बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि उधारकर्ता सोने या चांदी को निवेश या सट्टेबाजी के उद्देश्य से न खरीदें या न रखें।
2. लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेश्यो में बदलाव (प्रस्तावित) :
- LTV: यह वह अनुपात है जो बताता है कि गिरवी रखे सोने की कीमत के मुकाबले अधिकतम कितना लोन मिल सकता है।
- प्रस्तावित परिवर्तन: छोटे गोल्ड लोन के लिए LTV अनुपात में वृद्धि का प्रस्ताव है:
- ₹2.5 लाख तक के लोन के लिए LTV को 75% से बढ़ाकर 85% करने का प्रस्ताव है। (इसमें ब्याज की राशि भी शामिल होगी)।
- लाभ: इससे छोटे कर्जदारों को सोने की कीमत का अधिक हिस्सा लोन के रूप में मिल सकेगा, खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में।
3. ड्राफ्ट दिशानिर्देश और अन्य प्रस्ताव :
- RBI ने निम्नलिखित पर सार्वजनिक राय के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश भी जारी किए हैं:
- गोल्ड मेटल लोन (GML) चुकौती अवधि: ज्वैलर्स के लिए GML की चुकौती अवधि को 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन करने का प्रस्ताव है।
- गैर-विनिर्माता ज्वैलर्स को GML: जो घरेलू गैर-विनिर्माता ज्वैलर्स आभूषण उत्पादन को आउटसोर्स करते हैं, उन्हें भी GML लेने की अनुमति देने का प्रस्ताव है।
फ्लोटिंग रेट लोन नियमों में संशोधन
1. स्प्रेड (Spread) में लचीलापन :
- पुराना नियम: क्रेडिट रिस्क प्रीमियम के अलावा, ब्याज दर में जोड़े जाने वाले अन्य 'स्प्रेड घटकों' को बैंक केवल तीन साल में एक बार ही बदल सकते थे।
- नया नियम: अब बैंक तीन साल की अवधि से पहले भी ग्राहकों के हित के लिए और उन्हें बनाए रखने के लिए, गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से स्प्रेड घटकों को कम कर सकते हैं।
- लाभ: इससे RBI द्वारा रेपो दर में कटौती किए जाने पर बैंकों को मौजूदा ग्राहकों के लिए भी ब्याज दरें (और EMI) जल्दी कम करने की अनुमति मिलेगी।
2. फिक्स्ड रेट में बदलने का विकल्प
- पुराना नियम (अगस्त 2023 से): EMI-आधारित व्यक्तिगत लोन पर, ब्याज दर रीसेट के समय उधारकर्ताओं को फ्लोटिंग रेट से फिक्स्ड रेट में बदलने का अनिवार्य विकल्प देना होता था।
- नया नियम: यह विकल्प अब बैंकों के विवेक (Discretion) पर होगा। यानी, बैंक अपनी नीति के अनुसार यह विकल्प दे सकते हैं, लेकिन अब यह अनिवार्य नहीं रहा।
- लाभ: यह बैंकों को अपनी जोखिम प्रबंधन (Risk Management) रणनीतियों के अनुसार लचीलापन देता है।
अन्य संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव (प्रस्तावित और लागू) :
- प्रीपेमेंट/फोरक्लोजर शुल्क पर रोक: RBI ने पहले ही गैर-व्यावसायिक, फ्लोटिंग रेट वाले व्यक्तिगत ऋणों पर प्रीपेमेंट शुल्क (Prepayment Charges) या फोरक्लोजर पेनल्टी पर रोक लगा दी है।
- गोल्ड और सिल्वर लोन के नियम: अब बैंक और टियर-3/टियर-4 शहरी सहकारी बैंक भी उन उद्योगों को वर्किंग कैपिटल लोन दे सकते हैं जो सोने या चांदी का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं (पहले यह मुख्य रूप से जौहरियों तक सीमित था)।
- क्रेडिट रिपोर्टिंग: RBI ने प्रस्ताव दिया है कि क्रेडिट संस्थानों को क्रेडिट ब्यूरो को जानकारी अब पाक्षिक (fortnightly) के बजाय साप्ताहिक (weekly) आधार पर जमा करनी होगी, जिससे डेटा की सटीकता और समयबद्धता बढ़ेगी।
पूंजी विनियमन (बेसल III पूंजी विनियम - अतिरिक्त टियर 1 पूंजी में शाश्वत ऋण लिखत), 2025
यह परिवर्तन मुख्य रूप से बैंकों को विदेशी बाजारों से अतिरिक्त टियर 1 (Additional Tier 1 - AT1) पूंजी जुटाने में अधिक लचीलापन प्रदान करने से संबंधित है।
मुख्य परिवर्तन: विदेशी बाज़ार से पूंजी जुटाने की सीमा में वृद्धि :
- RBI ने Additional Tier 1 (AT1) पूंजी के रूप में जारी किए जाने वाले शाश्वत ऋण लिखत (Perpetual Debt Instruments - PDI) की पात्र सीमा (Eligible Limit) में संशोधन किया है, खासकर उन लिखतों के लिए जो विदेशी मुद्रा में या ओवरसीज रुपये-मूल्यवर्गित बांड (Rupee Denominated Bonds Overseas) के रूप में जारी किए जाते हैं।
- उद्देश्य: इस संशोधन का उद्देश्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (Scheduled Commercial Banks - RRBs को छोड़कर) को अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाजारों का लाभ उठाने के लिए अधिक गुंजाइश प्रदान करना है।
- प्रभाव: सीमा में वृद्धि करके, बैंकों को अपने टियर 1 पूंजी आधार को मजबूत करने और बेसल III पूंजी पर्याप्तता मानदंडों को बेहतर ढंग से पूरा करने में मदद मिलेगी।
मसौदा दिशानिर्देश (ड्राफ्ट गाइडलाइंस)
RBI ने चार मसौदा जारी किए, जिन पर फीडबैक आमंत्रित है:
- क्रेडिट जानकारी रिपोर्टिंग संशोधन: क्रेडिट संस्थाओं को क्रेडिट जानकारी कंपनियों को डेटा साप्ताहिक आधार पर जमा करना पड़ सकता है (पहले द्विसाप्ताहिक), साथ ही त्रुटि सुधार, तेज डेटा सबमिशन और CKYC नंबर कैप्चर अनिवार्य
- बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क (LEF) और इंट्रा-ग्रुप एक्सपोजर: विदेशी बैंकों के लिए एक्सपोजर गणना, जोखिम हेजिंग और थ्रेशोल्ड को Tier-1 पूंजी से लिंक करने के स्पष्ट नियम
- गोल्ड मेटल लोन (GML) स्कीम: गोल्ड लोन पर अतिरिक्त दिशानिर्देश
- अन्य: इंट्रा-ग्रुप एक्सपोजर पर स्पष्टता
- विश्लेषण: ये मसौदे क्रेडिट सिस्टम को अधिक सटीक और अप-टू-डेट बनाएंगे, जो धोखाधड़ी रोकने और CKYC के माध्यम से KYC प्रक्रिया को सरल करेगा। साप्ताहिक रिपोर्टिंग से क्रेडिट स्कोरिंग बेहतर होगी, लेकिन बैंकों पर अनुपालन बोझ बढ़ेगा
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव :
- बैंकों और नियामक संस्थानों के बीच संचार और प्रक्रियाओं में सुधार।
- बैंकिंग शुल्क, NPS पेंशन नियमों में संशोधन और रेलवे टिकट बुकिंग के नए नियम लागू होंगे।
- UPI पर कलेक्ट रिक्वेस्ट फीचर बंद किया जाएगा जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।
- पॉजिटिव क्रेडिट सूचना प्रबंधन और उपभोक्ता रिकॉर्ड में त्रुटियों को सुधारने के लिए पर्यवेक्षण बढ़ेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक
स्थापना वर्ष | स्थापना वर्ष स्थापना : 1 अप्रैल, 1935 को RBI अधिनियम, 1934 के तहत |
राष्ट्रीयकरण | 1949 में |
प्रथम गवर्नर | सर ओसबोर्न स्मिथ (1935-1937) |
प्रथम भारतीय गवर्नर | सी.डी. देशमुख (1943-1949) |
मुख्यालय | मुंबई, महाराष्ट्र |