22 September, 2025
भू-तापीय ऊर्जा पर प्रथम राष्ट्रीय नीति
Fri 19 Sep, 2025
संदर्भ :
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने भू-तापीय ऊर्जा पर प्रथम राष्ट्रीय नीति (2025) को अधिसूचित किया।
पृष्ठभूमि :
- भारत में भू-तापीय ऊर्जा का विकास अपेक्षाकृत कम हुआ है, परंतु इसमें असीमित क्षमता है।
- भूगर्भीय सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (GSI) ने 381 गर्म पानी के झरने और लगभग 10 भू-तापीय ऊर्जा संभावित क्षेत्र (प्रदेश) पहचाने हैं।
- ये क्षेत्र लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर सहित 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हैं।
- भारत की अनुमानित भू-तापीय ऊर्जा क्षमता 10,000 मेगावाट (10 गीगावाट) से अधिक मानी जाती है, जबकि वर्तमान स्थापित क्षमता नगण्य है।
- वैश्विक स्तर पर, भू-तापीय ऊर्जा क्षमता 2024 तक 15.4 गीगावाट थी, जिसमें अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस अग्रणी हैं।
- MNRE ने 2024 में एक टास्क फोर्स गठित की, जिसमें शोध संस्थान, उद्योग प्रतिनिधि शामिल थे, जिनकी सिफारिशों पर यह नीति आधारित है।
उद्देश्य :
- उच्च गुणवत्ता और सतत भू-तापीय ऊर्जा संसाधनों का अन्वेषण और व्यावसायीकरण।
- बिजली उत्पादन के साथ-साथ प्रत्यक्ष उपयोग (जैसे जिला हीटिंग, कृषि, मत्स्य पालन, भवन ताप-शीतलन) को प्रोत्साहित करना।
- नेट-जीरो 2070 लक्ष्य के लिए नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में भू-तापीय ऊर्जा को शामिल करना।
- स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना।
- सार्वजनिक, निजी और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ सहयोग सुविधा प्रदान करना।
- आर्थिक विकास के लिए खनिज संसाधनों (जैसे सिलिका, लिथियम) के निष्कर्षण के अवसरों का विकास।
प्रमुख प्रावधान :
श्रेणी | प्रावधान |
नोडल एजेंसी | MNRE को भू-तापीय ऊर्जा के नियमन और समन्वय के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया। |
अन्वेषण और अनुमति | एकल-खिड़की अनुमति प्रक्रिया, राज्य स्तर पर दिशानिर्देश, सामुदायिक परामर्श विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में। |
तकनीकी और नवाचार | उच्च और मध्यम तापीय ऊर्जा संसाधनों पर ध्यान; Enhanced Geothermal Systems (EGS) और Ground Source Heat Pumps (GSHPs) के विकास को प्रोत्साहन। |
वित्तीय प्रोत्साहन | व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण, टैक्स छूट, आयात शुल्क में छूट, भू-भूमि आवंटन, 100% FDI अनुमति। |
क्षमता निर्माण | Centres of Excellence (CoE), प्रशिक्षण, R&D प्रयास; प्रारंभिक 5 पायलट परियोजनाएं स्वीकृत। |
मॉनिटरिंग | नियमित प्रगति रिपोर्टिंग, प्रभाव आकलन। |
लाभ और संभावित प्रभाव :
- पर्यावरणीय लाभ: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना, 24x7 बिजली उपलब्ध कराना।
- आर्थिक लाभ: रोजगार सृजन (अन्वेषण, ड्रिलिंग, तकनीक विकास), खनिज निष्कर्षण से अतिरिक्त आय।
- ऊर्जा सुरक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा में स्थिर और भरोसेमंद स्रोत के रूप में योगदान।
- सामाजिक लाभ: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में विकास; HVAC प्रणालियों में 50% से अधिक ऊर्जा दक्षता।
चुनौतियां और सुझाव :
चुनौती | सुझाए गए समाधान |
तकनीकी चुनौती | उच्च प्रारंभिक निवेश, जोखिमपूर्ण अन्वेषण; अंतरराष्ट्रीय सहयोग से तकनीकों का हस्तांतरण। |
