p47 प्रोटीन
 
  • Mobile Menu
HOME BUY MAGAZINEnew course icon
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




p47 प्रोटीन

Mon 08 Sep, 2025

संदर्भ

  • कोलकाता स्थित एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (SNBNCBS) के वैज्ञानिकों ने p47 नामक एक सह-प्रोटीन (cofactor protein) के बारे में एक नवीन खोज की है। उन्होंने पाया कि यह प्रोटीन न केवल सहायक की भूमिका निभाता है, बल्कि यह एक यांत्रिक चैपरॉन (mechanical chaperone) की तरह भी कार्य करता है।
  • यह खोज पहली बार प्रत्यक्ष रूप से एकल अणु स्तर (single-molecule level) पर यह प्रमाणित करती है कि सह-प्रोटीन भी स्वतंत्र रूप से प्रोटीनों को स्थिर रखने में सक्षम हैं।

क्या है p47 प्रोटीन?

विशेषता विवरण
प्रकार सह-प्रोटीन (Cofactor Protein)
सामान्य भूमिका p97 नामक प्रोटीन को सहायता प्रदान करना (जो प्रोटीन डिग्रेडेशन और ट्रांसपोर्ट में संलग्न होता है)
पूर्व में धारणा केवल सहायक कार्य करता है जैसे प्रोटीन ट्रैफिकिंग, ER से प्रोटीन हटाना आदि
नवीन खोज यह स्वतंत्र रूप से प्रोटीनों को स्थिर करता है – एक यांत्रिक चैपरॉन की तरह

 

क्या है नई खोज?

शोधकर्ताओं ने Single-Molecule Force Spectroscopy तकनीक का उपयोग कर पाया कि:

  • p47 प्रोटीन प्रोटीनों को एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ER) से साइटोप्लाज्म में स्थानांतरित करने की क्षमता बढ़ाता है।
  • यह यांत्रिक दबाव के तहत प्रोटीन श्रृंखलाओं (polypeptides) को स्थिर बनाता है।
  • यह मिसफोल्डिंग (गलत फोल्डिंग) की संभावना को कम करता है और प्रोटीन ट्रांसलोकेशन को सफल बनाता है।
  • यह p97 के बिना भी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह सिर्फ सहायक नहीं बल्कि एक स्वतंत्र यांत्रिक चैपरॉन भी है।

खोज का महत्व:

प्रोटीनों की गलत फोल्डिंग और अस्थिरता से कई गंभीर बीमारियाँ होती हैं, जैसे:

  • अल्ज़ाइमर, पार्किंसन, ALS, कैंसर आदि।
  • p47 की खोज बताती है कि कुछ प्राकृतिक प्रोटीन सेल के अंदर दबाव में भी स्थिरता बनाए रख सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ और उपयोगिता:

क्षेत्र संभावित उपयोग
चिकित्सा p47 को लक्ष्य बनाकर नवीन दवाओं का विकास किया जा सकता है जो प्रोटीन विकारों को ठीक करें।
बायोटेक्नोलॉजी p47 को इंजीनियर करके ऐसे एंजाइम बनाए जा सकते हैं जो उद्योगों में स्थिर प्रोटीन उत्पादन करें।
कैंसर और न्यूरो डिसऑर्डर इन बीमारियों में प्रोटीन मिसफोल्डिंग आम है – p47 आधारित उपचार एक समाधान हो सकता है।

 

SNBNCBS संस्थान के बारे में जानकारी:

बिंदु विवरण
नाम एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज
स्थान कोलकाता, पश्चिम बंगाल
स्थापना वर्ष 1986
संबद्ध विभाग विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (DST)
अनुसंधान क्षेत्र सिंगल-मॉलिक्यूल बायोफिज़िक्स, क्वांटम फिज़िक्स, बायोलॉजी

 

Latest Courses