01 September, 2025
2025-26 की पहली तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान
Sun 31 Aug, 2025
संदर्भ :
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के तिमाही अनुमानों और इसके व्यय घटकों को स्थिर (2011-12) और वर्तमान मूल्यों पर जारी किया।
मुख्य बिन्दु :
- विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के लिए मूल मूल्यों पर सकल मूल्य वर्धित (GVA) के तिमाही अनुमान, वर्ष-दर-वर्ष प्रतिशत परिवर्तन, वित्त वर्ष 2023-24, 2024-25 और 2025-26 की तिमाही के लिए स्थिर और वर्तमान मूल्यों पर GDP के व्यय घटकों को अनुबंध ए के विवरण 1 से 4 में दिया गया है।
GDP वृद्धि दर और तिमाही अनुमान :
- वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में वास्तविक GDP में 7.8% की वृद्धि अनुमानित है, जबकि 2024-25 की पहली तिमाही में यह वृद्धि 6.5% थी।
- वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में GDP में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई
क्षेत्रवार प्रदर्शन (GVA Growth) :
- प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, मत्स्य पालन, वानिकी) : वास्तविक GVA वृद्धि 3.7% (पिछले वर्ष 1.5%)
- द्वितीयक क्षेत्र: विनिर्माण 7.7%, निर्माण 7.6%, कुल वृद्धि >7.5%
- खनन और उत्खनन: -3.1% गिरावट
- बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएँ: 0.5% वृद्धि
- तृतीयक क्षेत्र: 9.3% वृद्धि (पिछले वर्ष 6.8%)
उपभोग और पूंजी निर्माण:
- सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (GFCE): 9.7% वृद्धि (पिछले वर्ष 4.0%)
- निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE): 7.0% वृद्धि (पिछले वर्ष 8.3%)
- सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF): 7.8% वृद्धि (पिछले वर्ष 6.7%)
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही: GDP और GVA अनुमान :
- वास्तविक GDP (स्थिर मूल्य): ₹47.89 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹44.42 लाख करोड़) – वृद्धि 7.8%
- नाममात्र GDP (वर्तमान मूल्य): ₹86.05 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹79.08 लाख करोड़) – वृद्धि 8.8%
- वास्तविक GVA (स्थिर मूल्य): ₹44.64 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹41.47 लाख करोड़) – वृद्धि 7.6%
- GVA (वर्तमान मूल्य): ₹78.25 लाख करोड़ (पिछले वर्ष ₹71.95 लाख करोड़) – वृद्धि 8.8%
सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
- किसी देश में एक निश्चित अवधि (सामान्यतः एक वर्ष) में सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य है
- महत्व: यह देश की अर्थव्यवस्था की कुल उत्पादकता और विकास दर को मापने का प्रमुख सूचक है
माप के तरीके:
उत्पादन पद्धति :
- सकल मूल्य वर्धित (GVA) के आधार पर गणना
- GVA = उत्पादन का कुल मूल्य - मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य
- इसमें कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्रों का योगदान शामिल होता है
व्यय पद्धति:
- GDP = C + I + G + (X - M)
- C: निजी अंतिम उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure - PFCE)
- I: सकल स्थिर पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation - GFCF)
- G: सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (Government Final Consumption Expenditure - GFCE)
- X: निर्यात
- M: आयात
आय पद्धति:
- अर्थव्यवस्था में उत्पन्न कुल आय (वेतन, लाभ, ब्याज, किराया) को जोड़ा जाता है
- GDP = मजदूरी + लाभ + ब्याज + किराया + कर - सब्सिडी
GDP के प्रकार :
वास्तविक GDP (Real GDP):
- स्थिर मूल्यों (Constant Prices) पर गणना, जो मुद्रास्फीति के प्रभाव को हटाकर वास्तविक आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है।
- आधार वर्ष (भारत में 2011-12) के मूल्यों पर आधारित
नॉमिनल GDP (Nominal GDP):
- वर्तमान मूल्यों (Current Prices) पर गणना, जिसमें मुद्रास्फीति का प्रभाव शामिल होता है।
- यह अर्थव्यवस्था के मौजूदा बाजार मूल्य को दर्शाता है
प्रति व्यक्ति GDP (Per Capita GDP):
- GDP को देश की कुल जनसंख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।
- यह औसत आय और जीवन स्तर का संकेत देता है
भारत की GDP वृद्धि दर के प्रमुख संस्थानों के अनुमान (वित्त वर्ष 2025-26) :
- फिच रेटिंग्स: 6.3%
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF): 6.4%
- एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स: लगभग 6.5%
- क्रिसिल: लगभग 6.5%
- सरकार (केंद्रीय बजट): 6.7% (वास्तविक) और 10.1% (नाममात्र)
सकल मूल्य वर्धित (GVA)
- किसी क्षेत्र (जैसे कृषि, उद्योग, सेवा) द्वारा उत्पादित कुल मूल्य (Output) से मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Consumption) के मूल्य को घटाकर प्राप्त किया जाता है
- सूत्र: GVA = उत्पादन का कुल मूल्य (Output) - मध्यवर्ती उपभोग (Intermediate Inputs)
- उदाहरण: एक कार निर्माता के लिए, GVA में कार का अंतिम मूल्य शामिल होगा, लेकिन कच्चे माल (जैसे स्टील, रबर) की लागत को घटाया जाएगा
- महत्व: GVA अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों (कृषि, उद्योग, सेवा) के योगदान को मापता है और GDP की गणना में आधार के रूप में उपयोग होता है
GVA की गणना : क्षेत्र-विशिष्ट GVA: अर्थव्यवस्था को तीन मुख्य क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है
- कृषि और संबंधित क्षेत्र: कृषि, पशुपालन, वानिकी, मत्स्य पालन
- औद्योगिक क्षेत्र (सेकेंडरी सेक्टर): विनिर्माण, निर्माण, खनन, बिजली, गैस, और जल आपूर्ति
- सेवा क्षेत्र (तृतीयक क्षेत्र): व्यापार, होटल, परिवहन, संचार, वित्त, रियल एस्टेट, और लोक प्रशासन