21 September, 2025
5वां पूर्ण साक्षर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
Wed 10 Sep, 2025
संदर्भ :
- हिमाचल प्रदेश को 99.3% साक्षरता दर के साथ 5वां पूर्ण साक्षर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और लद्दाख के बाद) घोषित किया गया।
मुख्य बिन्दु :
- उपलब्धि की घोषणा : अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर
- अवसर : उल्लास मेला 2025, शिमला
- घोषणाकर्ता : मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश (सुखविंदर सिंह सुक्खू)
- छात्र-शिक्षक अनुपात के मामले में देश में पहले स्थान पर है
अन्य पूर्ण साक्षर राज्यों की विशेष सूची :
- मिजोरम: भारत का प्रथम पूर्ण साक्षर राज्य, साक्षरता दर 98.2% (2025)
- गोवा: दूसरा राज्य, साक्षरता दर लगभग 100% (2025)
- त्रिपुरा: तीसरा, साक्षरता दर लगभग 95-96% (2025)
- हिमाचल प्रदेश: चौथा, साक्षरता दर 99.3% (सितम्बर 2025)
- लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश): प्रथम पूर्ण साक्षर केंद्र शासित प्रदेश, साक्षरता दर >95% (2025)
हिमाचल की साक्षरता यात्रा :
- स्वतंत्रता के बाद: 7%
- 2011: जनगणना के अनुसार, साक्षरता दर 82.8% तक पहुंची, जो राष्ट्रीय औसत 74% से अधिक थी।
- 2023-24: नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, भारत की कुल साक्षरता दर 80.9% थी, जबकि हिमाचल ने 99.3% का आंकड़ा छू लिया।
सफलता के प्रमुख कारक
नीतिगत सुधार और सरकारी पहल :
- उल्लास कार्यक्रम: केंद्र सरकार की इस पहल ने साक्षरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम में 3 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी और 42 लाख स्वयंसेवक शामिल हैं, और सामग्री 26 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है।
- शिक्षा पर निवेश: हिमाचल सरकार ने स्कूलों में बुनियादी ढांचे, शिक्षक प्रशिक्षण, और शैक्षिक संसाधनों पर भारी निवेश किया।
साक्षरता दर की परिभाषा :
- साक्षरता दर को केंद्र सरकार के उल्लास कार्यक्रम के तहत परिभाषित किया गया
- उल्लास कार्यक्रम के तहत 15 वर्ष से अधिक आयु की आबादी का 95% से अधिक पढ़ने-लिखने और बुनियादी गणना करने में सक्षम होना शामिल है
- साक्षरता दर उस जनसंख्या के प्रतिशत को कहते हैं जिसमें शामिल व्यक्ति पढ़ और लिख सकते हैं।
- आमतौर पर यह 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए मापा जाता है।
- इसे किसी विशेष समय पर किसी देश, क्षेत्र या भूगोलिक क्षेत्र के संदर्भ में व्यक्त किया जाता है।
- इसमें वे व्यक्ति शामिल होते हैं जो किसी भी भाषा में पढ़ना और समझकर लिखना जानते हैं।
- साक्षरता दर यह दर्शाती है कि किसी समाज या देश में कितनी आबादी शिक्षित या साक्षर है।
‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ (ULLAS : Nav Bharat Saaksharta Karyakram):
- एक केंद्र प्रायोजित योजना है
- भारत सरकार ने 2022-2027 की अवधि के लिए लागू किया है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है
- इसका उद्देश्य देश के 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को साक्षर बनाना है, जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए हैं।
मुख्य उद्देश्य :
- बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational Literacy & Numeracy) प्रदान करना
- महत्वपूर्ण जीवन कौशल (Critical Life Skills) जैसे वित्तीय, डिजिटल, स्वास्थ्य, बाल देखभाल, पारिवारिक कल्याण आदि सिखाना
- बुनियादी शिक्षा (Basic Education) : प्राथमिक, माध्यमिक और समकक्ष शिक्षा
- व्यावसायिक कौशल विकास (Vocational Skills) : स्थानीय रोजगार के लिए
- सतत शिक्षा (Continuing Education) : कला, विज्ञान, तकनीक, संस्कृति, खेल आदि में वयस्कों के लिए पाठ्यक्रम
कार्यान्वयन की प्रमुख बातें :
- स्वयंसेवा आधारित मॉडल: यह योजना स्वयंसेवकों के माध्यम से लागू की जाती है, जो शिक्षार्थियों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देते हैं।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म: ‘ULLAS’ मोबाइल ऐप, दीक्षा पोर्टल व अन्य डिजिटल साधनों के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण, अध्ययन और मूल्यांकन की सुविधा उपलब्ध है।
- प्रमाणपत्र: साक्षरता प्रमाणपत्र NIOS और DSEL द्वारा संयुक्त रूप से दिए जाते हैं
- लक्ष्य: 2022-27 के दौरान 5 करोड़ वयस्कों को साक्षर बनाना (प्रति वर्ष 1 करोड़ लक्ष्य)
- वित्तीय परिव्यय: कुल 1037.90 करोड़ रुपये (केंद्र: 700 करोड़, राज्य: 337.90 करोड़)
विशेषताएँ :
- समावेशिता: सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के निरक्षरों को कवर करता है।
- सामाजिक जिम्मेदारी: ‘कर्तव्य बोध’ की भावना और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देता है।
- सतत प्रगति: शिक्षार्थियों और शिक्षकों को डिजिटल प्रमाणपत्र, जिससे आत्मविश्वास और निरंतर सीखने की प्रेरणा मिलती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) :
परिचय :
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित की गई थी।
- यह नीति 1986 में जारी हुई पिछली शिक्षा नीति के बाद पहली बार व्यापक बदलाव लेकर आई है।