नियामक अड़चनें | अनुमोदन प्रक्रियाओं में देरी; डिजिटल प्लेटफॉर्म से एकल-खिड़की प्रक्रिया तेज करना। |
वित्तीय जोखिम | निजी निवेश की कमी; जोखिम साझाकरण हेतु बीमा और ग्रीन फंड्स का प्रावधान। |
सामाजिक विरोध | आदिवासी तथा स्थानीय समुदायों का विरोध; लाभ-साझाकरण मॉडल से संतुलन स्थापित करना। |
भू-तापीय ऊर्जा
परिभाषा :
- भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) पृथ्वी की सतह के नीचे संचित ऊष्मा (Heat) से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है। यह ऊर्जा प्राकृतिक रूप से गर्म झरनों, गीजर, ज्वालामुखी क्षेत्रों और भूमिगत चट्टानों से उत्पन्न होती है।
प्रमुख विशेषताएँ :
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोत – इसमें कार्बन उत्सर्जन बहुत कम होता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा – पृथ्वी के भीतर ऊष्मा निरंतर उत्पन्न होती रहती है।
- 24×7 उपलब्धता – सौर और पवन ऊर्जा की तरह मौसम पर निर्भर नहीं है।
बहुउपयोगी – बिजली उत्पादन, जिला तापन (District Heating), कृषि (ग्रीनहाउस), मत्स्य पालन, औद्योगिक उपयोग, अलवणीकरण (Desalination) और पर्यटन में प्रयोग।
वैश्विक परिदृश्य :
- प्रमुख उत्पादक देश – अमेरिका, इंडोनेशिया, फिलीपींस, तुर्की, न्यूज़ीलैंड, आइसलैंड, मेक्सिको और केन्या।
- आइसलैंड – अपनी लगभग 90% ऊर्जा आवश्यकता भू-तापीय और जलविद्युत से पूरी करता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका – भू-तापीय बिजली उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान।
भारत में स्थिति :
- संभावित क्षमता – लगभग 10,000 मेगावॉट।
प्रमुख क्षेत्र –
- जम्मू-कश्मीर व लद्दाख (पुग्गा, चुमाथांग)
- हिमाचल प्रदेश (मनीकरण, तापोवन)
- उत्तराखंड
- छत्तीसगढ़ (तत्तापानी)
- महाराष्ट्र, गुजरात (कच्छ क्षेत्र)
- अंडमान-निकोबार द्वीप समूह
लाभ :
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी।
- ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा।
- आयातित ईंधन पर निर्भरता में कमी।
- रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा।
भारत का भू-तापीय ऊर्जा परिदृश्य
भू-तापीय एटलस (2022) :
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India – GSI) ने एक भू-तापीय एटलस प्रकाशित किया है।
- इसमें देशभर में 381 तापीय रूप से असामान्य क्षेत्रों (Thermally Anomalous Areas) की पहचान की गई है।
अनुमानित क्षमता :
- भारत में लगभग 10,600 मेगावाट (MW) भू-तापीय ऊर्जा की संभावित क्षमता है।
- यह क्षमता विविध भू-वैज्ञानिक क्षेत्रों में पाई जाती है, जैसे:
-
- हिमालय
- गुजरात
- महाराष्ट्र
- सोनाटा बेसिन
- गोदावरी बेसिन
- पूर्वोत्तर राज्य
प्रमुख भू-तापीय जलाशय
पुगा–चुमाथांग क्षेत्र (लद्दाख) :
- यहाँ तापमान 240°C तक पाया जाता है।
- यह क्षेत्र फ्लैश या बाइनरी पॉवर प्लांट के लिए उपयुक्त है।
- लद्दाख की पुगा घाटी में भारत की पहली और विश्व की सबसे ऊँची भू-तापीय ऊर्जा परियोजना विकसित की जा रही है।
- इस परियोजना का क्रियान्वयन तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) द्वारा 14,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर किया जा रहा है।
तातापानी–सूरजकुंड बेल्ट (छत्तीसगढ़/झारखंड) :
- यहाँ 110–150°C तापमान वाले मध्यम आंतरिक ऊर्जा क्षेत्र पाए जाते हैं।
कैम्बे बेसिन (गुजरात):
- इसमें मध्यम से उच्च आंतरिक ऊर्जा क्षमता है।
- यह क्षेत्र विद्युत उत्पादन और प्रत्यक्ष उपयोग (Direct Use) दोनों के लिए उपयुक्त है।