13 October, 2025
वैश्विक भुखमरी संकट से निपटने हेतु आशय-पत्र हस्ताक्षर : भारत-WFP
Tue 26 Aug, 2025
संदर्भ :
- भारत सरकार और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने वैश्विक भुखमरी संकट से निपटने के उद्देश्य से आशय-पत्र (Letter of Intent - LoI) पर हस्ताक्षर किया।
मुख्य बिन्दु :
- समझौते तहत भारत फोर्टिफाइड (पोषक-युक्त) चावल की आपूर्ति संकटग्रस्त क्षेत्रों में करेगा।
समझौते के प्रमुख बिंदु :
- भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) द्वारा WFP को फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति की जाएगी।
- फोर्टिफाइड चावल में लौह, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व शामिल रहते हैं, जिससे "छुपी हुई भूख" (सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी) से जुड़े कुपोषण को संबोधित किया जा सकता है।
- यह पहल अगले पाँच वर्षों तक क्रियान्वित की जाएगी और इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त, कमजोर आबादी की खाद्य व पोषण संबंधी ज़रूरतें पूरी करना है।
रणनीतिक महत्व और वैश्विक सहयोग :
- भारत कृषि अधिशेष (agricultural surplus) देश के रूप में भुखमरी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- समझौता "वसुधैव कुटुम्बकम्" (संपूर्ण विश्व एक परिवार) के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसमें सामूहिक जिम्मेदारी और मानवीय सहायता की भावना निहित है।
- यह LoI फरवरी 2025 में रोम में हुई WFP की बैठक में हुए विचार-विमर्श का औपचारिक निष्कर्ष है, जिससे भारत की भूमिका वैश्विक खाद्य सुरक्षा में और सशक्त होगी।
अन्य सहयोग क्षेत्र :
- दोनों पक्ष सप्लाई चेन ऑप्टिमाइज़ेशन (आपूर्ति श्रृंखला का कुशल प्रबंधन), जन पोषण केंद्रों की स्थापना, ग्रेन एटीएम (टेक्नोलॉजी आधारित अनाज वितरण), फोर्टिफाइड चावल का सार्वजनिक वितरण, स्मार्ट वेयरहाउसिंग, और दूरदराज क्षेत्रों के लिए मोबाइल स्टोरेज यूनिट्स जैसे नवाचारों में भी सहयोग कर रहे हैं।
- ये प्रयास न केवल भारत में, बल्कि विश्व भर में खाद्य सुरक्षा के मॉडल के रूप में प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
नेतृत्व व सराहना :
- भारत सरकार के सचिव (DFPD), संजीव चोपड़ा ने भारत की साझा वैश्विक जिम्मेदारी और मानवीय सहयोग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- WFP के उप कार्यकारी निदेशक Carl Skau ने भारत के योगदान और प्रतिबद्धता की सराहना की, विशेषकर जब विश्व भर में खाद्य असुरक्षा तथा मानवीय फंडिंग में कमी जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।
चावल का फोर्टिफिकेशन (Rice Fortification)
परिभाषा :
- चावल में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (जैसे आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B12 आदि) मिलाकर उसकी पौष्टिकता बढ़ाने की प्रक्रिया को फोर्टिफिकेशन (Fortification) कहते हैं।
उद्देश्य :
- कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना।
- एनीमिया, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और बच्चों में अविकसित वृद्धि जैसी समस्याओं को कम करना।
- समाज के कमजोर वर्गों तक सस्ते और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
फायदे :
- पोषण सुरक्षा को मजबूत करना।
- ग्रामीण और गरीब आबादी में एनीमिया के मामलों में कमी लाना।
- महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार।
चुनौतियाँ :
- जागरूकता की कमी।
- लागत और तकनीकी अवसंरचना।
- वितरण तंत्र में गुणवत्ता नियंत्रण।
भारत में चावल फोर्टिफिकेशन योजना :
- इसके तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), प्रधानमंत्री पोषण योजना (PM-POSHAN), ICDS आदि सभी कल्याणकारी योजनाओं में लाभार्थियों को पोषक-युक्त (फोर्टिफाइड) चावल दिया जाता है।
योजना का विस्तार और उद्देश्य :
- फोर्टिफाइड चावल योजना का मकसद देश से एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करना है, क्योंकि भारत में करीब 65% आबादी चावल को मुख्य आहार के रूप में ग्रहण करती है।
- केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2021 से तीन चरणों (Phases) में इस योजना का क्रियान्वयन किया गया—पहले चरण में केवल ICDS/PM POSHAN, दूसरे में उच्च-जोखिम जिलों को शामिल किया गया, तीसरे में पूरे देश में सभी योजनाओं के लाभार्थियों को फोर्टिफाइड चावल देने का लक्ष्य रखा गया।
