18 August, 2025
विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता
Wed 20 Aug, 2025
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रुपये में व्यापार को बढ़ावा देने और अमेरिकी डॉलर जैसी हार्ड करंसी पर निर्भरता घटाने के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए हैं। ये बदलाव Special Rupee Vostro Accounts (SRVAs) से संबंधित हैं — जो एक ऐसी प्रणाली है जिसे 2022 में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के भारतीय रुपये में निपटान के लिए शुरू किया गया था।
SRVA क्या है?
Special Rupee Vostro Accounts (SRVAs) वे बैंक खाते हैं जो भारतीय बैंकों में विदेशी बैंकों या विदेशी संस्थाओं द्वारा भारतीय रुपये में खोले जाते हैं।
इन खातों के माध्यम से:
- विदेशी खरीदार भारतीय निर्यातकों को रुपये में भुगतान कर सकते हैं।
- भारतीय निर्यातक रुपये में भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
- SRVA प्रणाली जुलाई 2022 में शुरू की गई थी, विशेष रूप से उन देशों (जैसे रूस, ईरान) के साथ व्यापार करने के लिए, जो करेंसी प्रतिबंध या अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत हैं।
- यह व्यवस्था डॉलर या यूरो जैसे तीसरे देश की मुद्रा की आवश्यकता को समाप्त करती है।
RBI के हालिया सुधार (अगस्त 2025)
SRVAs को अधिक लचीला और प्रभावी बनाने के लिए RBI ने दो महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं:
1. अधिशेष रुपये का निवेश:
अब विदेशी संस्थाएं अपने SRVA खातों में रखे अधिशेष भारतीय रुपये को निम्नलिखित में निवेश कर सकती हैं:
- भारत सरकार की प्रतिभूतियाँ (G-secs)
- कोषागार बिल (T-bills)
इससे वे रुपये जो निष्क्रिय पड़े रहते थे, अब उत्पादक रूप से उपयोग किए जा सकेंगे।
2. पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता समाप्त:
- अब भारत के अधिकृत डीलर (AD) बैंक विदेशी बैंकों के लिए SRVA बिना RBI की पूर्व अनुमति के खोल सकते हैं।
- यह निर्णय प्रक्रियात्मक बाधाओं को कम करेगा और व्यापार में सहजता (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देगा।
इन उपायों के उद्देश्य
- भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना।
- अमेरिकी डॉलर और यूरो जैसे हार्ड करंसी पर निर्भरता कम करना।
- सीमित डॉलर भंडार वाले मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को सुगम बनाना।
- भारत की सरकारी प्रतिभूतियों में विदेशी पूंजी आकर्षित करना।
- व्यापार निपटान की प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना।
SRVA प्रणाली के लाभ
लाभ | विवरण |
रुपये में व्यापार को बढ़ावा | व्यापार INR में होने से USD की मांग घटती है। |
निर्यातकों को लाभ | भुगतान और निपटान तेजी से होता है। |
निवेश का अवसर | अधिशेष रुपये को सरकारी बॉन्ड में लगाया जा सकता है। |
भूराजनीतिक लाभ | पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद व्यापार संभव। |
आर्थिक संप्रभुता को बल | रुपये को वैश्विक मुद्रा के रूप में स्थापित करने की दिशा में कदम। |
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
तथ्य | विवरण |
स्थापना | 1 अप्रैल 1935 (RBI अधिनियम, 1934 के अंतर्गत) |
राष्ट्रीयकरण | 1 जनवरी 1949 |
वर्तमान गवर्नर | शक्तिकांत दास (2025 तक) |
मुख्यालय | मुंबई |
स्वामित्व | 100% भारत सरकार के अधीन |