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अग्नि-5 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण

Fri 22 Aug, 2025

संदर्भ :

  • भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से अपनी सबसे उन्नत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • परीक्षण : भारतीय रक्षा मंत्रालय और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा सामरिक बल कमान की देखरेख में
  • परीक्षण में मिसाइल ने सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को पूरा किया, जिससे भारत की सामरिक क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

मारक क्षमता और रेंज :

  • मारक क्षमता : 5,000 किलोमीटर से अधिक है, जो इसे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की श्रेणी में रखती है।
  • यह रेंज पूरे एशिया, चीन के उत्तरी क्षेत्रों, यूरोप के कुछ हिस्सों और अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों को कवर करती है।

MIRV तकनीक :

  • अग्नि-5 में मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक का उपयोग किया गया है।
  • यह तकनीक एक मिसाइल को एक साथ कई लक्ष्यों पर अलग-अलग वॉरहेड्स दागने में सक्षम बनाती है।
  • MIRV तकनीक की शुरुआत 1970 में अमेरिका ने की थी, और अब भारत इस तकनीक के साथ चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन) के क्लब में शामिल हो गया है।
  • यह तकनीक भारत को एक ही लॉन्च से कई ठिकानों, जैसे कमांड सेंटर, हथियार गोदाम, या बंकरों को निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करती है।

प्रोपल्शन और गति :

  • अग्नि-5 में तीन चरणों का सॉलिड फ्यूल प्रोपल्शन सिस्टम है, जो इसे तेजी से लॉन्च करने और उच्च विश्वसनीयता प्रदान करता है।
  • इसकी गति मैक 24 (ध्वनि की गति से 24 गुना अधिक, यानी लगभग 8.16 किमी/सेकंड) है, जो इसे पलक झपकते ही लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम बनाती है।

कैनिस्टर लॉन्च सिस्टम :

  • अग्नि-5 कैनिस्टर-आधारित लॉन्च सिस्टम से सुसज्जित है, जो इसे सड़क या रेल मार्ग से आसानी से परिवहन करने और कहीं से भी लॉन्च करने की सुविधा देता है।
  • यह सुविधा मिसाइल की तैनाती को अधिक लचीला और गोपनीय बनाती है।

नेविगेशन और सटीकता :

  • मिसाइल में उन्नत नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम शामिल हैं, जिसमें रिंग लेजर जायरोस्कोप और जीपीएस/INS (इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम) का उपयोग किया गया है।
  • यह सटीक लक्ष्य भेदन सुनिश्चित करता है।
  • परीक्षण के दौरान राडार, टेलीमेट्री स्टेशन, और समुद्र में तैनात जहाजों ने रीयल-टाइम डेटा संग्रह किया, जिससे इसकी सटीकता की पुष्टि हुई।

पेलोड क्षमता :

  • अग्नि-5 1.5 टन तक का पेलोड ले जा सकती है, जिसमें परमाणु और पारंपरिक वॉरहेड शामिल हैं।
  • DRDO एक गैर-परमाणु संस्करण पर भी काम कर रहा है, जो विशेष रूप से वायुसेना के लिए डिज़ाइन किया जाएगा।
  • इसमें 8 टन तक का भारी वॉरहेड होगा, जो हवा में विस्फोट (एयरबर्स्ट) या रनवे और रडार सिस्टम को नष्ट करने में सक्षम होगा।

सामरिक महत्व :

न्यूनतम विश्वसनीय निवारण :

  • अग्नि-5 भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति को मजबूत करती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि भारत केवल आत्मरक्षा में परमाणु हथियारों का उपयोग करेगा।
  • इसकी लंबी रेंज और MIRV तकनीक भारत को संभावित खतरों के खिलाफ एक विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है।

क्षेत्रीय शक्ति संतुलन :

  • अग्नि-5 की रेंज में पाकिस्तान, चीन, और अन्य पड़ोसी देश (जैसे बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, भूटान) शामिल हैं।
  • यह खास तौर पर चीन के उत्तरी शहरों (बीजिंग, शंघाई, हांगकांग) और तिब्बत में तैनात सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकती है।
  • पाकिस्तान में इस मिसाइल को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। इस्लामाबाद के स्ट्रैटेजिक विजन इंस्टीट्यूट (SVR) ने इसे पाकिस्तान के लिए "खतरे की घंटी" करार दिया है।
  • यह मिसाइल भारत को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में एक मजबूत स्थिति प्रदान करती है, विशेष रूप से चीन की DF-21 मिसाइलों के जवाब में, जो तिब्बत से भारत के शहरों को निशाना बना सकती हैं।

