18 August, 2025
SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की मांग — सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Thu 14 Aug, 2025
संदर्भ :
- सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त 2025 को रामशंकर प्रजापति द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है, जिसमें SC/ST आरक्षण में OBC की तरह क्रीमी लेयर प्रणाली लागू करने की मांग की गई है।
मुख्य बिन्दु :
- याचिका में तर्क दिया गया है कि वर्तमान आरक्षण नीति से SC/ST समुदायों के भीतर संपन्न और प्रभावशाली वर्गों को अधिक लाभ मिल रहा है, जबकि सबसे वंचित लोग गरीबी के चक्र में फंसे हुए हैं।
- याचिकाकर्ता ने आर्थिक आधार पर दो-स्तरीय आरक्षण प्रणाली की मांग की है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाए।
- जस्टिस सूर्या कांत और जॉयमल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर 2025 के लिए निर्धारित की।
- याचिका ने सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2024 के फैसले (पंजाब बनाम दविंदर सिंह) का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने SC/ST के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान और उन्हें आरक्षण लाभ से बाहर करने की नीति विकसित करने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट का अगस्त 2024 का फैसला :
- सुप्रीम कोर्ट का 1 अगस्त 2024 का फैसला (पंजाब राज्य और अन्य बनाम दविंदर सिंह और अन्य) अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षण में उप-वर्गीकरण (sub-classification) के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक निर्णय है।
- यह निर्णय सात न्यायाधिशों की संविधान पीठ द्वारा लिया गया जिसमें 6:1 बहुमत था।
फैसले के मुख्य बिंदु :
उप-वर्गीकरण का संवैधानिक समर्थन :
- सुप्रीम कोर्ट ने माना कि SC/ST वर्गों के बीच आरक्षण के लाभ के समान वितरण के लिए उप-वर्गीकरण वैध है। यानी अब राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और जनजाति के अंदर सब-कैटेगरी (sub-categories) बना सकती हैं ताकि आरक्षण का लाभ वास्तव में पिछड़े और जरूरतमंद समूहों तक पहुंचे।
क्रीमी लेयर अवधारणा की सिफ़ारिश :
- इस फैसले में यह भी कहा गया कि SC/ST वर्गों के लिए क्रीमी लेयर के प्रावधान को लागू करने का रास्ता खुला है। हालांकि, यह क्रीमी लेयर OBC की क्रीमी लेयर से अलग और विशेष परिस्थितियों के अनुकूल होनी चाहिए।
- क्रीमी लेयर मानने वाले वर्ग को आरक्षण का फायदा नहीं मिलेगा ताकि लाभ असल में जरूरतमंद माता-पिता एवं व्यक्तियों तक पहुंचे।
राज्य सरकारों को अधिकार :
- राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपने स्तर पर SC/ST उप वर्गीकरण और क्रीमी लेयर के मापदंड तय कर सकें। इसका उद्देश्य आरक्षण के वास्तविक उद्देश्य — सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों को लाभ पहुंचाना — को पूरा करना है।
बहुमत बनाम अल्पमत :
- फैसले में 6 न्यायाधिशों ने इस उप-वर्गीकरण को मान्यता दी, जबकि 1 ने इसका विरोध किया। विरोध का कारण सामाजिक आरक्षण की व्यापक अवधारणा को आर्थिक और वर्गीय आधार तक सीमित करने पर था।
क्रीमी लेयर
- एक सामाजिक-आर्थिक अवधारणा है, जो पिछड़े वर्ग (OBC) के भीतर उन अपेक्षाकृत संपन्न और शिक्षित वर्गों की पहचान करने के लिए बनाई गई है, जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को मिले, जो वास्तव में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं।
क्रीमी लेयर की शुरुआत :
- मूल स्रोत: 1979 में मंडल आयोग की सिफारिशों में इसका विचार आया
- कानूनी आधार: 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (Indra Sawhney vs Union of India) सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में इसे लागू करने की व्यवस्था की गई
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OBC आरक्षण के भीतर "संपन्न" वर्ग को बाहर रखना आवश्यक है
क्रीमी लेयर लागू होने का क्षेत्र :
- केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में लागू
- SC/ST वर्ग पर क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं होती (हालांकि इस पर समय-समय पर बहस होती रही है)
क्रीमी लेयर की आय सीमा :
- शुरुआत में सीमा ₹1 लाख (1993) थी
- कई बार संशोधन हुआ —
- 2004: ₹2.5 लाख
- 2008: ₹4.5 लाख
- 2013: ₹6 लाख
- 2017: ₹8 लाख (वर्तमान सीमा)
वर्तमान में यदि OBC परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख से अधिक है, तो वह क्रीमी लेयर में आता है और आरक्षण के लिए पात्र नहीं है।
क्रीमी लेयर निर्धारण के आधार :
- आर्थिक: परिवार की वार्षिक आय सीमा (₹8 लाख)
सामाजिक/पेशागत:
- उच्च पदों पर कार्यरत माता-पिता (जैसे IAS, IPS, IFS, All India Services)
- केंद्रीय/राज्य सरकार के उच्च ग्रेड के अधिकारी
- पब्लिक सेक्टर में उच्चतम स्तर के पदों पर कार्यरत व्यक्ति
- सशस्त्र बलों में कर्नल या उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी
- केवल कृषि आय को इसमें नहीं जोड़ा जाता
महत्वपूर्ण न्यायिक संदर्भ :
- Indra Sawhney Case (1992): क्रीमी लेयर की अवधारणा को मान्यता
- Ashoka Kumar Thakur Case (2008): शैक्षिक संस्थानों में OBC आरक्षण पर क्रीमी लेयर लागू
अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) :
- अनुसूचित जाति (Scheduled Castes – SC): भारतीय संविधान में उन जातियों को शामिल किया गया है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से छुआछूत, सामाजिक भेदभाव और आर्थिक पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा।
- अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes – ST): वे जनजातीय समुदाय, जो मुख्यतः दूरस्थ व वन क्षेत्रों में रहते हैं, जिनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा, परंपराएं और जीवन शैली है, तथा जो ऐतिहासिक रूप से मुख्यधारा से अलग-थलग रहे हैं।
संवैधानिक प्रावधान :
- अनुच्छेद 341: अनुसूचित जातियों की सूची तय करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 342: अनुसूचित जनजातियों की सूची तय करने का अधिकार।
- राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी कर SC/ST सूची निर्धारित की जाती है, और संसद इसके संशोधन का अधिकार रखती है।
आरक्षण और विशेष अधिकार :
- शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में आरक्षण: SC के लिए: 15%, ST के लिए: 7.5% (केंद्रीय सेवाओं व शिक्षा में)
संवैधानिक संरक्षण:
- अनुच्छेद 15(4), 16(4): सामाजिक व शैक्षिक उन्नति के लिए विशेष प्रावधान
- अनुच्छेद 46: अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों की रक्षा
SC/ST से जुड़े प्रमुख कानून :
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
- उद्देश्य: SC/ST समुदाय के खिलाफ भेदभाव, शोषण और हिंसा रोकना
- सख्त दंड प्रावधान और विशेष अदालतों की व्यवस्था
- संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950
- संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950
भारत में संख्या और वितरण (जनगणना 2011) :
- SC जनसंख्या: लगभग 20.14 करोड़ (कुल जनसंख्या का ~16.6%)।
- ST जनसंख्या: लगभग 10.45 करोड़ (कुल जनसंख्या का ~8.6%)।
- SC का अधिकतम प्रतिशत: पंजाब (~31.9%)
- ST का अधिकतम प्रतिशत: मिज़ोरम (~94.4%)
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)
- वे जातियां और समुदाय हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हैं, लेकिन अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में शामिल नहीं हैं।
- OBC को शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में आरक्षण का लाभ दिया जाता है ताकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
संवैधानिक और कानूनी आधार :
- अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 16(4): राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार
- मंडल आयोग (1979): भारत सरकार ने बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में आयोग गठित किया, जिसने 1980 में अपनी रिपोर्ट दी और OBC को 27% आरक्षण देने की सिफारिश की
- इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992): सुप्रीम कोर्ट ने 27% OBC आरक्षण को बरकरार रखा, लेकिन “क्रीमी लेयर” को आरक्षण से बाहर रखने का निर्देश दिया
OBC के प्रकार :
- केंद्रीय सूची OBC: केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में मान्यता प्राप्त
- राज्य सूची OBC: केवल संबंधित राज्य सरकार की नौकरियों और संस्थानों में मान्यता प्राप्त
- आरक्षण व्यवस्था (केंद्रीय स्तर पर) : OBC के लिए 27% आरक्षण (क्रीमी लेयर को छोड़कर)
- आरक्षण व्यवस्था (राज्य स्तर पर) :आरक्षण व्यवस्था राज्यों में प्रतिशत अलग-अलग है, कुछ राज्यों में OBC को उपवर्गीकृत किया गया है (जैसे: OBC-A, OBC-B)
आरक्षण और संबंधित संवैधानिक अनुच्छेद
संविधान का अनुच्छेद | विषय / प्रावधान |
अनुच्छेद 14 | समानता का अधिकार और कानून के समक्ष समान सुरक्षा |
अनुच्छेद 15(3) | राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार |
अनुच्छेद 15(4) | सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SC/ST/OBC) के लिए विशेष प्रावधान |
अनुच्छेद 15(5) | निजी शैक्षणिक संस्थानों समेत सामाजिक पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण |
अनुच्छेद 15(6)(a) | आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए विशेष प्रावधान |
अनुच्छेद 16(4) | पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नियुक्ति में आरक्षण |
अनुच्छेद 16(4A) | अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण |
अनुच्छेद 16(6) | आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए सरकारी नियुक्ति में आरक्षण |
अनुच्छेद 330 | संसद (लोकसभा) में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटें आरक्षित |
अनुच्छेद 332 | राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटें आरक्षित |
अनुच्छेद 335 | अनुसूचित जाति/जनजाति के दावों को ध्यान में रखना, साथ ही प्रशासन की दक्षता |
अनुच्छेद 338 | राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का गठन और उसके अधिकार |
अनुच्छेद 338A | राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन और उसके अधिकार |
अनुच्छेद 338B | राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) का गठन और उसके अधिकार |
अनुच्छेद 243D | पंचायतों में SC/ST के लिए सीटों का आरक्षण |
अनुच्छेद 243T | नगर निकायों में SC/ST के लिए सीटों का आरक्षण |