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पासांग वांगचुक सोना ISRO अंतरिक्ष प्रयोगशाला

Sun 17 Aug, 2025

संदर्भ :

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एवं मुस्कान फाउंडेशन के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • उद्घाटन तिथि: 16 अगस्त 2025
  • स्थान: मेचुका सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शी-योमी जिला, अरुणाचल प्रदेश
  • सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और मुस्कान फाउंडेशन
  • नामकरण: पासांग वांगचुक सोना ISRO अंतरिक्ष प्रयोगशाला, शिक्षा मंत्री पासांग दोर्जी सोना के पिता के सम्मान में

उद्देश्य :

  • छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना
  • ग्रामीण क्षेत्रों में STEM शिक्षा को बढ़ावा देना
      • वैज्ञानिक जिज्ञासा, नवाचार, और सोच को प्रोत्साहित करना
  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच शैक्षिक असमानता को कम करना

प्रमुख विशेषताएँ :

  • आधुनिक उपकरण: उपग्रह प्रौद्योगिकी, रॉकेट विज्ञान, और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए उपकरण
  • शैक्षिक प्रभाव: सुदूर मेचुका में उन्नत वैज्ञानिक संसाधनों तक पहुँच
  • सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय नेताओं, शिक्षकों, और छात्रों की सक्रिय भागीदारी

प्रभाव और महत्व :

  • स्थानीय स्तर पर: मेचुका के छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर की प्रेरणा।
  • राष्ट्रीय स्तर पर: ISRO की भारत के सुदूर क्षेत्रों में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता।
  • सांस्कृतिक महत्व: शिक्षा के प्रति पासांग वांगचुक सोना के विश्वास को सम्मानित करना।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) :

  • भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है
  • स्थापना: 15 अगस्त 1969
  • संस्थापक: डॉ. विक्रम साराभाई
  • मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक

उद्देश्य:

  • भारत के लिए स्वदेशी उपग्रह व प्रक्षेपण यान तकनीक का विकास
  • अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग सामाजिक व आर्थिक विकास में करना
  • दूरसंचार, मौसम, टेलीमेडिसिन, संसाधन सर्वेक्षण में सहायता देना

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • चंद्रयान मिशन:
    • चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज की।
    • चंद्रयान-2 (2019): आंशिक रूप से सफल; ऑर्बिटर सक्रिय रहा, लेकिन लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग असफल रही।
    • चंद्रयान-3 (2023): भारत का पहला सफल चंद्र लैंडिंग मिशन, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर प्रज्ञान को उतारा।
  • मंगलयान (2013): मंगल ऑर्बिटर मिशन, जिसने भारत को पहले प्रयास में मंगल तक पहुँचने वाला पहला देश बनाया।
  • आदित्य-एल1 (2023): सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन, जो L1 बिंदु पर तैनात है।
  • नाविक (NavIC): भारत का स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम, जो GPS का विकल्प प्रदान करता है।
  • PSLV और GSLV: पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) ने भारत को वैश्विक स्तर पर उपग्रह प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर बनाया।

आगामी मिशन (2025 और उसके बाद):

  • गगनयान: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन, जिसके तहत 2026 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को निम्न पृथ्वी कक्षा में भेजने की योजना है।
  • शुक्रयान-1: 2025 में प्रस्तावित लिखा है, जबकि यह अब सबसे जल्दी 2026 तक संभावित है
  • चंद्रयान-4: 2028 टार्गेट संभावित चर्चा के आधार पर है, लेकिन ISRO की ओर से इसकी पुष्ट घोषणा अब तक नहीं की गई
  • NISAR: NASA के साथ संयुक्त मिशन, जो पृथ्वी की सतह की निगरानी के लिए उपग्रह लॉन्च करेगा।

प्रमुख केंद्र:

  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम – रॉकेट विकास
  • यू.आर. राव अंतरिक्ष केंद्र (URSC), बेंगलुरु – उपग्रह डिजाइन एवं विकास
  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा – उपग्रह एवं रॉकेट प्रक्षेपण
  • द्रव नोडन प्रणाली केंद्र (LPSC), वलियमाला और बेंगलुरु – क्रायोजेनिक इंजन विकास
  • राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), हैदराबाद – सुदूर संवेदन डेटा प्रबंधन
  • अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (SAC), अहमदाबाद – संचार और सुदूर संवेदन अनुप्रयोग

नेतृत्व:

  • ISRO का अध्यक्ष अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी होते हैं
  • जनवरी 2025 से डॉ. वी. नारायणन ISRO के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने श्री एस. सोमनाथ का स्थान ग्रहण किया

वाणिज्यिक शाखा:

  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited) ISRO की वाणिज्यिक शाखा है, जो अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं का विपणन करती है और तकनीकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाती है।

प्रमुख प्रक्षेपण यान (Launch Vehicles):

प्रक्षेपण यान का नाम विवरण
SLV (Satellite Launch Vehicle) ISRO का पहला प्रक्षेपण यान, 1980 के दशक में विकसित, छोटा भार (लगभग 40 किग्रा) प्रक्षेपित करता था
ASLV (Augmented Satellite Launch Vehicle) SLV का उन्नत संस्करण, 150 किग्रा तक उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता था
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) ISRO का सबसे विश्वसनीय और बहुप्रचलित प्रक्षेपण यान, 500-1500 किग्रा तक उपग्रह प्रक्षेपित करता है। चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन में उपयोग
GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) भूस्थिर कक्षा के लिए उपयुक्त, 2-4 टन तक उपग्रह प्रक्षेपित करता है, क्रायोजेनिक इंजन वाला रॉकेट
GSLV Mk III (LVM-3) ISRO का सबसे भारी प्रक्षेपण यान, 8 टन तक पृथ्वी की निचली कक्षा में और 4 टन तक भूस्थिर कक्षा में उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता है। मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए विकसित।
SSLV (Small Satellite Launch Vehicle) छोटे उपग्रहों (10 से 500 किग्रा) के लिए नवीनतम प्रक्षेपण यान, कम लागत, तेज़ प्रक्षेपण, और लचीला

 

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