वैश्विक स्थिति :

  • अग्नि-5 के सफल परीक्षण के साथ, भारत उन छह देशों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत) में शामिल हो गया है, जिनके पास ICBM क्षमता है।
  • यह उपलब्धि भारत की सामरिक स्वायत्तता और वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी भूमिका को मजबूत करती है।

बंकर बस्टर क्षमता :

  • अग्नि-5 को भविष्य में बंकर बस्टर क्षमता के साथ उन्नत किया जा सकता है, जो गहरे बंकरों और कमांड सेंटरों को नष्ट करने में सक्षम होगी।
  • यह विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन द्वारा सीमा पर बनाए गए भूमिगत ठिकानों के लिए महत्वपूर्ण है।

भविष्य की संभावनाएँ :

  • रेंज विस्तार: DRDO अग्नि-5 की रेंज को 8,000 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे यह अमेरिका और अन्य महाद्वीपों को भी निशाना बना सके।
  • वायुसेना के लिए गैर-परमाणु संस्करण: DRDO एक गैर-परमाणु संस्करण विकसित कर रहा है, जो रनवे, रडार सिस्टम, और अन्य सैन्य ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम होगा।

इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM):

  • एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो परमाणु या पारंपरिक वॉरहेड्स को 5,500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक ले जाने में सक्षम होती है।

विशेषताएँ :

  1. रेंज: ICBM की न्यूनतम रेंज 5,500 किमी होती है, जो इसे एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाती है। कुछ आधुनिक ICBM की रेंज 10,000-15,000 किमी तक होती है।
  2. प्रोपल्शन: ये मिसाइलें आमतौर पर सॉलिड या लिक्विड फ्यूल प्रोपल्शन सिस्टम पर आधारित होती हैं। सॉलिड फ्यूल सिस्टम अधिक विश्वसनीय और त्वरित लॉन्च के लिए उपयुक्त होता है।
  3. पेलोड: ICBMs एकल वॉरहेड या मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) ले जा सकती हैं, जो कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकते हैं।
  4. गति: ये मिसाइलें मैक 20-25 (लगभग 24,000-30,000 किमी/घंटा) की गति से उड़ान भरती हैं, जिससे इन्हें रोकना मुश्किल होता है।
  5. नेविगेशन: उन्नत इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS), जीपीएस, और रिंग लेजर जायरोस्कोप का उपयोग सटीक लक्ष्य भेदन के लिए किया जाता है।
  6. लॉन्च प्लेटफॉर्म: ICBMs को साइलो (भूमिगत लॉन्चर), मोबाइल लॉन्चर (ट्रक/रेल), या पनडुब्बियों से लॉन्च किया जा सकता है।

कार्यप्रणाली :

  • लॉन्च चरण: मिसाइल को जमीन, समुद्र, या पनडुब्बी से लॉन्च किया जाता है।
  • बूस्ट चरण: रॉकेट इंजन मिसाइल को अंतरिक्ष में ले जाते हैं।
  • मध्य-उड़ान चरण: मिसाइल पृथ्वी की कक्षा में बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र (परवलयिक पथ) पर चलती है।
  • री-एंट्री चरण: वॉरहेड्स वायुमंडल में पुन: प्रवेश करते हैं और लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं।
  • टर्मिनल चरण: लक्ष्य पर सटीक प्रहार

सामरिक महत्व :

  • निवारण (Deterrence): ICBMs न्यूनतम विश्वसनीय निवारण (Credible Minimum Deterrence) का आधार हैं, जो किसी देश को हमलावर के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की गारंटी देता है।
  • शक्ति संतुलन: ये मिसाइलें वैश्विक और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • MIRV क्षमता: एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता इसे मिसाइल रक्षा प्रणालियों के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है।
  • रणनीतिक लचीलापन: मोबाइल और कैनिस्टर-आधारित लॉन्च सिस्टम ICBMs को गोपनीय और त्वरित तैनाती की सुविधा देते हैं।

ICBM वाले देश :

