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यूनेस्को संभावित सूची में भारत के नए स्थल शामिल

Tue 16 Sep, 2025

संदर्भ :

  • यूनेस्को ने भारत के सात नए स्थलों को अपनी विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया, जिससे अब यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल भारतीय संपत्तियों की संख्या 69 (सांस्कृतिक श्रेणी में 49, मिश्रित श्रेणी में तीन और प्राकृतिक श्रेणी में 17) हो गई है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह सूची उन स्थलों की है जिन्हें भविष्य में पूर्ण विश्व धरोहर सूची में नामांकित करने की योजना बनाई जा सकती है।
  • पुरातत्व सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (ASI) ने इन नामांकनों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत के सात नए शामिल स्थल

1. डेक्कन ट्रैप्स एट पंचगनी एंड महाबलेश्वर (महाराष्ट्र) : 

  • स्थान: पंचगनी और महाबलेश्वर, महाराष्ट्र, भारत
  • प्रकार: विशाल आग्नेय प्रदेश / ज्वालामुखीय पठार
  • निर्माण: यह पठार देर क्रेटेशियस काल (~66 मिलियन वर्ष पहले) में हुई विशाल ज्वालामुखीय विस्फोटों से बना।
  • क्षेत्रफल: यह डेक्कन ट्रैप्स का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे बड़े ज्वालामुखीय प्रदेशों में से एक है, और लगभग 5,00,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
  • चट्टान का प्रकार: बेसाल्टिक लावा प्रवाह

महत्त्व:

  • इस क्षेत्र की मिट्टी उर्वरक काली मिट्टी बनाती है, जो खेती (विशेषकर कपास) के लिए उपयुक्त है
  • भूविज्ञान और जीवाश्म विज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण
  • इसे डायनासोर के विलुप्त होने वाले बड़े पैमाने पर घटना से जोड़ा जाता है

यूनेस्को मानदंड : यह स्थल मानदंड (vii) - प्राकृतिक सौंदर्य, (viii) - भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का उत्कृष्ट उदाहरण, और (ix) - पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को पूरा करता है

2. जियोलॉजिकल हेरिटेज ऑफ सेंट मैरी आइलैंड क्लस्टर (उडुपी, कर्नाटक) : 

  • स्थान: सेंट मैरी आइलैंड क्लस्टर, उडुपी, कर्नाटक, भारत
  • प्रकार: ज्वालामुखीय और जियोलॉजिकल हेरिटेज साइट

विशेषताएँ:

  • यह एक छोटे द्वीपों का समूह है जो अरब सागर में स्थित है।
  • द्वीपों की चट्टानें प्राचीन लावा प्रवाह और बेसाल्टिक संरचना को प्रदर्शित करती हैं।
  • इनमें स्तरीकृत लावा और कॉलमर बेसाल्ट संरचनाएँ पाई जाती हैं, जो पृथ्वी के ज्वालामुखीय इतिहास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

महत्त्व:

  • भूविज्ञान और ज्वालामुखीय गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण।
  • पर्यटन और शिक्षा के लिए आकर्षक स्थल।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (viii) - असाधारण भू-वैज्ञानिक संरचनाओं का प्रतिनिधित्व

3. मेघालयन एज केव्स (पूर्व खासी हिल्स, मेघालय) : 

  • स्थान: पूर्व खासी हिल्स, मेघालय, भारत
  • प्रकार: प्राकृतिक गुफाएँ / जियोलॉजिकल हेरिटेज साइट

विशेषताएँ:

  • यह क्षेत्र भारत की सबसे बड़ी गुफा प्रणालियों में से एक है।
  • गुफाएँ चूना पत्थर (Limestone) से बनी हैं, और इनमें सिरेस्टल और स्टैलैक्टाइट संरचनाएँ पाई जाती हैं।
  • गुफाएँ जैविक विविधता, प्राचीन जलधाराएँ और भूमिगत नदियों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

महत्व :

  • ये गुफाएं होलोसीन युग (लगभग 4200 वर्ष पूर्व) की जलवायु परिवर्तन घटना का प्रमाण हैं, जिसे 'मेघालयन एज' कहा जाता है।
  • यहां स्टेलाग्माइट्स और स्टेलैक्टाइट्स जैसी संरचनाएं हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। जैव-विविधता में अनोखे सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (viii) - पृथ्वी की इतिहास की प्रमुख चरणों का प्रमाण

