21 September, 2025
प्रथम ‘ज्ञान भारतम्’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
Thu 11 Sep, 2025
संदर्भ :
- प्रथम ‘ज्ञान भारतम्’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के द्वारा 11 से 13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है।
परिचय :
- यह सम्मेलन भारत की प्राचीन पांडुलिपि विरासत और ज्ञान परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक प्रयास है।
- इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर को संरक्षित, प्रचारित और आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करना है।
- ‘ज्ञान भारतम्’ प्रधानमंत्री द्वारा घोषित एक महत्त्वपूर्ण योजना है, जिसके अंतर्गत देशभर में पांडुलिपियों का सर्वेक्षण और कैटलॉगिंग की जाएगी।
- सम्मलेन का आयोजन 1893 में शिकागो में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की वर्षगांठ के प्रतीक के रूप में भी देखा जा रहा है।
- विषय : “पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत की पुनः प्राप्ति”
सम्मेलन का उद्देश्य :
- पांडुलिपि संरक्षण: भारत में 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियाँ हैं, जो दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, कला और अनुष्ठानों जैसे विविध क्षेत्रों को समेटे हुए हैं। इनके संरक्षण के लिए नीतियों और तकनीकों को बढ़ावा देना।
- वैश्विक सहयोग: विश्व भर के विद्वानों, शोधकर्ताओं और सांस्कृतिक विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर भारत की बौद्धिक विरासत को साझा करना।
- डिजिटलीकरण और पहुंच: पांडुलिपियों को डिजिटल प्रारूप में संरक्षित कर वैश्विक शोधकर्ताओं और जनता के लिए सुलभ बनाना।
- युवा भागीदारी: ‘पांडुलिपि अनुसंधान भागीदार (MRP)’ कार्यक्रम के माध्यम से युवा विद्वानों को प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करना।
- सांस्कृतिक कूटनीति: भारत की वैश्विक छवि को सांस्कृतिक और बौद्धिक नेतृत्व के रूप में मजबूत करना
प्रतिभागी और कार्यक्रम:
- इसमें 1100 से अधिक लेखक, विशेषज्ञ, विद्वान, कलाकार और सांस्कृतिक चिकित्सक शामिल होंगे जिनमें 95 से अधिक शिक्षाविद, 179 पेशेवर, 112 स्कॉलर और 230 छात्र भी शामिल हैं।
- सम्मेलन विश्व भर से आए 17 राष्ट्रीय और 17 अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं को मंच प्रदान करेगा।
- तीन दिनों में उद्घाटन व समापन सत्र, चार पूर्ण सत्र और बारह तकनीकी सत्र होंगे।
ज्ञान भारतम मिशन का विजन और उद्देश्य :
- भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत इसकी विशाल पांडुलिपि संपदा में परिलक्षित होती है, जिसका अनुमान है कि यह पांच मिलियन से अधिक कृतियों में सन्निहित है।
- ये ग्रंथ दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, साहित्य, कला, वास्तुकला और आध्यात्मिकता जैसे विषयों को कवर करने वाले ज्ञान की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला में फैले हुए हैं।
- वे कई लिपियों और भाषाओं में लिखे गए हैं और मंदिरों, मठों, जैन भंडारों, अभिलेखागार, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में सुरक्षित हैं।
- साथ में, वे भारतीय ज्ञान परंपरा (भारतीय ज्ञान प्रणाली) का एक अद्वितीय रिकॉर्ड बनाते हैं और भारत के सभ्यतागत विचार की निरंतरता को दर्शाते हैं।
- चालू वित्त वर्ष (2025-26) में मिशन हेतु 60 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसे 482.85 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2024-31 की अवधि के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में अनुमोदित किया गया है।
पांडुलिपियों के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Manuscripts - NMM)
पांडुलिपियों का महत्व
- परिभाषा: एक पांडुलिपि ताड़ के पत्ते, भोजपत्र, कपड़े, कागज, या धातु जैसी सामग्रियों पर लिखी हुई कम से कम 75 वर्ष पुरानी हस्तलिखित रचना होती है।
- विशेषताएँ:
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- मुद्रित पुस्तकों या प्रशासनिक अभिलेखों से अलग
- ज्ञान सामग्री से भरपूर
- विषय: दर्शन, चिकित्सा, खगोल विज्ञान, साहित्य और कला
- अनेक भाषाओं और लिपियों में उपलब्ध (उदाहरण: संस्कृत भाषा – देवनागरी, उड़िया, ग्रंथ लिपियाँ)
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM)
- स्थापना: 2003
- उद्देश्य: भारत की बौद्धिक परंपराओं और पांडुलिपियों की विशाल धरोहर का संरक्षण
प्रमुख कार्य:
1. कृति संपदा (Digital Repository)
- 44.07 लाख से अधिक पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण
2. मानुस ग्रंथावली (Software Development)
- वैश्विक मेटाडेटा मानकों पर आधारित
- सटीक और समान दस्तावेज़ीकरण सुनिश्चित करता है
3. भागीदारी (Repositories)
- प्रमुख पुस्तकालय:
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- सरस्वती महल लाइब्रेरी (तंजावुर)
- रामपुर रजा लाइब्रेरी (रामपुर)
- खुदा बख्श लाइब्रेरी (पटना)
- देशभर के हज़ारों छोटे संग्रहालयों को भी प्रकाश में लाया
4. कैट-कैट पहल (Catalogue Database)
- 2,500+ मुद्रित कैटलॉग संकलित
- सूचीबद्ध कार्यों को राष्ट्रीय रिकॉर्ड में एकीकृत किया गया
ज्ञान भारतम मिशन और भविष्य :
- राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की नींव पर ज्ञान भारतम मिशन एक आधुनिक और तकनीक-आधारित ढांचा बना रहा है।
- यह भारत की बौद्धिक परंपराओं को डिजिटल युग में संरक्षित और प्रासंगिक बनाने का प्रयास है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS)
- भाषाई आधार: ग्रेड 5 तक मातृभाषा/क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा पर बल
- संस्कृति और परंपरा: भारतीय भाषाओं, कलाओं और विरासत को बढ़ावा
- भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) का समावेश:
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- विज्ञान, दर्शन, चिकित्सा, साहित्य जैसे विषयों में प्राचीन योगदान को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना
- प्रधानमंत्री का विज़न:
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- युवाओं को नवाचार अपनाने और विरासत के संरक्षक बनने के लिए सशक्त करना
- साझा उद्देश्य (NEP + ज्ञान भारतम मिशन):
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- “अतीत का ज्ञान, भविष्य की ताकत बने”