प्रथम ‘ज्ञान भारतम्’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
 
  • Mobile Menu
HOME BUY MAGAZINEnew course icon
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




प्रथम ‘ज्ञान भारतम्’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

Thu 11 Sep, 2025

संदर्भ :

  • प्रथम ‘ज्ञान भारतम्’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन केन्‍द्रीय संस्कृति मंत्रालय के द्वारा 11 से 13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है।

परिचय :

  • यह सम्मेलन भारत की प्राचीन पांडुलिपि विरासत और ज्ञान परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक प्रयास है।
  • इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर को संरक्षित, प्रचारित और आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करना है।
  • ‘ज्ञान भारतम्’ प्रधानमंत्री द्वारा घोषित एक महत्त्वपूर्ण योजना है, जिसके अंतर्गत देशभर में पांडुलिपियों का सर्वेक्षण और कैटलॉगिंग की जाएगी।
  • सम्मलेन का आयोजन 1893 में शिकागो में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की वर्षगांठ के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।
  • विषय : “पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत की पुनः प्राप्ति”

सम्मेलन का उद्देश्य :

  1. पांडुलिपि संरक्षण: भारत में 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ हैं, जो दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, कला और अनुष्ठानों जैसे विविध क्षेत्रों को समेटे हुए हैं। इनके संरक्षण के लिए नीतियों और तकनीकों को बढ़ावा देना।
  2. वैश्विक सहयोग: विश्व भर के विद्वानों, शोधकर्ताओं और सांस्कृतिक विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर भारत की बौद्धिक विरासत को साझा करना।
  3. डिजिटलीकरण और पहुंच: पांडुलिपियों को डिजिटल प्रारूप में संरक्षित कर वैश्विक शोधकर्ताओं और जनता के लिए सुलभ बनाना।
  4. युवा भागीदारी: ‘पांडुलिपि अनुसंधान भागीदार (MRP)’ कार्यक्रम के माध्यम से युवा विद्वानों को प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करना।
  5. सांस्कृतिक कूटनीति: भारत की वैश्विक छवि को सांस्कृतिक और बौद्धिक नेतृत्व के रूप में मजबूत करना

प्रतिभागी और कार्यक्रम:

  • इसमें 1100 से अधिक लेखक, विशेषज्ञ, विद्वान, कलाकार और सांस्कृतिक चिकित्सक शामिल होंगे जिनमें 95 से अधिक शिक्षाविद, 179 पेशेवर, 112 स्कॉलर और 230 छात्र भी शामिल हैं।
  • सम्मेलन विश्व भर से आए 17 राष्ट्रीय और 17 अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं को मंच प्रदान करेगा।
  • तीन दिनों में उद्घाटन व समापन सत्र, चार पूर्ण सत्र और बारह तकनीकी सत्र होंगे।

ज्ञान भारतम मिशन का विजन और उद्देश्य :

  • भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत इसकी विशाल पांडुलिपि संपदा में परिलक्षित होती है, जिसका अनुमान है कि यह पांच मिलियन से अधिक कृतियों में सन्निहित है।
  • ये ग्रंथ दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, साहित्य, कला, वास्तुकला और आध्यात्मिकता जैसे विषयों को कवर करने वाले ज्ञान की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला में फैले हुए हैं।
  • वे कई लिपियों और भाषाओं में लिखे गए हैं और मंदिरों, मठों, जैन भंडारों, अभिलेखागार, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में सुरक्षित हैं।
  • साथ में, वे भारतीय ज्ञान परंपरा (भारतीय ज्ञान प्रणाली) का एक अद्वितीय रिकॉर्ड बनाते हैं और भारत के सभ्यतागत विचार की निरंतरता को दर्शाते हैं।
  • चालू वित्त वर्ष (2025-26) में मिशन हेतु 60 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसे 482.85 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2024-31 की अवधि के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में अनुमोदित किया गया है।

पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Manuscripts - NMM)

पांडुलिपियों का महत्व

  • परिभाषा: एक पांडुलिपि ताड़ के पत्ते, भोजपत्र, कपड़े, कागज, या धातु जैसी सामग्रियों पर लिखी हुई कम से कम 75 वर्ष पुरानी हस्तलिखित रचना होती है।
  • विशेषताएँ:
    • मुद्रित पुस्तकों या प्रशासनिक अभिलेखों से अलग
    • ज्ञान सामग्री से भरपूर
    • विषय: दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, साहित्य और कला
    • अनेक भाषाओं और लिपियों में उपलब्ध (उदाहरण: संस्कृत भाषा – देवनागरी, उड़िया, ग्रंथ लिपियाँ)

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM)

  • स्थापना: 2003
  • उद्देश्य: भारत की बौद्धिक परंपराओं और पांडुलिपियों की विशाल धरोहर का संरक्षण

प्रमुख कार्य:

1. कृति संपदा (Digital Repository)

  • 44.07 लाख से अधिक पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण

2. मानुस ग्रंथावली (Software Development)

  • वैश्विक मेटाडेटा मानकों पर आधारित
  • सटीक और समान दस्तावेज़ीकरण सुनिश्चित करता है

3. भागीदारी (Repositories)

  • प्रमुख पुस्तकालय:
    • सरस्वती महल लाइब्रेरी (तंजावुर)
    • रामपुर रजा लाइब्रेरी (रामपुर)
    • खुदा बख्श लाइब्रेरी (पटना)
  • देशभर के हज़ारों छोटे संग्रहालयों को भी प्रकाश में लाया

4. कैट-कैट पहल (Catalogue Database)

  • 2,500+ मुद्रित कैटलॉग संकलित
  • सूचीबद्ध कार्यों को राष्ट्रीय रिकॉर्ड में एकीकृत किया गया

ज्ञान भारतम मिशन और भविष्य :

  • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की नींव पर ज्ञान भारतम मिशन एक आधुनिक और तकनीक-आधारित ढांचा बना रहा है।
  • यह भारत की बौद्धिक परंपराओं को डिजिटल युग में संरक्षित और प्रासंगिक बनाने का प्रयास है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS)

  • भाषाई आधार: ग्रेड 5 तक मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा पर बल
  • संस्कृति और परंपरा: भारतीय भाषाओं, कलाओं और विरासत को बढ़ावा
  • भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) का समावेश:
    • विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा, साहित्य जैसे विषयों में प्राचीन योगदान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना
  • प्रधानमंत्री का विज़न:
    • युवाओं को नवाचार अपनाने और विरासत के संरक्षक बनने के लिए सशक्त करना
  • साझा उद्देश्य (NEP + ज्ञान भारतम मिशन):
    • “अतीत का ज्ञान, भविष्य की ताकत बने”

Latest Courses