4. नागा हिल ओफियोलाइट (किफिरे, नागालैंड) : 

  • स्थान: किफिरे, नागालैंड, भारत
  • प्रकार: जियोलॉजिकल/भूवैज्ञानिक हेरिटेज साइट

विशेषताएँ:

  • यह क्षेत्र ओफियोलाइट श्रृंखला के लिए प्रसिद्ध है, जो महासागरीय क्रस्ट और मेसोस्फियर के अवशेषों को प्रदर्शित करती है।
  • ओफियोलाइट चट्टानें बेसाल्ट, डायबेसाइट, गैब्रो और अन्य मैग्माटिक चट्टानों से बनी होती हैं।
  • यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से महासागरीय प्लेट टेक्टोनिक्स और हिमालय-पूर्वोत्तर भारत की भू-गठन प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण है।

महत्त्व:

  • भूगर्भ विज्ञान और प्लेट टेक्टोनिक्स के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा में योगदान।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (viii) - भूगर्भीय प्रक्रियाओं का उत्कृष्ट उदाहरण।

5. नेचुरल हेरिटेज ऑफ एरा मैटी डिब्बलू (विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश) : 

  • स्थान: एरा मैटी डिब्बलू, विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश, भारत
  • प्रकार: प्राकृतिक भूवैज्ञानिक हेरिटेज साइट / तटीय रेतीले टीले (Sand Dunes)

विशेषताएँ:

  • यह क्षेत्र प्राकृतिक रेतीले टीले (Sand Hills) के लिए प्रसिद्ध है।
  • टीले प्राचीन समुद्री और तटीय प्रक्रियाओं के भूवैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
  • इनकी संरचना रेत और बालू की परतों से बनी है, जो पर्यावरणीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

महत्त्व:

  • ये डिब्बलू (सैंड ड्यून्स) तटीय अपरदन और हवा की प्रक्रियाओं का प्रमाण हैं। यह क्षेत्र पक्षियों और वनस्पतियों का निवास है।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (vii) और (viii)

6. नेचुरल हेरिटेज ऑफ तिरुमाला हिल्स (तिरुपति, आंध्र प्रदेश) : 

  • स्थान: तिरुमाला हिल्स, तिरुपति, आंध्र प्रदेश, भारत
  • प्रकार: प्राकृतिक और धार्मिक हेरिटेज साइट

विशेषताएँ:

  • यह क्षेत्र पहाड़ी श्रृंखला और वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहाँ की पहाड़ियाँ ग्रेनाइट और अन्य प्राचीन चट्टानों से बनी हैं।
  • प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यह धार्मिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है, क्योंकि तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर इसी क्षेत्र में स्थित है।

महत्त्व:

  • प्राचीन चट्टानें और जैव-विविधता, जिसमें दुर्लभ जड़ी-बूटियां। धार्मिक और प्राकृतिक महत्व।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (vii), (ix) और (x)

7. नेचुरल हेरिटेज ऑफ वरकाला (केरल) : 

  • स्थान: वर्कला, केरल, भारत
  • प्रकार: प्राकृतिक और भूवैज्ञानिक हेरिटेज साइट

विशेषताएँ:

  • वर्कला अपने समुद्र तटीय चट्टानों और लाल रंग की समुद्री चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह क्षेत्र क्लिफ़ और समुद्री प्रक्रियाओं के भूवैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करता है।
  • यहाँ की संरचना सैंडस्टोन और शेल चट्टानों से बनी है।

यूनेस्को मानदंड : मानदंड (viii)

यूनेस्को सामान्‍य जानकारी

  • पूरा नाम: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन
  • अंग्रेज़ी नाम: United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO)
  • स्थापना: 1945
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
  • प्रमुख उद्देश्य: शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना
  • विश्व धरोहर सम्मेलन 1972 में यूनेस्को द्वारा बनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है
  • नवीनतम जोड़ असम का मोइदम (अहोम राजवंश की टीला-दफन प्रणाली) है, जिसे जुलाई 2024 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
  • प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है(इस वर्ष (2025) का विषय : "आपदाओं और संघर्षों से खतरे में विरासत: ICOMOS की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख")

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