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भारत के प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व को IUCN से आधिकारिक मान्यता

Sun 28 Sep, 2025

संदर्भ :

  • अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 में भारत के प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व को आधिकारिक मान्यता प्रदान की।

डुगोंग संरक्षण रिजर्व: स्थापना और विवरण

स्थापना:

  • यह भारत का प्रथम डुगोंग संरक्षण रिजर्व है, जिसकी अधिसूचना 21 सितंबर 2022 को तमिलनाडु सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत की गई।
  • यह थंजावुर और पुडुकोट्टई जिलों के उत्तरी पाक खाड़ी क्षेत्र को कवर करता है।
  • क्षेत्रफल: 448.34 वर्ग किलोमीटर

पारिस्थितिक महत्व:

  • क्षेत्र में 12,250 हेक्टेयर से अधिक समुद्री घास (सीग्रास) के मैदान हैं, जो डुगोंग (Dugong dugon) के प्रमुख भोजन स्रोत हैं।
  • ये मैदान न केवल डुगोंग बल्कि मछलियों, केकड़ों, झींगों और अन्य समुद्री प्रजातियों को भी आश्रय प्रदान करते हैं, जो स्थानीय मछुआरों की आजीविका का आधार हैं।

संरक्षण प्रयास:

  • रिजर्व में बांस और नारियल रस्सी के फ्रेम का उपयोग करके समुद्री घास के मैदानों को पुनर्स्थापित करने की नवीन तकनीकें अपनाई गई हैं।
  • 2021-2025 के बीच 16 डुगोंगों को बचाया और छोड़ा गया।
  • स्थानीय समुदायों को जागरूक किया गया है, जिससे दुर्घटनीय पकड़ने पर वन विभाग को सूचित करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।
  • इसके अलावा, थंजावुर के मनोरा में अंतर्राष्ट्रीय डुगोंग संरक्षण केंद्र की स्थापना की जा रही है।

भौगोलिक संदर्भ:

  • पाक खाड़ी एक उथली खाड़ी है, जो डुगोंग के लिए आदर्श आवास प्रदान करती है।
  • भारत में डुगोंग की प्रमुख आबादी यहीं, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पाई जाती है।

डुगोंग प्रजाति: विशेषताएं और संरक्षण स्थिति

डुगोंग (Dugong dugon) :

  • एक दुर्लभ समुद्री स्तनधारी है, जिसे अक्सर "sea cow" यानी समुद्री गाय कहा जाता है।
  • यह मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय समुद्री क्षेत्रों में पाया जाता है।

वर्गीकरण:

  • वैज्ञानिक नाम: डुगोंग डुगोन
  • परिवार: डुगोंगिडे
  • आदेश: सिरेनिया

भौतिक और जीवनशैली विशेषताएँ:

  • लंबाई: लगभग 2.5–3.5 मीटर
  • वजन: लगभग 250–400 किलोग्राम
  • शाकाहारी: मुख्य रूप से समुद्री घास (seagrass) खाते हैं
  • धीमी गति से तैरते हैं और अधिकतर समय पानी की सतह के पास रहते हैं
  • प्रजनन: 13–15 महीने का गर्भकाल, एक बछड़ा जन्म लेता है
  • वितरण: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, जैसे भारतीय महासागर और पश्चिमी प्रशांत। भारत में: पाक खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान-निकोबार।
  • प्रजनन: परिपक्वता 9-10 वर्ष में, जन्म अंतराल 3-5 वर्ष, जनसंख्या वृद्धि दर अधिकतम 5% प्रति वर्ष (धीमी वृद्धि)।

संरक्षण स्थिति:

  • IUCN रेड लिस्ट: असुरक्षित (Vulnerable)
  • CITES: अपेंडिक्स I (व्यापार पर प्रतिबंध)
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I (उच्चतम संरक्षण)
  • CMS (Convention on Migratory Species): अपेंडिक्स II; भारत 2008 से डुगोंग MoU का हस्ताक्षरकर्ता
  • भारत में आबादी: अनुमानित 150-200 (पाक खाड़ी में केंद्रित)

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)

  • पूरा नाम: अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature)
  • स्थापना: 5 अक्टूबर 1948, फ्रांस के फॉन्टेनब्लो में
  • मुख्यालय: ग्लैंड, स्विट्जरलैंड
  • प्रकार: गैर-सरकारी, अंतरराष्ट्रीय संगठन
  • उद्देश्य: प्रकृति संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना
  • सदस्यता: लगभग 1400 सरकारी और गैर-सरकारी संगठन विश्व के 170 से अधिक देशों से जुड़े हैं।
  • कर्मचारी: लगभग 900 पूर्णकालिक कर्मचारी विभिन्न देशों में कार्यरत हैं।
  • कार्य क्षेत्र: प्रकृति संरक्षण, जैव विविधता की सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और सतत विकास।
  • प्रमुख गतिविधियां: डेटा एकत्र करना और विश्लेषण करना, अनुसंधान, क्षेत्रीय संरक्षण परियोजनाएं, पर्यावरणीय नीतियों का समर्थन, शिक्षा, जागरूकता अभियान।
  • प्रमुख उपलब्धि: IUCN रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटेंड स्पीशीज, जो विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों की स्थिति दर्शाती है।

अन्य तथ्य:

  • IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस हर चार साल में आयोजित होती है, जहां सदस्यों द्वारा वैश्विक संरक्षण एजेंडे पर मतदान किया जाता है।
  • IUCN संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक की भूमिका निभाता है और कई अंतरराष्ट्रीय संरक्षण संधियों का समर्थन करता है।
  • यह संगठन पर्यावरण संरक्षण हेतु सरकारों, व्यवसायों और अन्य हितधारकों को सलाह एवं सहयोग प्रदान करता है।

नोट: IUCN की विश्व संरक्षण कांग्रेस 2025 (अबू धाबी) में भारत के डुगोंग संरक्षण रिजर्व को 98% सरकारी और 94.8% गैर-सरकारी समर्थन के साथ मान्यता दी गई, जो इसके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।

IUCN विश्व संरक्षण कांग्रेस

  • पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए आयोजित होने वाला सबसे बड़ा वैश्विक मंच है।
  • आयोजन : प्रत्‍येक चार वर्ष में
  • भाग लेते हैं : सरकारें, नागरिक समाज, स्वदेशी समूह, व्यवसाय, शिक्षा जगत के विशेषज्ञ और निर्णयकर्ता
  • उद्देश्य : वैश्विक संरक्षण एजेंडा निर्धारित करना, पर्यावरण शासन को मजबूत करना, प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करना और संरक्षण जिम्मेदारियों का समान वितरण सुनिश्चित करना

तीन मुख्य घटक :

  • फोरम: संरक्षण और सतत विकास से जुड़ी ज्ञान और नवाचार की सबसे बड़ी मार्केटप्लेस है जहां आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं पर चर्चा होती है।
  • प्रदर्शनी: इसमें IUCN के सदस्य, व्यवसाय, सहयोगी और अकादमिक संस्था अपने पवेलियन और शोध कार्य प्रदर्शित करते हैं।
  • सदस्य सभा: ये IUCN का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय होता है, जिसमें सदस्य संरक्षण तथा सतत विकास से जुड़े मुद्दों पर मतदान करते हैं।हालिया आयोजन (2025):
  • स्थान: अबू धाबी, संयुक्त अरब अमीरात
  • थीम "शक्ति परिवर्तनकारी संरक्षण"

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