22 September, 2025
राष्ट्रीय भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति 2025
Sun 21 Sep, 2025
संदर्भ
- भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने वर्ष 2025 में राष्ट्रीय भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति शुरू की है, जिसका उद्देश्य भारत की भू-ऊष्मीय ऊर्जा क्षमता को दोहन कर स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना है।
क्या है भू-ऊष्मीय ऊर्जा?
- भू-ऊष्मीय ऊर्जा (Geothermal Energy) वह ऊर्जा है जो पृथ्वी के भीतर मौजूद ऊष्मा से प्राप्त होती है। यह ऊर्जा मुख्यतः पृथ्वी की सतह के नीचे के प्राकृतिक रेडियोधर्मी क्षय और भूगर्भीय क्रियाओं से उत्पन्न होती है।
भारत की भू-ऊष्मीय क्षमता:
भारत में अनुमानित भू-ऊष्मीय क्षमता 10 गीगावाट से अधिक है। प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:
- हिमालय क्षेत्र – जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड
- गोडावरी ग्रैबन – आंध्र प्रदेश
- कम्बे ग्रैबन – गुजरात
- नर्मदा-सोन-ताप्ती क्षेत्र – मध्य प्रदेश
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
परंतु, स्पष्ट नीति के अभाव और तकनीकी चुनौतियों के कारण इसका पूर्ण उपयोग नहीं हो पाया।
नीति का उद्देश्य एवं प्रमुख विशेषताएँ:
तत्व | विवरण |
नीति का नाम | राष्ट्रीय भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति 2025 |
जारी करने वाला | नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) |
लक्ष्य | 10 GW भू-ऊष्मीय ऊर्जा क्षमता का दोहन |
उद्देश्य | शोध, नवाचार, उपयोग, और निजी भागीदारी को बढ़ावा देना |
नीति के मुख्य लक्ष्य:
1. शोध और नवाचार
- ड्रिलिंग, रेजरवॉयर प्रबंधन, और कम लागत वाली बिजली उत्पादन तकनीकों पर अनुसंधान।
- स्टार्टअप्स और तकनीकी संस्थानों को समर्थन।
2. कार्बन कटौती और पर्यावरणीय लाभ
- हीटिंग/कूलिंग, पर्यटन, कृषि, उद्योग आदि में भू-ऊष्मीय ऊर्जा का उपयोग।
- भारत के नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य में सहयोग।
3. अवसंरचना का उपयोग
- पुराने तेल एवं गैस कुओं का पुनः उपयोग करके लागत में कमी लाना।
4. सहयोग और साझेदारी
- अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों, अनुसंधान संस्थानों और वैश्विक एजेंसियों से सहयोग।
5. निजी भागीदारी (PPP)
- निजी निवेश को आकर्षित करने हेतु नीतिगत और वित्तीय ढाँचा तैयार करना।
कार्यान्वयन तंत्र:
- नोडल एजेंसी: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE)
- राज्य मिशन: संबंधित राज्य अपनी भू-ऊष्मीय ऊर्जा मिशन शुरू करेंगे।
- डेटा केंद्र: एक केंद्रीकृत भू-ऊष्मीय डेटा रिपॉजिटरी स्थापित की जाएगी।
- सरलीकृत प्रक्रिया: पर्यावरण स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण, रॉयल्टी नियम सरल किए जाएंगे।
नीति से लाभ:
लाभ | विवरण |
24x7 स्वच्छ ऊर्जा | अन्य अक्षय स्रोतों की तुलना में निरंतर ऊर्जा |
पर्यावरण हितैषी | न्यूनतम उत्सर्जन और सतत विकास |
स्थानीय विकास | ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और पर्यटन |
हीटिंग/कूलिंग समाधान | ठंडे इलाकों में लाभदायक |
लंबी अवधि में किफायती | संचालन लागत बहुत कम |
चुनौतियाँ:
- उच्च प्रारंभिक निवेश
- विशेषज्ञों की कमी
- भूवैज्ञानिक जोखिम
- निवेशकों में जागरूकता की कमी
- विभिन्न एजेंसियों में समन्वय की आवश्यकता
आगे की राह:
- पायलट प्रोजेक्ट जैसे लद्दाख, गुजरात और छत्तीसगढ़ में।
- वित्तीय प्रोत्साहन योजनाएँ
- क्षमता निर्माण कार्यक्रम
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय भू-ऊष्मीय ऊर्जा नीति 2025 भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह नीति न केवल देश की स्वच्छ ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगी, बल्कि भारत को भू-ऊष्मीय तकनीक में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी ले जाएगी।