18 August, 2025
उत्तर प्रदेश के प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का उद्घाटन
Mon 18 Aug, 2025
संदर्भ :
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में राज्य के प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का उद्घाटन किया।
प्लांट की विशेषताएं :
- यह प्लांट अहमदाबाद स्थित टोरेंट ग्रुप द्वारा स्थापित किया गया है और यह भारत का दूसरा तथा उत्तर प्रदेश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट है।
- उत्पादन क्षमता : प्लांट की वार्षिक उत्पादन क्षमता 72 टन ग्रीन हाइड्रोजन है, जो 2 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा से विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से उत्पादित की जाती है
- उपयोग: ग्रीन हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस के साथ 2% की मात्रा में मिश्रित किया जाएगा, जिसे सीएनजी (वाहनों के लिए) और पीएनजी (घरेलू रसोई गैस) के रूप में उपयोग किया जाएगा। यह मिश्रण मौजूदा गैस वितरण नेटवर्क के माध्यम से घरों, सीएनजी स्टेशनों, और उद्योगों तक पहुंचाया जाएगा।
पर्यावरणीय प्रभाव :
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: यह प्लांट प्रतिवर्ष 500 टन कार्बन उत्सर्जन को रोकने में सक्षम होगा, जो पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान देगा
- स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत: ग्रीन हाइड्रोजन को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित किया जाता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है। यह नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन में उल्लेख किया गया है
- पर्यावरण संरक्षण: उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रुद्राक्ष का पौधा रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन "भविष्य की ऊर्जा" है, जो जैव विविधता की रक्षा और मानव स्वास्थ्य में सुधार में निर्णायक भूमिका निभाएगा
सरकारी नीतियां और समर्थन :
- ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024: उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष नीति बनाई है, जिसका लक्ष्य 1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (MMTPA) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करना है
- प्रधानमंत्री का विजन: यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट-जीरो उत्सर्जन और राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2030 के विजन के अनुरूप है
- नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य: उत्तर प्रदेश ने 22,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 6,000 मेगावाट पहले ही हासिल किया जा चुका है। यह प्लांट इस लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगा
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट
- ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो पानी (H₂O) के विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रोलिसिस) के माध्यम से उत्पादित किया जाता है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर, पवन, या जलविद्युत) का उपयोग होता है।
ग्रीन हाइड्रोजन :
- परिभाषा: ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न होता है, जिसके उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम या शून्य होता है
- उत्पादन प्रक्रिया: पानी को हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) में विभाजित करने के लिए इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, आदि) से बिजली का उपयोग होता है
अन्य प्रकार के हाइड्रोजन:
- ग्रे हाइड्रोजन: प्राकृतिक गैस से बनता है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है
- ब्लू हाइड्रोजन: ग्रे हाइड्रोजन की तरह, लेकिन कार्बन कैप्चर और स्टोरेज तकनीक का उपयोग होता है
- ग्रीन हाइड्रोजन: पूरी तरह स्वच्छ, क्योंकि यह नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर करता है
- ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की विशेषताएं
मुख्य घटक:
- इलेक्ट्रोलाइजर: पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने वाला उपकरण
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत: सौर पैनल, पवन टरबाइन, या जलविद्युत संयंत्र
- भंडारण और वितरण प्रणाली: हाइड्रोजन को संग्रहित करने और परिवहन के लिए टैंक और पाइपलाइन
- क्षमता: प्लांट की क्षमता मेगावाट (MW) में मापी जाती है, जो यह निर्धारित करती है कि कितनी बिजली का उपयोग हाइड्रोजन उत्पादन के लिए किया जाता है
लाभ :
- पर्यावरणीय: कार्बन उत्सर्जन शून्य या न्यूनतम, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करता है
- ऊर्जा स्वतंत्रता: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है
- विविध उपयोग: परिवहन, बिजली उत्पादन, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोगी
- रोजगार सृजन: प्लांट निर्माण और संचालन से स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ते हैं
वैश्विक और भारतीय परिदृश्य :
- वैश्विक: यूरोप, जापान, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा दे रहे हैं।
- यूरोपीय संघ ने 2030 तक 40 गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता का लक्ष्य रखा है
- भारत: भारत सरकार का राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2030 का लक्ष्य 5 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन है
भारत की ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित प्रमुख योजनाएं/पहल
योजना/पहल | शुरुआत | संबंधित मंत्रालय | 2024-25 बजट प्रावधान |
राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) | 4 जनवरी 2023 | नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) | ₹600 करोड़ (कुल मिशन के लिए ₹19,744 करोड़ 2029-30 तक) |
हाइड्रोजन-आधारित बस और ट्रक पायलट प्रोजेक्ट | मार्च 2025 | नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) / सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय | ₹208 करोड़ (पांच पायलट प्रोजेक्ट के लिए) |
ग्रीन हाइड्रोजन हब | 2025-26 (योजनाबद्ध) | नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) | ₹400 करोड़ (2025-26 तक दो हब स्थापित करने के लिए) |
पोर्ट पर ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया रिफ्यूलिंग केंद्र | अप्रैल 2023 (लक्ष्य 2035 तक) नवीन और | नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) / जहाजरानी मंत्रालय | 2024-25 में विशिष्ट प्रावधान का उल्लेख नहीं; समग्र मिशन के अंतर्गत वित्तपोषण |
ग्रीन हाइड्रोजन हाईवे प्रोजेक्ट | अगस्त 2025 (प्रस्तावित) | सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय / MNRE | ₹600 करोड़ (प्रस्तावित पायलट प्रोजेक्ट के लिए) |
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित प्रथम
- प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन नीति: फरवरी 2022, MNRE द्वारा शुरू, 2030 तक 5 MMTPA उत्पादन लक्ष्य
- प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट: 20 अप्रैल 2022, ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) द्वारा जोरहाट, असम में स्थापित, 10 किग्रा/दिन क्षमता
- प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना: अगस्त 2025, गोरखपुर (यूपी) में टोरेंट गैस द्वारा CNG/PNG में 2% मिश्रण
- प्रथम ग्रीन हाइड्रोजन हब योजना: 2025-26, MNRE द्वारा दो हब स्थापित करने की योजना
- भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन माइक्रोग्रिड प्रोजेक्ट : एनटीपीसी (NTPC) द्वारा सिम्हाद्रि, आंध्र प्रदेश (2022) में शुरू(यह देश का पहला स्टैंडअलोन (स्वतंत्र) ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा भंडारण प्रोजेक्ट है)
- भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट: लद्दाख (2022) में एनटीपीसी द्वारा शुरू