- जुलाई 2024 से इस योजना को दिसंबर 2028 तक बढ़ा दिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार 17,082 करोड़ रुपये की सहायता दे रही है तथा खाद्य सब्सिडी के तहत 100% लागत वहन कर रही है।
मुख्य कार्यान्वयन क्षेत्र :
- सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में PDS, PMGKAY, PM-POSHAN (पूर्ववर्ती मध्याह्न भोजन योजना), ICDS, और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत यह चावल वितरित किया जा रहा है।
- फोर्टिफाइड चावल में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B12 आदि मिलाए जाते हैं। इनका अनुपात FSSAI के मानकों के अनुसार रखा जाता है।
कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति :
- योजना के तहत प्रतिवर्ष करीब 520 लाख टन फोर्टिफाइड चावल की खरीद-फरोख्त की जा रही है।
- 2024 तक सभी ज़िलों और सभी योजनाओं में योजना का सार्वभौमिक (universal) विस्तार लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
- योजना के लाभार्थी: अंत्योदय अन्न योजना (AAY), प्राथमिक घरेलू (PHH) कार्डधारक, आंगनबाड़ी लाभार्थी, स्कूली छात्र-छात्राएं, आदि।
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) सामान्य जानकारी
- संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता एजेंसी है
- विश्व की सबसे बड़ी मानवीय संगठन है, जो भूख और खाद्य सुरक्षा पर काम करता है
- इसे 2020 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया
- स्थापना: 1961 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा स्थापित
- मुख्यालय: रोम, इटली
- उद्देश्य: भुखमरी को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, और सतत विकास लक्ष्य (SDG 2: शून्य भुखमरी) को प्राप्त करना
- वित्तपोषण: स्वैच्छिक दान (मुख्य रूप से सरकारों, निजी क्षेत्र, और व्यक्तिगत दानदाताओं से)
भारत के साथ संबंध :
- भारत में WFP 1963 से सक्रिय है, लेकिन अब भारत सहायता प्राप्तकर्ता से दाता देश बन गया है
- हाल ही में (अगस्त 2025), भारत सरकार और WFP ने वैश्विक भुखमरी से निपटने के लिए एक आशय-पत्र (LoI) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति और तकनीकी सहयोग शामिल है
- भारत में WFP मध्याह्न भोजन योजना, पोषण जागरूकता, और जलवायु-सहिष्णु खाद्य प्रणालियों पर काम करता है
कार्य क्षेत्र :
- आपातकालीन खाद्य सहायता (आपदा/युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में)
- स्कूल भोजन कार्यक्रम
- पोषण सुधार कार्यक्रम
- नकद और खाद्य वाउचर वितरण
- खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक सपोर्ट
खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट (GRFC) 2025
- प्रकाशक: खाद्य संकटों के विरुद्ध वैश्विक नेटवर्क (GNAFC) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की जाती है, GNAFC एक गठबंधन जिसमें यूरोपीय संघ, FAO, WFP एवं अन्य भागीदार शामिल
तीव्र खाद्य असुरक्षा :
- 2024 में, 53 देशों/क्षेत्रों में 29.53 करोड़ लोग (22.6% विश्लेषित जनसंख्या) तीव्र खाद्य असुरक्षा (IPC चरण 3 या उससे ऊपर) का सामना कर रहे थे, जो 2023 की तुलना में 1.37 करोड़ की वृद्धि दर्शाता है
- यह छठा लगातार वर्ष है जब तीव्र खाद्य असुरक्षा में वृद्धि दर्ज की गई है, और GRFC के नौ साल के इतिहास में यह उच्चतम स्तर है
- IPC चरण 5 (विनाशकारी भुखमरी): 2024 में 19 लाख लोग विनाशकारी स्तर की भुखमरी का सामना कर रहे थे, जो 2016 के बाद से उच्चतम है। सबसे गंभीर स्थिति सूडान, गाजा पट्टी, दक्षिण सूडान, हैती, और माली में थी
पोषण संकट (Nutrition Crises):
- 2024 में, 53 में से 26 देशों में पोषण संकट दर्ज किया गया, और चार देशों में पोषण संबंधी चिंताएँ थीं
- 3.77 करोड़ बच्चे (6-59 महीने) तीव्र कुपोषण से प्रभावित थे, जिनमें से 1 करोड़ बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण (Severe Acute Malnutrition) से पीड़ित थे, जिन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता थी। सूडान, गाजा, यमन, और माली सबसे अधिक प्रभावित थे
- प्रमुख देश: शीर्ष 10 देश (जैसे सूडान, गाजा, नाइजीरिया, म्यांमार) में 65% से अधिक तीव्र खाद्य असुरक्षा के मामले