वर्तमान में केवल कुछ देशों के पास ICBM क्षमता है:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: Minuteman III, Trident II (पनडुब्बी-आधारित)
  • रूस: RS-28 Sarmat, Topol-M
  • चीन: DF-41, DF-31
  • भारत: अग्नि-5 (5,000+ किमी रेंज, MIRV-सक्षम)
  • फ्रांस: M51 (पनडुब्बी-आधारित)
  • उत्तर कोरिया: Hwasong-15 (प्रायोगिक चरण में)
  • ब्रिटेन: Trident II (अमेरिका के सहयोग से)

अग्नि मिसाइल :

  • भारत द्वारा विकसित मध्यम से लेकर अंतरमहाद्वीपीय रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों का एक परिवार है
  • विकसित : भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा
  • अग्नि मिसाइलों का नाम संस्कृत शब्द "अग्नि" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "आग"
  • ये मिसाइलें भारत की सामरिक और परमाणु निवारक शक्ति का प्रमुख हिस्सा हैं

विशेषताएँ :

  1. प्रकार: बैलिस्टिक मिसाइल (शॉर्ट, मीडियम, इंटरमीडिएट और इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज)
  2. प्रोपल्शन: अधिकांश अग्नि मिसाइलें सॉलिड फ्यूल पर आधारित हैं, जो त्वरित लॉन्च और कम रखरखाव की सुविधा प्रदान करता है। कुछ शुरुआती संस्करणों में लिक्विड फ्यूल का भी उपयोग हुआ
  3. लॉन्च प्लेटफॉर्म: कैनिस्टर-आधारित (मोबाइल लॉन्चर), सड़क, रेल, और कुछ मामलों में साइलो से लॉन्च
  4. नेविगेशन: उन्नत इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS), रिंग लेजर जायरोस्कोप, और जीपीएस के साथ सटीक लक्ष्य भेदन
  5. पेलोड: परमाणु (15-200 किलोटन) और पारंपरिक वॉरहेड ले जाने में सक्षम। कुछ मिसाइलें MIRV (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) तकनीक से सुसज्जित हैं
  6. सामरिक उपयोग: न्यूनतम विश्वसनीय निवारण (Credible Minimum Deterrence) और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए

अग्नि मिसाइलों के प्रमुख संस्करण :

अग्नि-I (Agni-I):

  • रेंज: लगभग 700-1,200 किमी
  • पेलोड: लगभग 1,000 किग्रा
  • विशेषता: शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM), अधिकतर पाकिस्तान और निकटवर्ती क्षेत्रों के लिए
  • प्रोपल्शन: ठोस ईंधन
  • स्थिति: परिचालन में

अग्नि-II (Agni-II):

  • रेंज: 2,000-3,000 किमी
  • पेलोड: लगभग 1,000 किग्रा
  • विशेषता: मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM), मोबाइल लॉन्चर आधारित
  • प्रोपल्शन: ठोस ईंधन
  • स्थिति: परिचालन

अग्नि-III (Agni-III):

  • रेंज: 3,000-5,000 किमी
  • पेलोड: लगभग 1,500 किग्रा
  • विशेषता: इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM), दो-चरण ठोस ईंधन
  • स्थिति: परिचालन, मुख्य रूप से क्षेत्रीय खतरों के लिए

अग्नि-IV (Agni-IV):

  • रेंज: 3,500-4,000 किमी
  • पेलोड: 800-1,000 किग्रा
  • विशेषता: उन्नत नेविगेशन सिस्टम के साथ, हल्के वजन की सामग्री, MIRV की संभावना
  • स्थिति: परिचालन में

अग्नि-V (Agni-V):

  • रेंज: वर्तमान में 5,000-5,500 किमी, भविष्य में 7,500-8,000 किमी तक संभव
  • पेलोड: लगभग 1,500 किग्रा
  • विशेषता: प्रायोगिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) श्रेणी, MIRV-सक्षम, कैनिस्टर आधारित और उच्च सटीकता वाली मिसाइल
  • हालिया परीक्षण: 20 अगस्त 2025 को ओडिशा के चांदीपुर से सफल परीक्षण
  • सामरिक महत्व: पूरे एशिया, चीन के उत्तरी क्षेत्र, तथा यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों को कवर करती है

अग्नि-VI (Agni-VI):

