18 August, 2025
जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025
Tue 19 Aug, 2025
संदर्भ :
- केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 18 अगस्त 2025 को लोकसभा में जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसे मंत्रिमंडल पहले ही मंजूरी दे चुका है।
मुख्य बिन्दु :
- यह विधेयक जीवन और व्यापार को सुगम बनाने (Ease of Living and Ease of Doing Business) के लिए भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो विश्वास-आधारित शासन (Trust-Based Governance) को बढ़ावा देने और छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त (Decriminalization) करने पर केंद्रित है।
- यह विधेयक 2023 में पारित जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम का विस्तार है।
पृष्ठभूमि :
- जन विश्वास विधेयक पहली बार 2022 में पेश किया गया था और 2023 में इसे संसद द्वारा पारित किया गया।
- इसने 19 मंत्रालयों के 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया था, जिससे छोटे अपराधों के लिए जेल की सजा को हटाकर जुर्माना या अन्य प्रशासनिक उपाय लागू किए गए।
2025 विधेयक का उद्देश्य:
- छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करना: लगभग 350 प्रावधानों को गैर-आपराधिक घोषित करना, जिसमें पहली गलती पर केवल सुधार नोटिस (Corrective Notice) जारी करने का प्रावधान है
- विश्वास-आधारित शासन: सरकार का मानना है कि आम नागरिक और व्यापारी ईमानदारी से काम करते हैं, और छोटी गलतियों के लिए उन्हें आपराधिक सजा के बजाय सुधार का अवसर देना चाहिए।
- जीवन और व्यापार में सुगमता: यह विधेयक Ease of Doing Business और Ease of Living को बढ़ावा देता है, जिससे निवेश माहौल में सुधार होगा और अदालतों पर लंबित मामलों का बोझ कम होगा।
- विकसित भारत 2047: यह विधेयक सरकार के "विकसित भारत 2047" विजन का हिस्सा है, जो व्यवसाय और नागरिक-केंद्रित माहौल को बढ़ावा देता है।
मुख्य प्रावधान :
अपराधमुक्त प्रावधान:
- विधेयक में विभिन्न केंद्रीय अधिनियमों के 350 से अधिक प्रावधानों में संशोधन प्रस्तावित है।
- छोटे-मोटे अपराधों (जैसे मामूली नियम उल्लंघन) को आपराधिक श्रेणी से हटाकर प्रशासनिक जुर्माना या सुधार नोटिस में बदला जाएगा।
- उदाहरण: पहले छोटी गलतियों के लिए जेल की सजा या भारी जुर्माना हो सकता था, अब केवल नोटिस या जुर्माना लागू होगा।
- पहली गलती पर छूट: पहली बार नियम उल्लंघन करने वालों को सजा के बजाय सुधार का मौका दिया जाएगा, जिससे व्यापारियों और आम नागरिकों पर अनावश्यक दबाव कम होगा।
प्रमुख अधिनियमों में संशोधन: विधेयक में शामिल कुछ प्रमुख अधिनियम हैं:
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940
- सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944
- फार्मेसी अधिनियम, 1948
- सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952
- कॉपीराइट अधिनियम, 1957
- पेटेंट अधिनियम, 1970
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- मोटर वाहन अधिनियम, 1988
- रेलवे अधिनियम, 1989
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002
- खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006
प्रमुख विशेषताएं और प्रभाव :
व्यापार सुगमता:
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- यह विधेयक छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स के लिए नियमों के अनुपालन को आसान बनाएगा, जिससे व्यवसाय शुरू करना और चलाना सरल होगा।
- उदाहरण: पहले लाइसेंसिंग या रजिस्ट्रेशन में छोटी गलतियों के लिए सजा हो सकती थी, अब जुर्माना या नोटिस के साथ सुधार का मौका मिलेगा।
- निवेश माहौल में सुधार: कम आपराधिक सजा और सरल नियमों से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, जिससे भारत में व्यवसाय और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
- नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण: आम नागरिकों को छोटी गलतियों के लिए आपराधिक मुकदमों से बचाने का प्रयास, जो सरकार के "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" के सिद्धांत को दर्शाता है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सुधार नोटिस और प्रशासनिक जुर्माने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने पर जोर, ताकि मनमानी कार्रवाई न हो।
2023 के जन विश्वास अधिनियम से तुलना :
2023 का अधिनियम:
- 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया।
- कई मामलों में जेल की सजा को हटाकर केवल जुर्माना लागू किया गया।
- 19 मंत्रालयों और विभागों के नियमों में संशोधन।
2025 का संशोधन विधेयक:
- अधिक व्यापक, 350 से अधिक प्रावधानों को लक्षित करता है।
- पहली गलती पर सुधार नोटिस का नया प्रावधान।
- व्यापार और जीवन सुगमता पर और अधिक जोर, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए।
- सुधार: 2025 का विधेयक 2023 के प्रयासों का विस्तार है, जो अधिक प्रावधानों को कवर करता है और सुधारात्मक उपायों पर जोर देता है।
संबंधित मंत्रालय और प्रक्रिया :
- संबंधित मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नेतृत्व में, लेकिन इसमें वित्त, पर्यावरण, सड़क परिवहन, डाक, और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई मंत्रालय शामिल हैं।
प्रक्रिया:
- विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया और इसे संसद की संयुक्त समिति या प्रवर समिति के पास विचार के लिए भेजा जा सकता है।
- समिति की सिफारिशों के बाद विधेयक में संशोधन या अंतिम रूप दिया जाएगा, फिर यह राज्यसभा में जाएगा।
- संसदीय समिति ने पहले सुझाव दिया था कि राज्यों को भी छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, जो इस विधेयक के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण हो सकता है।
प्रमुख प्रभाव और लाभ :
आर्थिक प्रभाव:
- निवेश में वृद्धि: सरल नियम और कम सजा से स्टार्टअप्स और MSMEs को बढ़ावा मिलेगा।
- लागत में कमी: छोटे व्यवसायों को कानूनी प्रक्रियाओं और सजा से बचने में मदद मिलेगी।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता: विश्व बैंक के Ease of Doing Business रैंकिंग में भारत की स्थिति सुधरेगी।
सामाजिक प्रभाव:
- छोटी गलतियों के लिए जेल की सजा से छुटकारा, जिससे नागरिकों का भरोसा सरकार पर बढ़ेगा।
- पारदर्शी और सुधार-आधारित प्रणाली से प्रशासनिक दुरुपयोग कम होगा।
न्यायिक प्रभाव:
- अदालतों में लंबित छोटे मामलों की संख्या में कमी।
- प्रशासनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से तेजी से समाधान।