बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के मोकामा-मुंगेर खंड के निर्माण को हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) पर मंजूरी
 
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बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के मोकामा-मुंगेर खंड के निर्माण को हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) पर मंजूरी

Fri 12 Sep, 2025

संदर्भ :

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने बिहार के बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस-कंट्रोल्ड मोकामा-मुंगेर खंड के हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) पर निर्माण को मंजूरी दी।

परियोजना की विशेषताएं :

  • लंबाई: मोकामा-मुंगेर खंड की कुल लंबाई 82.4 किलोमीटर है। यह बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर का एक हिस्सा है।
  • प्रकार: 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस-नियंत्रित कॉरिडोर, जिसमें टोल टैक्स की सुविधा शामिल है।
  • लागत: परियोजना की अनुमानित पूंजीगत लागत 4,447.38 करोड़ रुपये है।
  • डिज़ाइन गति: कॉरिडोर की डिज़ाइन गति 100 किमी/घंटा है, जो औसतन 80 किमी/घंटा की वाहन गति को सपोर्ट करता है।
  • यात्रा समय में कमी: इस खंड के निर्माण से यात्रा समय में लगभग 1 से 1.5 घंटे की बचत होगी।

हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) :

  • HAM मॉडल का अर्थ: हाइब्रिड एन्युइटी मोड एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल है, जिसमें सरकार और निजी डेवलपर के बीच जोखिम और लागत का बंटवारा होता है। इस मॉडल में सरकार परियोजना लागत का 40% हिस्सा निर्माण के दौरान चरणबद्ध तरीके से भुगतान करती है, जबकि शेष 60% का भुगतान परियोजना के पूरा होने के बाद निश्चित अंतराल पर एन्युइटी (निश्चित भुगतान) के रूप में किया जाता है।

लाभ:

  • जोखिम में कमी: निजी डेवलपर के लिए वित्तीय जोखिम कम होता है, क्योंकि सरकार निर्माण चरण में आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • गुणवत्ता सुनिश्चितता: सरकार की निगरानी के कारण परियोजना की गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित होती है।
  • टोल संग्रह: टोल संग्रह का अधिकार सरकार के पास रहता है, जिससे निजी डेवलपर को राजस्व की अनिश्चितता से बचाया जाता है।
  • बिहार में प्रासंगिकता: बिहार जैसे विकासशील राज्यों में HAM मॉडल विशेष रूप से प्रभावी है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाता है।

भौगोलिक और सामरिक महत्व :

  • कनेक्टिविटी: यह खंड मोकामा, बरहिया, लखीसराय, जमालपुर, और मुंगेर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शहरों को जोड़ता है, जो अंततः भागलपुर तक पहुंचता है। यह दक्षिणी और पूर्वी बिहार के बीच एक मजबूत सड़क नेटवर्क प्रदान करता है।
  • पहले से मौजूद नेटवर्क: बक्सर से पटना और पटना से बेगूसराय तक का सड़क नेटवर्क पहले से ही मजबूत है, जिसमें 6-लेन और 4-लेन सड़कें शामिल हैं। मोकामा-मुंगेर खंड इस नेटवर्क को और विस्तार देगा, जिससे बक्सर से भागलपुर तक निर्बाध कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी।

आर्थिक प्रभाव

1. औद्योगिक विकास : 

  • मुंगेर-जमालपुर-भागलपुर बेल्ट: यह क्षेत्र एक उभरता हुआ औद्योगिक केंद्र है। इस क्षेत्र में निम्नलिखित औद्योगिक गतिविधियां प्रमुख हैं:
  • आयुध कारखाने: मुंगेर में मौजूदा बंदूक कारखाना और रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित एक और कारखाना।
  • लोकोमोटिव वर्कशॉप: जमालपुर में रेलवे लोकोमोटिव वर्कशॉप।
  • खाद्य प्रसंस्करण: मुंगेर में आईटीसी जैसी कंपनियों की उपस्थिति।
  • कपड़ा उद्योग: भागलपुर में भागलपुरी सिल्क और प्रस्तावित वस्त्र इको-सिस्टम।
  • खाद्य पैकेजिंग और कृषि-गोदाम: बरहिया में उभरता हुआ खाद्य प्रसंस्करण और भंडारण केंद्र।
  • माल ढुलाई में वृद्धि: इस कॉरिडोर से मालवाहक वाहनों की आवाजाही में वृद्धि होगी, जिससे रसद और भंडारण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।

 

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