- नीति का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना और शिक्षा को समावेशी, समग्र, लचीला तथा 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।
मुख्य उद्देश्य :
- 2030 तक 100% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) प्राप्त करना।
- शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6% तक सार्वजनिक व्यय सुनिश्चित करना।
- गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और समान शिक्षा सबके लिए उपलब्ध कराना।
- छात्रों के सर्वांगीण विकास (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक) पर बल देना।
- तकनीकी, व्यावसायिक और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।
प्रमुख विशेषताएँ :
क्षेत्र | विशेषताएँ |
स्कूली शिक्षा
|
- 5+3+3+4 संरचना (3-18 वर्ष की आयु के लिए) - कक्षा 5 तक मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षा पर बल - प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर ज़ोर - ड्रॉपआउट दर कम करना और सार्वभौमिक शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना |
उच्च शिक्षा
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- मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम - स्नातक कोर्स 3 या 4 वर्ष के, बीच में छोड़ने पर सर्टिफिकेट/डिप्लोमा - भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) के तहत एकल नियामक निकाय - रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा |
भाषा नीति
|
- तीन-भाषा फॉर्मूला - कम-से-कम दो भारतीय भाषाएँ अनिवार्य - मातृभाषा को प्राथमिकता |
शिक्षक प्रशिक्षण
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- शिक्षकों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और मूल्यांकन व्यवस्था - शिक्षकों की योग्यता और क्षमता विकास पर ज़ोर |
अन्य पहलें
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- डिजिटल शिक्षा, वर्चुअल लैब्स, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन - व्यावसायिक शिक्षा का स्कूली स्तर से समावेश - समावेशी और समान शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान |
संरचना (5+3+3+4) :
- 5 वर्ष: फाउंडेशनल स्टेज (3 साल प्री-प्राइमरी + कक्षा 1-2)
- 3 वर्ष: प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
- 3 वर्ष: मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
- 4 वर्ष: सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर :
- कुल साक्षरता दर : 74.04%
- पुरुषों की साक्षरता दर : 82.14%
- महिलाओं की साक्षरता दर : 65.46%
- सबसे अधिक साक्षरता दर वाला राज्य : केरल, लगभग 93.91%(मिजोरम की 91.58%)
- केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक साक्षरता दर : लक्षद्वीप, लगभग 92.28%
- सबसे कम साक्षरता दर वाला राज्य : बिहार, 63.82%
- पुरुष साक्षरता सबसे अधिक : केरल, 96.11% (लक्षद्वीप, 95.56%)
- महिला साक्षरता सबसे अधिक : केरल, 91.98%(मिजोरम में 89.40%)
हिमाचल प्रदेश
- "हिमाचल" नाम संस्कृत के "हिमा" (हिम) और "आंचल" (गोद) से लिया गया है, जो हिमालय में बसे इसके भूगोल का सटीक वर्णन करता है
- हिमाचल प्रदेश दिवस : 15 अप्रैल
- 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के कार्यान्वयन के साथ श्रेणी C राज्य बन गया
- 1 नवंबर 1956 को एक केंद्रशासित प्रदेश बना तथा वर्ष 1966 में पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ इसका विस्तार किया गया
- 25 जनवरी 1971 को इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और यह हिमाचल प्रदेश अधिनियम, 1970 के तहत भारत का 18वाँ राज्य बन गया।
- राजधानी: शिमला (ग्रीष्मकालीन), धर्मशाला (शीतकालीन)
भौगोलिक स्थिति:
- उत्तर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख
- पूर्व में तिब्बत (चीन)
- दक्षिण में उत्तराखंड व हरियाणा
- पश्चिम में पंजाब
प्रशासनिक विभाजन :
- मंडल: कांगड़ा, मंडी, शिमला
- विधानसभा सीटें: 68
- लोकसभा सीटें: 4
- राज्यसभा सीटें: 3
- मुख्य भाषाएँ: हिंदी (राजभाषा), पहाड़ी बोलियाँ, पंजाबी, किन्नौरी
संस्कृति व पर्यटन :
- लोकनृत्य: नाटी, किंनौरी, लुंगी, कयांग
- प्रमुख त्यौहार: कुल्लू दशहरा, मिंजर मेला, शिवरात्रि उत्सव (मंडी), लोहड़ी
- धार्मिक स्थल: ज्वालामुखी, चामुंडा देवी, हड़िम्बा मंदिर, बैजनाथ मंदिर
- पर्यटन स्थल: शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, किन्नौर, स्पीति घाटी
- यूनेस्को धरोहर: कालका-शिमला रेल
प्रतीक :
- राजकीय पशु: हिम तेंदुआ
- राजकीय पक्षी: जंगली मुर्गा (Western Tragopan)
- राजकीय वृक्ष: देवदार (Deodar)
- राजकीय पुष्प: पिंक रोडोडेंड्रॉन
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा: तिब्बत (चीन) के साथ लगभग 346 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.
- नदियाँ: रावी, ब्यास, चिनाब, यमुना और सतलुज यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं.
- ऊंची चोटी: रेओ पुर्ग्यिल हिमाचल प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी है