23 September, 2025
सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता
Tue 23 Sep, 2025
सऊदी अरब और पाकिस्तान ने एक ऐतिहासिक रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defense Agreement – SMDA) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दशकों से चले आ रहे अनौपचारिक सैन्य सहयोग को औपचारिक रूप प्रदान करता है और पश्चिम एशिया व दक्षिण एशिया में नई रणनीतिक वास्तविकता को जन्म देता है।
क्या है यह समझौता?
- यह एक सामूहिक रक्षा समझौता है, जिसमें सैन्य सहयोग, खुफिया साझाकरण और संयुक्त सुरक्षा तंत्र शामिल हैं।
- पाकिस्तान के लिए यह आर्थिक राहत और रणनीतिक अहमियत लाता है।
- सऊदी अरब के लिए यह ईरान, हूती विद्रोहियों, और इज़राइल जैसी चुनौतियों से बचाव का एक तरीका है।
भारत पर संभावित प्रभाव
1. खाड़ी क्षेत्र में भारत के लिए रणनीतिक चुनौती
- यह समझौता पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर OIC जैसे इस्लामी मंचों में भारत विरोधी एजेंडा चलाने की ताकत देगा।
- भारत की "लुक वेस्ट पॉलिसी" को भी झटका लग सकता है।
2. ऊर्जा सुरक्षा पर असर
- सऊदी अरब, भारत के लिए एक प्रमुख कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता है। इस गठबंधन से तेल व्यापार में अनिश्चितता उत्पन्न हो सकती है।
3. प्रवासी भारतीयों पर प्रभाव
- सऊदी में 26 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं। राजनीतिक अस्थिरता का असर रोज़गार और रेमिटेंस पर पड़ सकता है।
4. आतंकवाद के खिलाफ भारत की कोशिशें कमज़ोर हो सकती हैं
- सऊदी-पाकिस्तान निकटता से FATF और UNSC जैसे मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीति कमजोर पड़ सकती है।
5. हथियारों की दौड़ तेज हो सकती है
- सऊदी की आर्थिक मदद से पाकिस्तान अपने सैन्य संसाधन जैसे AI ड्रोन, साइबर वॉरफेयर, मिसाइल को आधुनिक कर सकता है।
- भारत को भी अपनी रणनीतिक तैयारी बढ़ानी होगी।
भारत-सऊदी संबंधों का महत्व
क्षेत्र | महत्व भारत के लिए |
ऊर्जा सुरक्षा | भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता |
व्यापार | भारत-सऊदी व्यापार 43 बिलियन डॉलर (2023) से अधिक |
प्रवासी | 2.6 मिलियन भारतीय सऊदी में कार्यरत |
सैन्य सहयोग | संयुक्त अभ्यास – अल मोहद अल हिंदी, EX-सादा तंसीक |
भू-रणनीति | IMEC (India-Middle East-Europe Corridor) में सऊदी की भागीदारी |
हरित ऊर्जा | ग्रीन हाइड्रोजन, सोलर, फिनटेक में साझेदारी |
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
1. सऊदी के साथ आर्थिक कूटनीति को मजबूत करना
- पश्चिमी तट रिफाइनरी, तेल भंडारण, ग्रीन एनर्जी आदि पर ध्यान केंद्रित करना।
2. ईरान के साथ व्यावहारिक जुड़ाव
- चाबहार बंदरगाह और INSTC जैसे प्रोजेक्ट को तेज़ी देना।
3. लुक वेस्ट नीति को विस्तार देना
- UAE, कतर जैसे देशों से गहरे संबंध बनाना।
4. मिनीलेटरल ढांचे का उपयोग
- I2U2 (भारत-इस्राइल-UAE-अमेरिका) जैसे मंचों पर प्रभावशाली भागीदारी।
निष्कर्ष
- सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता पश्चिम एशिया में एक बहुध्रुवीय रणनीतिक व्यवस्था की शुरुआत करता है। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह बहुपक्षीय रणनीति, आर्थिक जुड़ाव और प्रगतिशील कूटनीति के माध्यम से अपने हितों की रक्षा करे।
सऊदी अरब और पाकिस्तान
सऊदी अरब | पाकिस्तान | |
राजधानी | रियाद | इस्लामाबाद |
मुद्रा | सऊदी रियाल (SAR) | पाकिस्तानी रुपया (PKR) |
राष्ट्राध्यक्ष | किंग सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद | राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी (2025) |
प्रधानमंत्री/शासक | क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) | प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ (2025) |