01 September, 2025
SCO का 25वां शिखर सम्मेलन : तियानजिन, चीन
Mon 01 Sep, 2025
संदर्भ :
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन में आयोजित किया गया।
मुख्य बिन्दु :
- यह SCO का अब तक का सबसे बड़ा शिखर सम्मेलन था
- इसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए
- चीन द्वारा आयोजित पांचवां SCO शिखर सम्मेलन था, जिसका मुख्य स्थल तियानजिन मीजियांग कन्वेंशन और प्रदर्शनी केंद्र था
- सम्मेलन का थीम : “शंघाई भावना को बढ़ावा देना: SCO गतिशील” (इसका फोकस सम्मेलन के उद्देश्यों, परिणामों, भू-राजनीतिक महत्व और भारत की भूमिका पर था।)
तियानजिन शिखर सम्मेलन का महत्व
भू-राजनीतिक संदर्भ :
- तियानजिन शिखर सम्मेलन ने SCO को एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने वाले मंच के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया।
- रूस और चीन, जो पश्चिमी देशों (विशेष रूप से अमेरिका) के खिलाफ एक वैकल्पिक शक्ति केंद्र बनाना चाहते हैं, ने इस मंच का उपयोग अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किया।
- यह शिखर सम्मेलन विश्व युद्ध-II की समाप्ति और जापान के आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर आयोजित हुआ, जो एक प्रतीकात्मक संदेश था कि SCO वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति है।
अमेरिकी नीतियों का प्रभाव:
- अमेरिका द्वारा भारत पर रूसी तेल आयात के लिए 50% टैरिफ लगाने और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच तटस्थता बनाए रखने वाले SCO सदस्य देशों ने इस मंच पर अमेरिकी नीतियों और टैरिफ के प्रभावों पर चर्चा की।
- विशेष रूप से, भारत और चीन के बीच बातचीत को अमेरिका ने बारीकी से देखा, क्योंकि दोनों देश 2020 के सीमा विवाद के बाद संबंधों को सामान्य करने का प्रयास कर रहे हैं।
चीन की नेतृत्वकारी भूमिका:
- चीन ने इस शिखर सम्मेलन का उपयोग अपनी छवि को एक “भरोसेमंद और अनुमानित” क्षेत्रीय नेता के रूप में पेश करने के लिए किया।
- राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने SCO को एक स्थिर वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया, जो अमेरिका की अनिश्चित नीतियों के विपरीत है।
मुख्य परिणाम
तियानजिन घोषणा:
- शिखर सम्मेलन में “तियानजिन घोषणा” को अपनाया गया, जो SCO के सिद्धांतों को पुनर्जनन करता है, जिसमें शंघाई भावना (पारस्परिक विश्वास, समानता, सांस्कृतिक सम्मान, और सामान्य विकास) पर जोर दिया गया।
10-वर्षीय विकास रणनीति (2025-2035):
- SCO ने अगले दशक के लिए एक रणनीति अपनाई, जिसमें सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इसमें SCO डेवलपमेंट बैंक की स्थापना का प्रस्ताव भी शामिल था, जिसे भारत ने समर्थन दिया।
80वीं वर्षगांठ बयान:
- विश्व युद्ध-II की जीत और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की 80वीं वर्षगांठ को चिह्नित करने वाले बयान जारी किए गए, जो वैश्विक शांति और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति SCO की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
लाओस को संवाद साझेदार के रूप में शामिल करना:
- लाओस को SCO का 15वां संवाद साझेदार बनाया गया, जिससे संगठन का दायरा दक्षिण-पूर्व एशिया तक बढ़ा।
आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग:
- शिखर सम्मेलन में ऊर्जा सुरक्षा, परिवहन गलियारों, डिजिटल अर्थव्यवस्था, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर पहल की गई।
- SCO ने 2024 में अपने सदस्यों, पर्यवेक्षकों, और संवाद साझेदारों के साथ चीन के $890 बिलियन के व्यापार को रेखांकित किया, जो वैश्विक व्यापार में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 वर्षों में पहली बार चीन का दौरा किया, जो 2020 के सीमा विवाद के बाद भारत-चीन संबंधों में सुधार का संकेत था।
- उन्होंने SCO को भारत की नीति के तीन स्तंभों - सुरक्षा, संपर्क, और अवसर (Security, Connectivity, Opportunity) - के आधार पर रेखांकित किया।
आतंकवाद पर जोर:
- मोदी ने पाहलगाम हमले (22 अप्रैल 2025) का उल्लेख किया, जिसमें 26 भारतीय पर्यटक मारे गए थे।
- उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंडों की आलोचना की और SCO से आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में उपयोग करने वालों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।
- भारत ने एक संयुक्त बयान को समर्थन देने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें पाहलगाम हमले का उल्लेख नहीं था, जो भारत के अनुसार पाकिस्तान की आतंकवाद की कथित समर्थन की नीति को दर्शाता है।
संपर्क और क्षेत्रीय अखंडता:
- मोदी ने जोर दिया कि संपर्क परियोजनाओं में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होना चाहिए, जो अप्रत्यक्ष रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत की चिंताओं को दर्शाता है।
चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता:
- मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक कदम थी।
- यह वार्ता अमेरिकी टैरिफ के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि भारत रूस से तेल आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) : सामान्य जानकारी
- स्थापना: 15 जून 2001, शंघाई, चीन
- आधिकारिक भाषाएँ : रूसी और चीनी
- पूर्ण सदस्य संख्या (2025 तक): 10 सदस्य (भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, बेलारूस)
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- भारत (2017 में शामिल)
- पाकिस्तान (2017 में शामिल)
- ईरान (2023 में शामिल)
- बेलारूस (2024 में शामिल)
- पर्यवेक्षक देश: अफगानिस्तान, मंगोलिया
- संवाद साझेदार: 15 देश, उदाहरण: तुर्की, सऊदी अरब, मिस्र, नेपाल, लाओस, श्रीलंका
- स्थायी निकाय: सचिवालय (बीजिंग), क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (ताशकंद)
- अध्यक्षता (2023, 2024, 2025): 2023 - भारत, 2024 - कजाकिस्तान, 2025 - चीन
- चीन ने 2025 को "SCO सतत विकास वर्ष" भी घोषित किया है
- प्रमुख शिखर सम्मेलन: 23वां शिखर सम्मेलन 4 जुलाई 2023 में भारत की अध्यक्षता में (वर्चुअल)