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लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण

Sun 24 Aug, 2025

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अगस्त 2025 में एक चर्चा-पत्र (Discussion Paper) जारी किया है जिसमें भारत में अपनाए गए लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण (Flexible Inflation Targeting - FIT) ढांचे की समीक्षा की गई है। यह समीक्षा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य (2%–6% सहनशीलता सीमा के साथ) की अवधि मार्च 2026 में समाप्त हो रही है।

RBI ने संकेत दिया है कि इस लक्ष्य को बढ़ाना नीतिगत विश्वसनीयता को कमजोर कर सकता है और पिछले वर्षों में प्राप्त मुद्रास्फीति नियंत्रण की उपलब्धियों को उलट सकता है।

FIT ढांचा क्या है?

  • FIT ढांचे को भारत में 2016 में अपनाया गया था और यह RBI अधिनियम, 1934 में संशोधन के तहत मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौता (MPFA) के अंतर्गत लागू हुआ।

इसका प्रमुख उद्देश्य है:

  • CPI आधारित मुद्रास्फीति को 4% के स्तर पर बनाए रखना, जिसमें ±2% की सहनशीलता (यानी 2%–6%) है।
  • मौद्रिक नीति समिति (MPC) के माध्यम से रेपो दर तय करना।
  • मूल उद्देश्य – मूल्य स्थिरता; माध्यमिक उद्देश्य – आर्थिक वृद्धि को समर्थन।

RBI के 2025 के चर्चा-पत्र की मुख्य तथ्य

1. 4% लक्ष्य बनाए रखने के तर्क

RBI ने चर्चा-पत्र में मौजूदा 4% लक्ष्य बनाए रखने के कई कारण प्रस्तुत किए हैं:

A. वैश्विक निवेशकों की विश्वसनीयता:

यदि लक्ष्य बढ़ाया गया, तो यह दर्शा सकता है कि भारत अब उच्च मुद्रास्फीति को सहन कर सकता है, जिससे RBI की नीतिगत साख को नुकसान हो सकता है। हाल ही में S&P Global द्वारा भारत की BBB रेटिंग में सुधार में RBI की मुद्रास्फीति प्रबंधन नीति को प्रमुख कारक बताया गया।

B. संस्थागत मजबूती:

FIT ढांचे के तहत MPC की कार्यप्रणाली पारदर्शी और जवाबदेह बनी है। यह राजकोषीय उत्तरदायित्व को भी प्रोत्साहित करता है।

C. घरेलू मुद्रास्फीति प्रदर्शन:

  • 2016 के बाद से CPI मुद्रास्फीति अधिकांश समय 2%–6% सीमा के भीतर रही है।
  • जुलाई 2025 में CPI 1.55% रही, जो कि अब तक के दूसरे सबसे निचले स्तर पर है।

D. बाह्य स्थिरता:

स्थिर और निम्न मुद्रास्फीति से रुपया मजबूत रहता है, विदेशी पूंजी निवेश को आकर्षण मिलता है और ब्याज दरों में स्थिरता बनी रहती है।

लक्ष्य बढ़ाने के विरोध में तर्क

  • मुद्रास्फीति लक्ष्य बढ़ाने से वास्तविक ब्याज दरें घट सकती हैं, जिससे लंबी अवधि की मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
  • गरीब और सीमित आय वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
  • RBI की स्वायत्तता और जवाबदेही कमजोर हो सकती है।
  • यह सरकारों को राजकोषीय शिथिलता की ओर ले जा सकता है।

आगे की प्रक्रिया

  • RBI ने जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं।
  • वित्त मंत्रालय और RBI मिलकर मार्च 2026 से पहले इसपर अंतिम निर्णय लेंगे।

महत्व और प्रभाव

  • यह ढांचा भारत में मूल्य स्थिरता बनाए रखने में सहायक रहा है।
  • नीतिगत पारदर्शिता, निवेशकों का विश्वास और मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को स्थिर करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
  • यह भारत को मौद्रिक रूप से आत्मनिर्भर और वैश्विक निवेश के लिए विश्वसनीय गंतव्य बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।

महत्वपूर्ण तथ्य

तथ्य विवरण
वर्तमान लक्ष्य 4% CPI (2%–6% सहनशीलता सीमा सहित)
लागू वर्ष 2016
वैधानिक आधार RBI अधिनियम, 1934 (संशोधित)
लागू निकाय मौद्रिक नीति समिति (MPC)
वर्तमान लक्ष्य की समाप्ति तिथि मार्च 2026
जुलाई 2025 CPI 1.55% (अब तक दूसरा सबसे कम)

 

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