  • रेंज: अनुमानित 8,000-12,000 किमी (पूरी तरह अंतरमहाद्वीपीय)
  • विशेषता: अपेक्षित रूप से MIRV तकनीक से लैस, गैर-परमाणु विकल्प के साथ वैश्विक रेंज
  • स्थिति: विकासाधीन, भविष्य की मिसाइल

अग्नि-प्राइम (Agni-P):

  • रेंज: 1,000-2,000 किमी
  • विशेषता: अग्नि-IV पर आधारित उन्नत संस्करण, हल्का और बेहतर डिज़ाइन, MIRV-सक्षम
  • स्थिति: परीक्षण चरण में

विकास और परीक्षण :

  • प्रथम मिसाइल: अग्नि-I का विकास 1989 में शुरू हुआ, और यह 1990 के दशक में परिचालन में आया
  • हालिया प्रगति: अग्नि-V का नवीनतम परीक्षण 20 अगस्त 2025 को चांदीपुर, ओडिशा में किया गया, जिसमें MIRV और अन्य उन्नत तकनीकों का सफल प्रदर्शन हुआ
  • परीक्षण सुविधाएँ: इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चांदीपुर और अब्दुल कलाम द्वीप पर नियमित परीक्षण किए जाते हैं

इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) :

  • एक प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 3,000 से 5,500 किलोमीटर के बीच होती है
  • ये मिसाइलें सामरिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन की जाती हैं और परमाणु या पारंपरिक वॉरहेड्स ले जाने में सक्षम होती हैं
  • प्रोपल्शन: अधिकांश IRBMs सॉलिड फ्यूल या लिक्विड फ्यूल प्रणालियों पर आधारित होती हैं
  • पेलोड: IRBMs 500 से 2,000 किग्रा तक का पेलोड ले जा सकती हैं, ये परमाणु (10-200 किलोटन) या पारंपरिक वॉरहेड्स ले जा सकती हैं, कुछ उन्नत IRBMs MIRV (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल) तकनीक से सुसज्जित होती हैं, जो एक मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की अनुमति देती हैं
  • गति: IRBMs की गति मैक 10-20 (लगभग 12,000-24,000 किमी/घंटा) तक हो सकती है, जो इन्हें रक्षा प्रणालियों के लिए चुनौतीपूर्ण बनाती है
  • नेविगेशन: सटीकता के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS), रिंग लेजर जायरोस्कोप, और जीपीएस का उपयोग
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: साइलो (भूमिगत लॉन्चर), मोबाइल लॉन्चर (सड़क/रेल), या कैनिस्टर-आधारित सिस्टम से लॉन्च

कार्यप्रणाली :

IRBMs बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र पर काम करती हैं:

  • लॉन्च चरण: मिसाइल जमीन या मोबाइल लॉन्चर से प्रक्षेपित होती है।
  • बूस्ट चरण: रॉकेट इंजन मिसाइल को वायुमंडल के बाहर ले जाते हैं।
  • मध्य-उड़ान चरण: मिसाइल अंतरिक्ष में बैलिस्टिक पथ पर चलती है।
  • री-एंट्री चरण: वॉरहेड वायुमंडल में पुन: प्रवेश करता है।
  • टर्मिनल चरण: वॉरहेड लक्ष्य पर सटीक प्रहार करता है

IRBM वाले देश और उदाहरण :

कई देशों ने IRBM विकसित की हैं, जिनमें शामिल हैं:

भारत:

  • अग्नि-III: रेंज 3,000-5,000 किमी, सॉलिड फ्यूल, परमाणु-सक्षम।
  • अग्नि-IV: रेंज 3,500-4,000 किमी, उन्नत नेविगेशन और MIRV की संभावना।

चीन:

  • DF-21: रेंज 3,000-4,000 किमी, सॉलिड फ्यूल, परमाणु और पारंपरिक वॉरहेड्स।
  • DF-26: रेंज 3,000-5,000 किमी, MIRV-सक्षम।

रूस:

  • RS-26 Rubezh: रेंज 5,800 किमी (IRBM/ICBM सीमा पर), सॉलिड फ्यूल।

उत्तर कोरिया:

  • Hwasong-12: रेंज 3,700-4,500 किमी, लिक्विड फ्यूल।

इज़राइल (अनुमानित):

  • Jericho II: रेंज 3,500 किमी, सॉलिड फ्यूल, परमाणु-सक्षम

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