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भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में सुधार

Sat 16 Aug, 2025

संदर्भ :

  • एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 'BBB-' से बढ़ाकर 'BBB' कर दिया है, जबकि अल्पकालिक रेटिंग को 'A-3' से बढ़ाकर 'A-2' कर दिया है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • भारत की बढ़ती वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखते हुए, हस्तांतरण और परिवर्तनीयता मूल्यांकन को भी 'BBB+' से सुधारकर 'A-' कर दिया गया है।
  • S&P ने पिछली बार जनवरी 2007 में भारत की रेटिंग को 'BBB-' किया था, इसलिए यह रेटिंग उन्नयन 18 वर्षों के अंतराल के बाद आया है।
  • उच्च GDP वृद्धि: वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 के बीच भारत की वास्तविक GDP वृद्धि औसतन 8.8% रही, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है।
  • एसएंडपी अनुमान: अगले तीन वर्षों में GDP की वार्षिक वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान है, जिससे सरकार के ऋण- GDP अनुपात में नरमी की संभावना है।
  • बुनियादी ढाँचे पर जोर: बुनियादी ढाँचे में निवेश ने सरकारी व्यय की गुणवत्ता को बेहतर किया है। वित्त वर्ष 2026 तक केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय ₹11.2 ट्रिलियन (GDP का 3.1%) तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • सार्वजनिक निवेश: राज्य सरकारों सहित कुल सार्वजनिक निवेश GDP का लगभग 5.5% अनुमानित है, जो कई समकक्ष देशों के बराबर या उससे अधिक है।
  • विकास का साधन: बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी निवेश उन बाधाओं को दूर करने में मदद करेगा जो पहले दीर्घकालिक आर्थिक विकास में रुकावट डालती थीं।
  • मौद्रिक नीति सुधार: विशेषकर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की ओर बदलाव ने मूल्य अपेक्षाओं को स्थिर किया है।

भारत का राजकोषीय घाटा परिदृश्य :

  • सामान्य सरकारी घाटा: FY2026 में GDP का 7.3% से घटकर FY2029 तक 6.6% होने का अनुमान।
  • बुनियादी ढांचा निवेश: सरकार ने बड़े निवेश को चालू खाता घाटा बढ़ाए बिना वित्तपोषित किया, जिससे राजकोषीय विश्वसनीयता मजबूत हुई।

केंद्र सरकार घाटा:

  • FY2025 में 4.8% GDP
  • FY2026 लक्ष्य घटाकर 4.4% GDP
  • राज्य सरकार घाटा: अगले 3–4 वर्षों में औसतन 2.7% GDP रहने की संभावना।
  • कुल घाटा: केंद्र + राज्य मिलाकर FY2029 तक धीरे-धीरे घटकर 6.6% GDP होने का अनुमान।
  • ऋण परिदृश्य: S&P के अनुसार शुद्ध ऋण परिवर्तन 7.8% GDP पर होगा, जो महामारी काल के 9%-13% की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है।
  • ऋण पात्रता और मुद्रास्फीति : एसएंडपी ग्लोबल ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत की मज़बूत आर्थिक वृद्धि और सुदृढ़ नीतिगत ढाँचे ने मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए देश की क्रेडिट प्रोफ़ाइल को मज़बूत किया है। परिणामस्वरूप, एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को 'BBB-' से बढ़ाकर 'BBB' कर दिया है।

भारत की मौद्रिक और आर्थिक स्थिति :

  • आर्थिक विस्तार: मजबूत विकास से भारत के ऋण मानक बेहतर हुए, जिससे अगले 2–3 वर्षों के लिए सतत विकास का आधार तैयार।
  • मुद्रास्फीति प्रबंधन: मौद्रिक नीति सेटिंग्स अधिक प्रभावी हुईं, जिससे अपेक्षाएँ स्थिर।
  • बाहरी स्थिति: भारत की बाह्य स्थिति मजबूत; शुद्ध बाह्य परिसंपत्ति संतुलन सामान्य।
  • चालू खाता घाटा: स्थिर घरेलू मांग और थोड़ा कमजोर रुपये से घाटा कम, निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ी।
  • RBI की भूमिका:
    • 2015 से मुद्रास्फीति को मध्यम अवधि लक्ष्य दायरे (2–6%) में बनाए रखा।
    • CPI वृद्धि दर पिछले 3 वर्षों में औसतन 5.5%।
    • जुलाई 2025 में 1.6% (जून में 2.1%) तक गिरावट।
  • मौद्रिक सहजता: फरवरी 2025 में RBI ने नीतिगत रेपो दर 100 आधार अंक घटाकर 5.5% कर दी।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स

  • स्थापना : 1860 में (Standard & Poor’s के रूप में)
  • मुख्यालय : न्यूयॉर्क, अमेरिका
  • मालिकाना : S&P Global Inc.
  • प्रकृति (Type): विश्व की प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक
  • अन्य बड़ी एजेंसियाँ: मूडीज, फिच रेटिंग्स

मुख्य कार्य (Functions):

  • क्रेडिट रेटिंग (Credit Ratings): देशों, कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों की साख (creditworthiness) का आकलन करना
  • रेटिंग स्केल:
    • Investment Grade → AAA, AA, A, BBB
    • Speculative Grade → BB, B, CCC, CC, C, D
  • आर्थिक विश्लेषण (Economic Analysis): GDP, Fiscal Deficit, Inflation आदि पर रिपोर्ट और आउटलुक जारी करना
  • इंवेस्टर गाइडेंस: निवेशकों को जोखिम और स्थिरता का आकलन करने में मदद

क्रेडिट रेटिंग – 'BBB' और 'A-2'

‘BBB’ Rating (Long-Term Rating)

  • यह लॉन्ग-टर्म (दीर्घकालीन) क्रेडिट रेटिंग है
  • इसे S&P Investment Grade की श्रेणी में रखता है

अर्थ:

  • BBB / BBB+ / BBB- का मतलब है कि संस्था या देश कर्ज चुकाने में सक्षम है लेकिन वित्तीय स्थिति बहुत मजबूत नहीं है
  • यह न्यूनतम Investment Grade मानी जाती है
  • इससे नीचे (BB, B, CCC…) रेटिंग Speculative या Junk मानी जाती है

सरल भाषा में : BBB का मतलब है – निवेश करना सुरक्षित है, लेकिन आर्थिक झटकों (Economic Shocks) से प्रभावित हो सकता है।

‘A-2’ Rating (Short-Term Rating)

  • यह शॉर्ट-टर्म (अल्पकालिक) क्रेडिट रेटिंग है
  • S&P इसे Short-Term Issue Credit Rating के लिए इस्तेमाल करता है

अर्थ:

  • A-1 = सबसे मजबूत शॉर्ट-टर्म क्षमता
  • A-2 = अच्छी क्षमता, समय पर भुगतान करने की योग्यता है
  • लेकिन यह आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर है (जैसे मंदी या वित्तीय संकट में जोखिम बढ़ सकता है)
  • A-3 और उसके बाद → और कमजोर मानी जाती हैं

सरल भाषा में: A-2 का मतलब है – कंपनी/देश शॉर्ट-टर्म कर्ज चुका सकता है, लेकिन यह सबसे बेहतरीन श्रेणी (A-1) में नहीं है।

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